पश्चिमी सिंहभूम, चाईबासा के जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने मेडिक्लेम दावा अस्वीकृत करने के एक मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। आयोग ने नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और उसकी टीपीए एजेंसी सेफवे इंश्योरेंस टीपीए प्राइवेट लिमिटेड को सेवा में कमी तथा अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया। इसके तहत शिकायतकर्ता को 2.45 लाख रुपए की मेडिक्लेम राशि का भुगतान करने का आदेश दिया गया है। यह शिकायत चाईबासा के छोटा निमडीह निवासी राजेश प्रसाद साव ने दायर की थी। उन्होंने आयोग को बताया कि उनके पास ‘न्यू नेशनल परिवार मेडिक्लेम’ पॉलिसी थी, जिसकी वैधता 27 अप्रैल 2022 से 26 अप्रैल 2023 तक थी। पॉलिसी अवधि के दौरान, उन्हें गर्दन और कमर से संबंधित स्वास्थ्य समस्या हुई। इसके इलाज के लिए उन्हें 25 अक्टूबर 2022 से 29 अक्टूबर 2022 तक नई दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। इलाज पर कुल 2,45,965 रुपए का खर्च आया। शिकायतकर्ता ने नियमानुसार मेडिक्लेम दावा प्रस्तुत किया था। हालांकि, बीमा कंपनी और उसकी टीपीए एजेंसी ने यह कहते हुए दावा अस्वीकृत कर दिया कि बीमारी पॉलिसी की ‘वेटिंग पीरियड’ के अंतर्गत आती है। इसके बाद शिकायतकर्ता ने उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज कराई। मामले की सुनवाई के दौरान, आयोग ने पाया कि बीमा कंपनी यह साबित नहीं कर सकी कि पॉलिसी की शर्तें और नियम शिकायतकर्ता को विधिवत रूप से उपलब्ध कराए गए थे या उनकी जानकारी दी गई थी। आयोग ने यह भी माना कि पॉलिसी निरंतर प्रभावी थी और उपचार बीमा अवधि के भीतर ही कराया गया था। आयोग ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि उपभोक्ता के लिए पहले आईआरडीएआई या किसी अन्य अपीलीय मंच पर जाना अनिवार्य नहीं है, क्योंकि उपभोक्ता आयोग एक स्वतंत्र वैधानिक मंच है। आयोग ने बीमा कंपनी को शिकायतकर्ता को 2,45,965 रुपए की मेडिक्लेम राशि, मानसिक पीड़ा के लिए 20,000 रुपए और वाद व्यय के रूप में 10,000 रुपए का भुगतान करने का आदेश दिया है। आयोग ने यह भी निर्देश दिया कि यदि 45 दिनों के भीतर भुगतान नहीं किया जाता है, तो पूरी राशि पर 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज देय होगा। पश्चिमी सिंहभूम, चाईबासा के जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने मेडिक्लेम दावा अस्वीकृत करने के एक मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। आयोग ने नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और उसकी टीपीए एजेंसी सेफवे इंश्योरेंस टीपीए प्राइवेट लिमिटेड को सेवा में कमी तथा अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया। इसके तहत शिकायतकर्ता को 2.45 लाख रुपए की मेडिक्लेम राशि का भुगतान करने का आदेश दिया गया है। यह शिकायत चाईबासा के छोटा निमडीह निवासी राजेश प्रसाद साव ने दायर की थी। उन्होंने आयोग को बताया कि उनके पास ‘न्यू नेशनल परिवार मेडिक्लेम’ पॉलिसी थी, जिसकी वैधता 27 अप्रैल 2022 से 26 अप्रैल 2023 तक थी। पॉलिसी अवधि के दौरान, उन्हें गर्दन और कमर से संबंधित स्वास्थ्य समस्या हुई। इसके इलाज के लिए उन्हें 25 अक्टूबर 2022 से 29 अक्टूबर 2022 तक नई दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। इलाज पर कुल 2,45,965 रुपए का खर्च आया। शिकायतकर्ता ने नियमानुसार मेडिक्लेम दावा प्रस्तुत किया था। हालांकि, बीमा कंपनी और उसकी टीपीए एजेंसी ने यह कहते हुए दावा अस्वीकृत कर दिया कि बीमारी पॉलिसी की ‘वेटिंग पीरियड’ के अंतर्गत आती है। इसके बाद शिकायतकर्ता ने उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज कराई। मामले की सुनवाई के दौरान, आयोग ने पाया कि बीमा कंपनी यह साबित नहीं कर सकी कि पॉलिसी की शर्तें और नियम शिकायतकर्ता को विधिवत रूप से उपलब्ध कराए गए थे या उनकी जानकारी दी गई थी। आयोग ने यह भी माना कि पॉलिसी निरंतर प्रभावी थी और उपचार बीमा अवधि के भीतर ही कराया गया था। आयोग ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि उपभोक्ता के लिए पहले आईआरडीएआई या किसी अन्य अपीलीय मंच पर जाना अनिवार्य नहीं है, क्योंकि उपभोक्ता आयोग एक स्वतंत्र वैधानिक मंच है। आयोग ने बीमा कंपनी को शिकायतकर्ता को 2,45,965 रुपए की मेडिक्लेम राशि, मानसिक पीड़ा के लिए 20,000 रुपए और वाद व्यय के रूप में 10,000 रुपए का भुगतान करने का आदेश दिया है। आयोग ने यह भी निर्देश दिया कि यदि 45 दिनों के भीतर भुगतान नहीं किया जाता है, तो पूरी राशि पर 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज देय होगा।


