इटावा सफारी पार्क में तीन वन्यजीवों की मौत:प्रबंधन पर लापरवाही के आरोप, मरने से पूर्व काला हिरण प्लास्टिक की बोरी खाता दिखा

इटावा सफारी पार्क में तीन वन्यजीवों की मौत:प्रबंधन पर लापरवाही के आरोप, मरने से पूर्व काला हिरण प्लास्टिक की बोरी खाता दिखा

इटावा सफारी पार्क में बीते दिनों लगातार तीन वन्यजीवों की मौत ने सफारी प्रशासन और प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जानकारी के मुताबिक, दो बारहसिंघा और एक काले हिरण (ब्लैक बक) की मौत हुई है। जहां सफारी अधिकारी इन मौतों के कारण अलग-अलग बता रहे हैं, वहीं सफारी से जुड़े सूत्र इसे ठंड और लापरवाही का सीधा नतीजा बता रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, हाल ही में लखनऊ वन्यप्राणी उद्यान से लाए गए पांच बारहसिंघा को सर्दी के मौसम में अपेक्षित सुरक्षा और बंद शेड की सुविधा नहीं दी गई। लखनऊ चिड़ियाघर में इन्हें ठंड से बचाने के लिए गर्म स्थान, बंद शेड और अतिरिक्त इंतजाम किए जाते थे, जबकि इटावा सफारी में दिसंबर की कड़ाके की ठंड के बीच इन्हें खुले वातावरण में रखा गया। इसी कारण दो बारहसिंघा की तबीयत बिगड़ी और उनकी मौत हो गई। इसके अलावा 23 दिसंबर को दिन के समय एक काले हिरण की मौत का मामला सामने आया। सफारी सूत्रों का कहना है कि यह मौत ठंड नहीं, बल्कि साफ लापरवाही का परिणाम है। मंगलवार सुबह ब्लैक बक को प्लास्टिक की बोरी खाते हुए कैमरे में देखा गया था, लेकिन समय रहते कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। शाम होते-होते उसकी मौत हो गई। सूत्रों के मुताबिक, सफारी परिसर में प्लास्टिक की बोरियां खुले में पड़ी रहती हैं, जिन्हें जानवर खा लेते हैं। प्लास्टिक खाने से ब्लैक बक की हालत गंभीर हो गई और उसकी जान चली गई। इस घटना ने सफारी में साफ-सफाई, निगरानी और देखभाल व्यवस्था की पोल खोल दी है। साथ ही यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या वन्यजीवों को पर्याप्त भोजन मिल रहा है, जिस कारण वे प्लास्टिक जैसे खतरनाक पदार्थ खाने को मजबूर हो रहे हैं। वहीं दूसरी ओर सफारी प्रशासन इन आरोपों से इनकार कर रहा है। उपनिदेशक डॉ. विनय सिंह का कहना है कि तीनों जानवरों की मौत आपसी संघर्ष या अन्य प्राकृतिक कारणों से हुई है और ठंड या लापरवाही को इसके लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। हालांकि सफारी से जुड़े सूत्र अधिकारियों के इन दावों को सिरे से खारिज कर रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि यदि समय रहते ठंड से बचाव के पुख्ता इंतजाम किए जाते और परिसर में साफ-सफाई व निगरानी व्यवस्था दुरुस्त होती, तो इन तीनों वन्यजीवों की जान बचाई जा सकती थी। लगातार हो रही मौतों ने सफारी प्रबंधन की तैयारियों और संवेदनशीलता पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।

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