120 शिक्षकों का 5 दिवसीय इन-सर्विस टीचर्स ट्रेनिंग समपन्न:सरल तरीके से पढ़ाने का दिया गया प्रशिक्षण, वरिष्ठ शिक्षकों ने अपना अनुभव किया साझा

120 शिक्षकों का 5 दिवसीय इन-सर्विस टीचर्स ट्रेनिंग समपन्न:सरल तरीके से पढ़ाने का दिया गया प्रशिक्षण, वरिष्ठ शिक्षकों ने अपना अनुभव किया साझा

वैशाली के PTEC सोरहत्था में 22 दिसंबर से 26 दिसंबर तक 5 दिवसीय आवासीय इन-सर्विस टीचर्स ट्रेनिंग का आयोजन हुआ। इस प्रशिक्षण में कक्षा 6 से 8 तक के सामाजिक विज्ञान के 120 शिक्षक-शिक्षिकाओं ने भाग लिया। इस दौरान सभी शिक्षकों को प्रतिदिन सुबह 7 बजे 8 बजे तक योगा (पीटी) कराया गया। इसके बाद सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन हुआ। जिसमें टीचर्स को सामाजिक विज्ञान पढ़ाने के विभिन्न नए तकनीक बताए गए। साथ ही, कंप्यूटर शिक्षा की भी जानकारी दी गई। इसमें सभी को टाइपिंग, एक्सेल सिट और गुगल सीट पर प्रश्न निर्माण करना बताया गया। वहीं सोशल साइंस के पठन-पाठन में चैट जीपीटी, एआई और कम्युनिकेशन के विभिन्न तरीकों के आवश्यकता और उपयोग के बारे में बताया गया। इसके बाद प्रतिदिन रात में 7 से 8 बजे तक शिक्षा से जुड़ी एक फिल्म दिखाई गई। जिसमें पाठशाला, चौक-डस्टर, नील बटा सन्नाटा और तारे जमीन पर शामिल है। प्रशिक्षण के आखरी दिन सभी शिक्षक प्रतिभागियों को प्राचार्य डॉ. सुरेश कुमार, डॉ. मुकेश कुमार और डॉ. शहजादा सलीम शम्स ने प्रमाण-पत्र प्रदान किया। शिक्षकों ने अपना अनुभव किया साझा शिक्षिका शाल्वी कुमारी ने बताया कि यह ट्रेनिंग हमारे लिए इनफॉर्मेटिव था। ICT के क्लास में हमें बहुत कुछ सीखने को मिला। यहां हमारे साथ सभी आयु वर्ग के लोग थे। सभी ने एक साथ मिलकर अपना-अपना टास्क पूरा किया। वहीं वरिष्ठ शिक्षकों ने हमारे साथ अपना अनुभव भी साझा किया। शिक्षक शशांक पटेल ने बताया कि हर साल शिक्षकों को ट्रेनिंग दी जाती है, ताकी हम सरल और प्रभावी ठंग से बच्चों के बीच अपने विषय को पढ़ा सके। इस ट्रेनिंग में सभी सोशल साइंस के टीचर भाग लिए थे। इसमें हमें नए तकनीक के बारे में जानकारी दी गई, जिससे हम बच्चों को आसान तरीके से कुछ नया सीखा सके और उनकी समझ विकसित हो। सरल तरीके से पढ़ाने का दिया गया ट्रेनिंग शिक्षक नीरज कुमार ने बताया कि ये मेरा तीसरा ट्रेनिंग था और इसका एक्सपीरियंस बहुत अच्छा रहा। हमें यहां शिक्षण गतिविधियों के माध्यम से बताया गया कि कैसे हम सामाजिक विज्ञान को बच्चों के बीच कितने आसान तरीके से रख सकें। जिससे बच्चे क्लास में सीखी हुई बात को अपने जीवन में उतार सके और सामाजिक गतिविधियों में शामिल हो सके। शिक्षिका रजनी प्रकाश ने PTEC के व्यवस्थापक को धन्यवाद देते हुए बताया कि यहां शिक्षकों के रहने से लेकर खाने और साफ-सफाई की उत्तम व्यवस्था की गई थी। ट्रेनिंग के दौरान यहां के प्राचार्य डॉ. सुरेश कुमार से भी हमें प्रशिक्षण लेने का मौका मिला। उन्होंने हमारे बीच अपना अनुभव शेयर किया, जिससे हमें बहुत कुछ सीखने को मिला। शिक्षकों के लिए साल में 50 घंटे का ट्रेनिंग अनिवार्य प्राचार्य डॉ. सुरेश कुमार ने बताया कि नई शिक्षा नीति 2020 के आलोक में सभी शिक्षक को हर साल 50 घंटे का प्रशिक्षण लेना है। इसी क्रम में सामाजिक विज्ञान के टीचर्स के लिए 5 दिवसीय ट्रेनिंग का आयोजन किया गया। जिसमें राज्य स्तर से प्राप्त मॉड्यूल के हिसाब से ट्रेनिंग दी जाती है। जिसमें उन्हें बताया गया कि सामाजिक विज्ञान का अध्यापन प्रभावी तरीके से कैसे कराया जाए ताकि बच्चों की समझ ऑप्टीमम लेवल तक विकसित हो सके। उससे अगर कोई सवाल मौखिक या लिखित तरीके से पूछा जाए तो वो उसका जबाव तुरंत दे सके। साथ ही उनकी उपलब्धी बेहतर हो। साथ ही, उन्होंने शिक्षकों को पुराने पारंपरिक तरीके को छोड़कर नवीन तकनीक के माध्यम से पढ़ाने पर जोर दिया। इस प्रशिक्षण कार्य में सीनियर प्रो. मनीष कुमार, प्रो. जया, सुनीता सागर, डॉ. शेमुषी कुमारी, डॉ. राणाप्रताप सिंह, डॉ. शहजादा सलीम शम्स ने अपना योगदान दिया। वैशाली के PTEC सोरहत्था में 22 दिसंबर से 26 दिसंबर तक 5 दिवसीय आवासीय इन-सर्विस टीचर्स ट्रेनिंग का आयोजन हुआ। इस प्रशिक्षण में कक्षा 6 से 8 तक के सामाजिक विज्ञान के 120 शिक्षक-शिक्षिकाओं ने भाग लिया। इस दौरान सभी शिक्षकों को प्रतिदिन सुबह 7 बजे 8 बजे तक योगा (पीटी) कराया गया। इसके बाद सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन हुआ। जिसमें टीचर्स को सामाजिक विज्ञान पढ़ाने के विभिन्न नए तकनीक बताए गए। साथ ही, कंप्यूटर शिक्षा की भी जानकारी दी गई। इसमें सभी को टाइपिंग, एक्सेल सिट और गुगल सीट पर प्रश्न निर्माण करना बताया गया। वहीं सोशल साइंस के पठन-पाठन में चैट जीपीटी, एआई और कम्युनिकेशन के विभिन्न तरीकों के आवश्यकता और उपयोग के बारे में बताया गया। इसके बाद प्रतिदिन रात में 7 से 8 बजे तक शिक्षा से जुड़ी एक फिल्म दिखाई गई। जिसमें पाठशाला, चौक-डस्टर, नील बटा सन्नाटा और तारे जमीन पर शामिल है। प्रशिक्षण के आखरी दिन सभी शिक्षक प्रतिभागियों को प्राचार्य डॉ. सुरेश कुमार, डॉ. मुकेश कुमार और डॉ. शहजादा सलीम शम्स ने प्रमाण-पत्र प्रदान किया। शिक्षकों ने अपना अनुभव किया साझा शिक्षिका शाल्वी कुमारी ने बताया कि यह ट्रेनिंग हमारे लिए इनफॉर्मेटिव था। ICT के क्लास में हमें बहुत कुछ सीखने को मिला। यहां हमारे साथ सभी आयु वर्ग के लोग थे। सभी ने एक साथ मिलकर अपना-अपना टास्क पूरा किया। वहीं वरिष्ठ शिक्षकों ने हमारे साथ अपना अनुभव भी साझा किया। शिक्षक शशांक पटेल ने बताया कि हर साल शिक्षकों को ट्रेनिंग दी जाती है, ताकी हम सरल और प्रभावी ठंग से बच्चों के बीच अपने विषय को पढ़ा सके। इस ट्रेनिंग में सभी सोशल साइंस के टीचर भाग लिए थे। इसमें हमें नए तकनीक के बारे में जानकारी दी गई, जिससे हम बच्चों को आसान तरीके से कुछ नया सीखा सके और उनकी समझ विकसित हो। सरल तरीके से पढ़ाने का दिया गया ट्रेनिंग शिक्षक नीरज कुमार ने बताया कि ये मेरा तीसरा ट्रेनिंग था और इसका एक्सपीरियंस बहुत अच्छा रहा। हमें यहां शिक्षण गतिविधियों के माध्यम से बताया गया कि कैसे हम सामाजिक विज्ञान को बच्चों के बीच कितने आसान तरीके से रख सकें। जिससे बच्चे क्लास में सीखी हुई बात को अपने जीवन में उतार सके और सामाजिक गतिविधियों में शामिल हो सके। शिक्षिका रजनी प्रकाश ने PTEC के व्यवस्थापक को धन्यवाद देते हुए बताया कि यहां शिक्षकों के रहने से लेकर खाने और साफ-सफाई की उत्तम व्यवस्था की गई थी। ट्रेनिंग के दौरान यहां के प्राचार्य डॉ. सुरेश कुमार से भी हमें प्रशिक्षण लेने का मौका मिला। उन्होंने हमारे बीच अपना अनुभव शेयर किया, जिससे हमें बहुत कुछ सीखने को मिला। शिक्षकों के लिए साल में 50 घंटे का ट्रेनिंग अनिवार्य प्राचार्य डॉ. सुरेश कुमार ने बताया कि नई शिक्षा नीति 2020 के आलोक में सभी शिक्षक को हर साल 50 घंटे का प्रशिक्षण लेना है। इसी क्रम में सामाजिक विज्ञान के टीचर्स के लिए 5 दिवसीय ट्रेनिंग का आयोजन किया गया। जिसमें राज्य स्तर से प्राप्त मॉड्यूल के हिसाब से ट्रेनिंग दी जाती है। जिसमें उन्हें बताया गया कि सामाजिक विज्ञान का अध्यापन प्रभावी तरीके से कैसे कराया जाए ताकि बच्चों की समझ ऑप्टीमम लेवल तक विकसित हो सके। उससे अगर कोई सवाल मौखिक या लिखित तरीके से पूछा जाए तो वो उसका जबाव तुरंत दे सके। साथ ही उनकी उपलब्धी बेहतर हो। साथ ही, उन्होंने शिक्षकों को पुराने पारंपरिक तरीके को छोड़कर नवीन तकनीक के माध्यम से पढ़ाने पर जोर दिया। इस प्रशिक्षण कार्य में सीनियर प्रो. मनीष कुमार, प्रो. जया, सुनीता सागर, डॉ. शेमुषी कुमारी, डॉ. राणाप्रताप सिंह, डॉ. शहजादा सलीम शम्स ने अपना योगदान दिया।  

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *