जयपुर में आयोजित हरियालो राजस्थान पर्यावरण कॉन्क्लेव में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि प्रकृति के प्रति सम्मान भारतीय संस्कृति की मूल भावना है, यही राज्य सरकार की नीतियों और अभियानों की प्रेरणा है। हमें पर्यावरण संरक्षण को व्यक्तिगत संकल्प के रूप में अपनाने की आवश्यकता है। शर्मा ने कहा कि विकास के साथ पर्यावरण सुरक्षा जरूरी है, ताकि आने वाली पीढ़ियों को सुरक्षित भविष्य मिल सके। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन, वायु प्रदूषण और जल संकट जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार ने पर्यावरण संरक्षण को जनआंदोलन का रूप दिया है। वंदे गंगा जल संरक्षण जन अभियान के जरिए पारंपरिक जल स्रोतों के पुनर्जीवन और बारिश का पानी संचयन को बढ़ावा दिया गया है। वहीं कर्मभूमि से मातृभूमि अभियान के तहत प्रवासी राजस्थानियों की भागीदारी से 14 हजार से अधिक ग्राउंड वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर बनाए गए हैं। उन्होंने बताया कि हरियालो राजस्थान अभियान के अंतर्गत दो वर्षों में करीब 20 करोड़ पौधे लगाए गए हैं। ग्रीन बजट को जलवायु परिवर्तन के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि क्लाइमेट एक्शन प्लान-2030 और क्लीन-ग्रीन टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित किए जा रहे हैं। वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए प्रदेश में सतत वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्रों के जरिए रियल टाइम मॉनिटरिंग की जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ जागरूकता अभियान, सर्कुलर इकोनॉमी इंसेंटिव स्कीम-2025 और ई-वेस्ट, प्लास्टिक वेस्ट और बैटरी वेस्ट के सुरक्षित निस्तारण पर भी जोर दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सौर ऊर्जा उत्पादन में राजस्थान देश में पहले स्थान पर है, इसके साथ ही 22 जिलों में किसानों को दिन में बिजली मिल रही है। कार्यक्रम में संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने भी पर्यावरण संरक्षण को समाज की सामूहिक जिम्मेदारी बताया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने पोस्टर का विमोचन किया और प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया।


