Coriander Cultivation : चम्बल की धरती पर उपजने वाले धनिये की खुशबू सात समंदर पार तक महकती है। प्रदेश में धनिया उत्पादन में हाड़ौती अंचल तीसरे पायदान पर है, लेकिन बदलते मौसम से धनिया की खेती से किसानों का मोहभंग हो गया है। इसकी बुवाई पांच साल में ही आधी रह गई है। इसी तरह साल दर साल बुवाई का रकबा घटता रहा तो हाड़ौती की धरती से धनिये की महक गायब हो जाएगी। कृषि विभाग के अनुसार बुवाई के आंकड़ों के तहत पिछले साल के मुकाबले 50 प्रतिशत बुवाई में कमी आई है।
कागजों में सिमटी योजना
हाड़ौती में निर्यात गुणवत्ता के धनिये के उत्पादन के चलते केन्द्र और राज्य सरकार के साझा कार्यक्रम के तहत 2005 में कृषि निर्यात जोन (एईजेड ) बनाया था, लेकिन सरकारी सुस्ती के चलते यह योजना फाइलों में ही सिमट कर रह गई।
अन्य राज्यों में पैदा होने वाले धनिये में यह तासीर नहीं होती
हाड़ौती व चित्तौड़गढ़ की भूमि व एमपी की भूमि में पैदा होने वाले धनिये में सुगंध की मात्रा होती है। देश के अन्य राज्यों में पैदा होने वाले धनिये में यह तासीर नहीं होती। हाड़ौती संभाग के धनिया दाना का वजन कम होता है। गुजरात में पैदा होने वाले धनिये में यह क्वालिटी नहीं होती।

धनिया नाजुक फसल, इसलिए घटा रकबा
धनिया को नाजुक फसल माना जाता है। ज्यादा सर्दी इसको रास नहीं आती और इसके झुलसने का डर रहता है। इस बार औसत से अधिक बरसात से ज्यादा, सर्दी से धनिये के झुलसने के डर से किसानों ने धनिया की बुवाई नहीं की है।
हाड़ौती के धनिये में खुशबूदार ऑयल की मात्रा अधिक
हाड़ौती की जमीन में पोटाश अधिक है। इस कारण यहां के धनिये में खुशबूदार ऑयल की मात्रा अधिक होती है और चमक भी ज्यादा होती है। इसका लम्बी अवधि तक भण्डारण किया जा सकता है, क्योंकि पोटाश अधिक होने से कीट नहीं लगता है। देश और विदेशों में खुशबूदार धनिया कहीं नहीं होता है। इस कारण ही गुजरात के व्यापारी यहां से धनिया लेकर मिसिंग कर प्रोसेस करते हैं।
पीके गुप्ता, हॉर्टिकल्चर एक्सपर्ट


