पंजाबी सिंगर-एक्टर दिलजीत दोसांझ के आस्ट्रेलिया के सिडनी में हुए पहले स्टेडियम कॉन्सर्ट में धार्मिक चिह्न किरपाण को लेकर विवाद हो गया। कॉन्सर्ट में हजारों प्रशंसक उमड़े, लेकिन इस आयोजन में सिख श्रद्धालुओं को धार्मिक प्रतीक किरपाण लेकर अंदर न जाने देने के लिए रोक दिया गया। पश्चिमी सिडनी के पैरामाटा स्टेडियम में हुए इस शो में करीब 25,000 दर्शक पहुंचे थे। हाऊस फुल रहा। इनमें बड़ी संख्या पंजाबी और सिख समुदाय के लोगों की थी। मगर, धार्मिक परंपरा के तहत किरपाण धारण करने वाले दर्शकों को स्टेडियम में एंट्री नहीं दी गई। इसका दर्शकों ने विरोध किया तो उन्हें बाहर कर दिया गया। इससे दिलजीत को देखने की उम्मीद में कॉन्सर्ट में पहुंचे सिख समुदाय के दर्शकों को निराश ही लौटना पड़ा। यहां जानिए कॉन्सर्ट में पहुंचे सिख समुदाय के दर्शकों के साथ क्या हुआ… 200 ऑस्ट्रेलियाई डॉलर टिकट खरीदा, किरपान देखकर लौटाया
सिडनी निवासी परमवीर सिंह बिमवाल और उनकी पत्नी सोना बिमवाल ने बताया कि उन्होंने इस कॉन्सर्ट के टिकट 200 ऑस्ट्रेलियाई डॉलर प्रति व्यक्ति (करीब ₹11,000) में खरीदे थे। परमवीर सिंह, जो रीढ़ की चोट के कारण तकलीफ में भी थे, फिर भी शो देखने पहुंचे। मगर, सुरक्षा जांच के दौरान जब मेटल डिटेक्टर से जांच की गई तो उनका किरपाण डिटेक्टर पर आ गया। सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें कहा कि वे किरपाण उतारकर बॉक्स में रखें और शो के बाद वापस ले सकते हैं। परमवीर सिंह ने इसे अपमानजनक समझा और बिना कॉन्सर्ट देखे वापस लौट आए। पहले कभी ऐसा नहीं हुआ, दिलजीत के कॉन्सर्ट में निराश मिली
परमवीर ने बताया कि यह पहली बार हुआ है जब किरपाण के कारण कहीं प्रवेश से रोका गया। हमने पहले भी कई सार्वजनिक स्थानों, फुटबॉल मैचों और स्कूलों में किरपाण के साथ प्रवेश किया, कभी कोई समस्या नहीं हुई। लेकिन यह निराशाजनक है कि दिलजीत दोसांझ जैसे सिख कलाकार के कॉन्सर्ट में ऐसा हुआ। सोना बिमवाल ने कहा कि उन्हें किसी तरह का रिफंड या आधिकारिक संदेश नहीं मिला। किसी ने हमसे संपर्क नहीं किया। हम रात आठ बजे तक इंतजार करते रहे, फिर खुद ही लौट आए। किरपान कोई चाकू नहीं, यह हमारी आस्था का पवित्र प्रतीक
इसके बाद परमवीर सिंह ने ऑस्ट्रेलियन मीडिया में कहा- “यह कोई रसोई का चाकू नहीं है, जो मैंने कानून तोड़ने के लिए रखा है। यह हमारी आस्था का पवित्र प्रतीक है।” उन्होंने अपनी आस्था के कारण कॉन्सर्ट छोड़ना पसंद किया। अगर अपने धर्म का प्रतीक साथ ले जाने की अनुमति नहीं है, तो चह अंदर नहीं जाएंगे। हम पैसे खो सकते हैं, लेकिन आस्था से समझौता नहीं कर सकते। अन्य सिख दर्शकों को भी रोका गया
हरमन सिंह और उनके मित्र मनमोहन सिंह को भी इसी कारण प्रवेश नहीं मिला। 19 साल के मनमोहन सिंह ने कहा- “हमारे धर्म में किरपाण शरीर से अलग नहीं की जा सकती। यह अनुचित है, खासकर तब जब कलाकार खुद सिख समुदाय से हैं। टिकट खरीदते समय इस प्रतिबंध की कोई जानकारी नहीं दी गई थी।” पुलिस और आयोजन प्रबंधन का बयान भी सामने आया… किरपान क्लॉक रूम में जमा करने से मना किया : न्यू साउथ वेल्स (NSW) पुलिस ने बताया कि स्टेडियम सुरक्षा कर्मियों ने उस व्यक्ति से बात करने के लिए बुलाया, जिसने किरपाण को क्लॉक रूम में जमा करने से इनकार किया था। अधिकारियों ने संबंधित व्यक्ति से बात की और जब उसने किरपाण क्लॉक रूम में जमा करने से मना किया, तो उसे स्टेडियम से बाहर जाने का निर्देश दिया गया। इसके बाद वह शांति से चला गया।” पुलिस ने बयान में कहा- “कोई अपराध नहीं पाया गया। पांच लोगों ने किरपान जमा करके कॉन्सर्ट देखा : वेन्यूस न्यू साउथ वेल्स संस्था ने कहा- “हम सम्मानजनक और सुरक्षित क्लॉक रूम सेवा प्रदान करते हैं। यह नीति पिछले दस वर्षों से लागू है। प्रबंधन के अनुसार, पांच लोगों ने अपनी किरपाण जमा कर शो देखा, जबकि एक व्यक्ति ने मना कर दिया और उसके टिकट का रिफंड देने की पेशकश की गई। हालांकि संस्था ने यह भी स्वीकार किया कि किरपाण सिख समुदाय की आस्था का महत्वपूर्ण प्रतीक है। भारत सरकार को आस्ट्रेलियाई सरकार से बात करनी चाहिए : गड़गज
उधर, इस मामले में जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह गड़गज ने कहा- बात सिर्फ आस्ट्रेलिया की नहीं, भारत की भी है। राजस्थान में हमारी बच्ची को ककारों के कारण परीक्षा में नहीं बैठने दिया। 1947 में जब हमने अपने आप को भारत की हुकूमत के साथ जोड़ा तो उनका फर्ज बरता है कि वे हमारे हकों का ध्यान रखें। अब जब हम गुरु तेग बहादुर जी का 350वां शहादत दिवस मनाने जा रहे हैं, तो याद रखना चाहिए कि हिंदुओं की पहचान को बचाने के लिए ही इन्होंने शहादत दी। गुरु की शहादत मनुष्य के अधिकारों की आजादी के लिए है। पूरे संसार में मनुष्यों के अधिकार और धार्मिक आजादी बहाल रहनी चाहिए। ये ककार गुरुओं ने दिए हैं और ये गुरु की निशानी है। सिख इन्हें संभाल कर रखता है। इसलिए ऐसी कहीं भी मंदभागी घटना नहीं होनी चाहिए। भारत सरकार को भी वहां के प्रशासन से बात करनी चाहिए और जो घटनाएं होती हैं, उन पर भी रोक लगनी चाहिए। ——————————— सिंगर दिलजीत दोसांझ से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें…
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