भिवानी के हालुवास गेट पर रेलवे फाटक के नजदीक स्थित शंकर गिरी कॉलोनी के निवासियों ने रेलवे विभाग द्वारा अपनी जमीन के अधिग्रहण के खिलाफ आवाज उठाई। निवासियों ने डीसी को लिखित याचिका सौंपकर जमीन के दोबारा सर्वे की मांग की, ताकि उनकी दशकों पुरानी आवासीय बस्ती को बचाया जा सके। वीरवार को सुरेश शर्मा, अधिवक्ता पवन गौतम, संदीप सिंघल, सचिन शर्मा, अन्नु सोनी, अभिषेक मित्तल, सुमित दहिया, शुभम, बाबूलाल सोनी, बिजेंद्र, सुमित, सतबीर जांगड़ा, हरिओम डीसी को ज्ञापन सौंपने पहुंचे। उन्होंने कहा कि मामला खसरा संख्या 145 और 146 से संबंधित है, जिसे रेलवे विभाग द्वारा नहरी भूमि बताकर अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की गई है। 13 अप्रैल व 15 अक्टूबर को जारी किया नोटिफिकेशन
उन्होंने कहा कि रेलवे विभाग ने 13 अप्रैल को एक नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसमें केवल खसरा संख्या का उल्लेख था। इसके बाद 15 अक्टूबर को एक और नोटिफिकेशन जारी किया, जिसमें कॉलोनी के निवासियों के नाम प्रकाशित किए गए। जिससे यह स्पष्ट हुआ कि उनकी आवासीय कॉलोनी अधिग्रहण की जद में है। कॉलोनी वासियों ने इस अधिग्रहण और नहरी भूमि के दावे को पूरी तरह से गलत बताते हुए, जमीन के मौजूदा और कानूनी स्थिति को उजागर किया। लोग बोले- कॉलोनी दशकों से बसी
कॉलोनी वासियों ने दावा किया कि कॉलोनी दशकों से बसी हुई है और पूरी तरह से आवासीय है। इसमें प्राचीन बाबा जहर गिरी मंदिर और प्रसिद्ध बंसीलाल पार्क जैसे महत्वपूर्ण स्थान शामिल हैं। उन्होंने कहा कि निवासियों के पास घरों की रजिस्ट्री, इंतकाल, नक्शा, पानी के बिल और बिजली के कनेक्शन जैसे सभी वैध दस्तावेज़ मौजूद हैं। कॉलोनी के अधिकांश घरों पर बैंक ऋण लिए गए हैं। निवासियों का तर्क है कि अगर यह जमीन वास्तव में अवैध या सरकारी नहरी भूमि होती, तो बैंक इन घरों पर ऋण नहीं देते।


