जनजाति गौरव दिवस के अवसर पर 13 से 18 नवम्बर तक गोमतीनगर स्थित इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में ‘जनजाति भागीदारी उत्सव’ का आयोजन होगा। यह महोत्सव केवल सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि भारत की जनजातीय परंपराओं, रहन-सहन और लोक संस्कृति का जीवंत प्रदर्शन बनेगा। आयोजन में 18 राज्यों के करीब 600 जनजातीय कलाकार पारंपरिक गीत, नृत्य और वादन प्रस्तुत कर देश की सांस्कृतिक एकता का संदेश देंगे। अरुणाचल प्रदेश इस उत्सव का भागीदार राज्य रहेगा। जनजातीय समाज की वन संस्कृति, प्रकृति के प्रति आस्था, सहयोग की परंपरा और आत्मनिर्भर जीवनशैली इस आयोजन की आत्मा होगी। प्रदर्शनी में पारंपरिक व्यंजन, हस्तशिल्प, हथकरघा उत्पाद, लोक चित्रकला और आभूषण आकर्षण का केंद्र रहेंगे। असम के लखीमपुर निवासी वरिष्ठ रंगकर्मी दयाल कृष्ण नाठ इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान परिसर को बांस, टेराकोटा लुक और जनजातीय अल्पनाओं से सजा रहे हैं। उनका कहना है,बांस असम की जिंदगी का हिस्सा है, जो घर से लेकर क्राकरी तक में शामिल है। 13 नवम्बर को सांस्कृतिक शोभायात्रा निकाली जाएगी उत्सव की तैयारियां देर रात तक जारी हैं। कहीं चौपाल बन रही है तो कहीं जनजातीय आंगन सजे हैं। उत्तर प्रदेश लोक एवं जनजाति कला संस्कृति संस्थान के निदेशक डॉ. अतुल द्विवेदी ने बताया कि 13 नवम्बर को सुबह 11 बजे 1090 चौराहे से सांस्कृतिक शोभायात्रा निकलेगी। शाम 5 बजे से उद्घाटन सत्र होगा, जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मुख्य अतिथि होंगे। पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण और राज्य मंत्री संजीव कुमार गोंड की उपस्थिति रहेगी। उद्घाटन के बाद असम का बरदोईशिखला, ओडिशा का डुरुआ नृत्य, महाराष्ट्र का लिंगो, छत्तीसगढ़ का मांदरी, राजस्थान का मांगणिहार गायन, गुजरात का मेवासी व सिद्धिधमाल, अरुणाचल का याक न्य्हो, मध्य प्रदेश का भगोरिया व गुदुमबाजा, उत्तर प्रदेश का बुक्सा, शैला, झीझी व मादल वादन तथा बिहार का संथाली नृत्य दर्शकों को मंत्रमुग्ध करेंगे। बीन वादन, रंगोली, नट-नटी और बहुरूपिया कला भी विशेष आकर्षण रहेंगी।


