करनाल में BJP दफ्तर के बाहर कांग्रेस का प्रदर्शन:पेड़ काटने पर जताया रोष-नारेबाजी; वर्करों-नेताओं ने सड़क किनारे रोपे पौधे, विधायक पर भड़के

करनाल में BJP दफ्तर के बाहर कांग्रेस का प्रदर्शन:पेड़ काटने पर जताया रोष-नारेबाजी; वर्करों-नेताओं ने सड़क किनारे रोपे पौधे, विधायक पर भड़के

करनाल में कर्णकमल कार्यालय तक जाने वाली सड़क निर्माण के दौरान उखाड़े गए 40 पूर्ण विकसित पेड़ों का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। शहर में पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के आरोपों के बीच कांग्रेस ने सड़क किनारे पौधे लगाकर विरोध जताया और बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाए। कांग्रेस नेताओं पराग गाबा, राजेश वैध और अन्य कार्यकर्ताओं ने सोमवार को कर्णकमल कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि करनाल में विकास के नाम पर ग्रीन बेल्ट को नष्ट कर दिया गया है। नेताओं ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री जहां देशभर में वृक्षारोपण की बात करते हैं, वहीं करनाल में बीजेपी नेताओं ने अपने राजनीतिक लाभ के लिए 40 पेड़ काट दिए। उन्होंने सवाल उठाया कि विधायक जगमोहन आनंद को यह कटाई क्यों नहीं दिखाई दी। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद वे स्वयं सड़क को हटाकर वहां पेड़ लगाएंगे। उनका कहना है कि हरित पट्टी में सड़क बनाना गलत है और इसका विरोध तब तक जारी रहेगा जब तक जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं होती। सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में हरियाणा सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि नवनिर्मित भाजपा कार्यालय तक सड़क बनाने के लिए 40 विकसित पेड़ हटाना “दयनीय” और “गंभीर लापरवाही” है। अदालत ने पूछा कि इतनी बड़ी संख्या में पेड़ों को क्यों हटाया गया और इसकी अनुमति किस आधार पर दी गई। यह टिप्पणी न्यायमूर्ति जे. बी. पार्डीवाला और न्यायमूर्ति के. वी. विश्वनाथन की पीठ ने 1971 युद्ध के वेटरन कर्नल (सेवानिवृत्त) दविंदर सिंह राजपूत की याचिका पर सुनवाई के दौरान की। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि सेक्टर-9 में राजनीतिक दल के कार्यालय के लिए हरित पट्टी में सड़क बनाकर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया गया। याचिकाकर्ता का आरोप: हरित पट्टी में अवैध निर्माण
79 वर्षीय कर्नल (सेवानिवृत्त) दविंदर सिंह राजपूत ने बताया कि उन्होंने 36 साल पहले सेक्टर-9 में हरित पट्टी के पास एक हजार वर्ग गज का भूखंड खरीदा था। उनका कहना है कि पास के 1,550 वर्ग गज के भूखंड को संस्थागत श्रेणी में बदलकर राजनीतिक दल को आवंटित कर दिया गया, जो हरियाणा अर्बन डेवलपमेंट एक्ट और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग नीति के विपरीत है। राजपूत के अनुसार, उनके घर के सामने 100 मीटर चौड़ी हरित पट्टी थी, जिसमें 10 मीटर चौड़ी सड़क बनाकर पेड़ हटा दिए गए। इससे न केवल पर्यावरण को नुकसान हुआ बल्कि स्थानीय निवासियों की शांति भी भंग हुई। हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक मामला
राजपूत की याचिका पहले हाईकोर्ट में खारिज हो गई थी, जिसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। उनके वकील भूपेंद्र प्रताप सिंह ने दलील दी कि हाईकोर्ट ने लेआउट में बदलाव और सड़क की चौड़ाई से जुड़े नियमों पर ध्यान नहीं दिया। सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार को 15 अक्टूबर को यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था और एचएसवीपी के मुख्य प्रशासक को रिकॉर्ड सहित तलब किया था। अदालत ने सरकार से पूछा कि इतने पेड़ क्यों काटे गए, काटे जाने के बाद उनका क्या किया गया और पेड़ों की भरपाई के लिए क्या योजना बनाई गई। कोर्ट ने चेतावनी दी कि भविष्य में किसी भी विकास कार्य में पर्यावरणीय मानकों का उल्लंघन हुआ तो इसे गंभीरता से लिया जाएगा। कांग्रेस की मांग: दोषियों पर कार्रवाई हो
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की सख्ती से यह स्पष्ट है कि पेड़ काटने के निर्णय में कुछ अधिकारियों की भूमिका रही होगी। उन्होंने मांग की कि पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। कांग्रेस ने दोहराया कि वह पर्यावरण संरक्षण के लिए संघर्ष जारी रखेगी और करनाल की हरित पट्टी से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

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