किशनगंज के ठाकुरगंज थाना क्षेत्र के निश्चितपुर निवासी मो. शमीम ने पत्नी के इलाज में गंभीर लापरवाही का आरोप लगाते हुए पावरहाउस स्थित न्यू फोर्टीस अस्पताल (निजी नर्सिंग होम) के खिलाफ थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई है। पीड़ित का आरोप है कि अगस्त माह में सीजर ऑपरेशन के दौरान चिकित्सकों ने उनकी गर्भवती पत्नी के पेट में कॉटन का बंडल छोड़ दिया, जिससे बाद में उसकी हालत गंभीर हो गई। बेटे का जन्म, फिर शुरू हुआ दर्द मो. शमीम ने बताया कि अगस्त में उन्होंने अपनी गर्भवती पत्नी को प्रसव के लिए न्यू फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया था। वहां तैनात डॉक्टर ने सीजर प्रसव की सलाह दी। ऑपरेशन के बाद पुत्र का जन्म हुआ और कुछ दिनों बाद पत्नी को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। घर आने के कुछ समय बाद पत्नी को लगातार पेट दर्द की शिकायत होने लगी। इस पर वे दोबारा उसी अस्पताल पहुंचे, जहां चिकित्सकों ने खट्टा खाद्य पदार्थ खाने को ही तबीयत खराब होने की वजह बता दी। पत्नी को फिर से भर्ती कर कुछ सप्ताह इलाज के नाम पर रखा गया और हजारों रुपए लेकर छुट्टी दे दी गई। MRI में सामने आई सच्चाई पीड़ित ने बताया कि अक्टूबर माह में पत्नी की तबीयत दोबारा बिगड़ने पर जब वे अस्पताल पहुंचे, तो वहां मौजूद इरशाद ने उन्हें किशनगंज के एक निजी क्लीनिक में इलाज कराने की सलाह देकर भेज दिया। किशनगंज में भर्ती कराने के बाद जब MRI जांच कराई गई, तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ। जांच में पता चला कि सीजर ऑपरेशन के दौरान पत्नी के पेट में कॉटन का एक बंडल छोड़ दिया गया था, जिसके कारण पेट में रिसाव और असहनीय दर्द हो रहा था। इसके बाद नवंबर माह में दोबारा ऑपरेशन कर कॉटन का टुकड़ा निकाला गया। इस पूरे इलाज में लाखों रुपए खर्च हो गए। इलाज के नाम पर 16 हजार भेजने का आरोप मो. शमीम ने आरोप लगाया कि जब उन्होंने इस मामले को लेकर इरशाद से शिकायत की, तो इलाज और मामले को दबाने के नाम पर उनके साले के खाते में 16 हजार रुपए भेज दिए गए। लेकिन पत्नी के इलाज में भारी खर्च के कारण उनकी आर्थिक स्थिति पूरी तरह डगमगा गई। उन्होंने कहा कि बाद में इरशाद से संपर्क करने की कई कोशिशें की गईं, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। लास्ट में मजबूर होकर उन्होंने ठाकुरगंज थाने में लिखित शिकायत कर न्याय की गुहार लगाई है। जांच के लिए बनेगी मेडिकल टीम मामले को लेकर ठाकुरगंज थानाध्यक्ष मकसूद आलम अशर्फी ने बताया कि लिखित शिकायत मिलने के बाद निजी अस्पताल की जांच के लिए मेडिकल टीम गठित कराने को लेकर जिलाधिकारी को पत्र लिखा गया है। मेडिकल टीम की जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी। वहीं, सिविल सर्जन डॉ. राजकुमार चौधरी ने कहा कि वे फिलहाल बाहर थे और मामला अभी उनके संज्ञान में नहीं आया है। उन्होंने बताया कि कल पूरे मामले की विस्तृत जानकारी देने के बाद उचित कदम उठाए जाएंगे। इस घटना ने एक बार फिर निजी नर्सिंग होमो की कार्यप्रणाली और चिकित्सा लापरवाही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। किशनगंज के ठाकुरगंज थाना क्षेत्र के निश्चितपुर निवासी मो. शमीम ने पत्नी के इलाज में गंभीर लापरवाही का आरोप लगाते हुए पावरहाउस स्थित न्यू फोर्टीस अस्पताल (निजी नर्सिंग होम) के खिलाफ थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई है। पीड़ित का आरोप है कि अगस्त माह में सीजर ऑपरेशन के दौरान चिकित्सकों ने उनकी गर्भवती पत्नी के पेट में कॉटन का बंडल छोड़ दिया, जिससे बाद में उसकी हालत गंभीर हो गई। बेटे का जन्म, फिर शुरू हुआ दर्द मो. शमीम ने बताया कि अगस्त में उन्होंने अपनी गर्भवती पत्नी को प्रसव के लिए न्यू फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया था। वहां तैनात डॉक्टर ने सीजर प्रसव की सलाह दी। ऑपरेशन के बाद पुत्र का जन्म हुआ और कुछ दिनों बाद पत्नी को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। घर आने के कुछ समय बाद पत्नी को लगातार पेट दर्द की शिकायत होने लगी। इस पर वे दोबारा उसी अस्पताल पहुंचे, जहां चिकित्सकों ने खट्टा खाद्य पदार्थ खाने को ही तबीयत खराब होने की वजह बता दी। पत्नी को फिर से भर्ती कर कुछ सप्ताह इलाज के नाम पर रखा गया और हजारों रुपए लेकर छुट्टी दे दी गई। MRI में सामने आई सच्चाई पीड़ित ने बताया कि अक्टूबर माह में पत्नी की तबीयत दोबारा बिगड़ने पर जब वे अस्पताल पहुंचे, तो वहां मौजूद इरशाद ने उन्हें किशनगंज के एक निजी क्लीनिक में इलाज कराने की सलाह देकर भेज दिया। किशनगंज में भर्ती कराने के बाद जब MRI जांच कराई गई, तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ। जांच में पता चला कि सीजर ऑपरेशन के दौरान पत्नी के पेट में कॉटन का एक बंडल छोड़ दिया गया था, जिसके कारण पेट में रिसाव और असहनीय दर्द हो रहा था। इसके बाद नवंबर माह में दोबारा ऑपरेशन कर कॉटन का टुकड़ा निकाला गया। इस पूरे इलाज में लाखों रुपए खर्च हो गए। इलाज के नाम पर 16 हजार भेजने का आरोप मो. शमीम ने आरोप लगाया कि जब उन्होंने इस मामले को लेकर इरशाद से शिकायत की, तो इलाज और मामले को दबाने के नाम पर उनके साले के खाते में 16 हजार रुपए भेज दिए गए। लेकिन पत्नी के इलाज में भारी खर्च के कारण उनकी आर्थिक स्थिति पूरी तरह डगमगा गई। उन्होंने कहा कि बाद में इरशाद से संपर्क करने की कई कोशिशें की गईं, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। लास्ट में मजबूर होकर उन्होंने ठाकुरगंज थाने में लिखित शिकायत कर न्याय की गुहार लगाई है। जांच के लिए बनेगी मेडिकल टीम मामले को लेकर ठाकुरगंज थानाध्यक्ष मकसूद आलम अशर्फी ने बताया कि लिखित शिकायत मिलने के बाद निजी अस्पताल की जांच के लिए मेडिकल टीम गठित कराने को लेकर जिलाधिकारी को पत्र लिखा गया है। मेडिकल टीम की जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी। वहीं, सिविल सर्जन डॉ. राजकुमार चौधरी ने कहा कि वे फिलहाल बाहर थे और मामला अभी उनके संज्ञान में नहीं आया है। उन्होंने बताया कि कल पूरे मामले की विस्तृत जानकारी देने के बाद उचित कदम उठाए जाएंगे। इस घटना ने एक बार फिर निजी नर्सिंग होमो की कार्यप्रणाली और चिकित्सा लापरवाही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।


