मनरेगा का नाम बदले जाने को लेकर सियासत गरमा गई है। बिहार कांग्रेस अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष उमैर खान उर्फ टीका खान ने केंद्र सरकार पर सीधा हमला बोला है। गया शहर में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि केंद्र में बैठे लोगों को महात्मा गांधी के नाम से परेशानी है। इसी मानसिकता के तहत मनरेगा का नाम बदलने की कोशिश हो रही है। उन्होंने इसे गलत और दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। उमैर खान ने सवाल उठाया कि राष्ट्रपिता के नाम से चल रही योजना को बदलने की जरूरत क्या है। मनरेगा सिर्फ एक योजना नहीं। यह गांव, गरीब और मजदूर की आजीविका का अहम सहारा है। उमैर खान ने कहा- राज्यों पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा उमैर खान ने कहा कि पहले मनरेगा में 90 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार देती थी और 10 प्रतिशत राज्य सरकार। अब अनुपात बदलकर 60:40 कर दिया गया है। राज्य सरकारों पर अतिरिक्त बोझ डाला जा रहा है। उन्होंने कहा कि आखिर किसी राज्य के पास इतने संसाधन कहां हैं कि वह 40 प्रतिशत खर्च उठा सके। ‘कृषि कानून की तरह इस फैसले को भी वापस लेना चाहिए’ प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि महात्मा गांधी की प्रतिमाएं दुनिया के 80 से ज्यादा देशों में स्थापित हैं। सवाल यह है कि क्या केंद्र सरकार गांधी को हर जगह से हटाएगी। यह सोच देश की आत्मा के खिलाफ है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार लगातार गांधीवादी विचारधारा को कमजोर करने की कोशिश कर रही है। उमैर खान ने किसान आंदोलन का भी जिक्र किया। कहा कि कृषि कानूनों के विरोध में सैकड़ों किसानों की जान गई। आखिरकार केंद्र सरकार को कानून वापस लेने पड़े। उसी तरह मनरेगा को लेकर लिया गया फैसला भी वापस होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ कांग्रेस का मुद्दा नहीं है। यह देश के गरीबों, मजदूरों और ग्रामीण भारत का सवाल है। उन्होंने विपक्षी दलों से अपील की कि वे पार्टी से ऊपर उठकर इस फैसले के खिलाफ एकजुट हों। केंद्र सरकार पर दबाव बनाएं। सड़क से संसद तक आवाज उठाई जाए। अगर जरूरत पड़ी तो आंदोलन भी होगा। मनरेगा का नाम बदले जाने को लेकर सियासत गरमा गई है। बिहार कांग्रेस अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष उमैर खान उर्फ टीका खान ने केंद्र सरकार पर सीधा हमला बोला है। गया शहर में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि केंद्र में बैठे लोगों को महात्मा गांधी के नाम से परेशानी है। इसी मानसिकता के तहत मनरेगा का नाम बदलने की कोशिश हो रही है। उन्होंने इसे गलत और दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। उमैर खान ने सवाल उठाया कि राष्ट्रपिता के नाम से चल रही योजना को बदलने की जरूरत क्या है। मनरेगा सिर्फ एक योजना नहीं। यह गांव, गरीब और मजदूर की आजीविका का अहम सहारा है। उमैर खान ने कहा- राज्यों पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा उमैर खान ने कहा कि पहले मनरेगा में 90 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार देती थी और 10 प्रतिशत राज्य सरकार। अब अनुपात बदलकर 60:40 कर दिया गया है। राज्य सरकारों पर अतिरिक्त बोझ डाला जा रहा है। उन्होंने कहा कि आखिर किसी राज्य के पास इतने संसाधन कहां हैं कि वह 40 प्रतिशत खर्च उठा सके। ‘कृषि कानून की तरह इस फैसले को भी वापस लेना चाहिए’ प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि महात्मा गांधी की प्रतिमाएं दुनिया के 80 से ज्यादा देशों में स्थापित हैं। सवाल यह है कि क्या केंद्र सरकार गांधी को हर जगह से हटाएगी। यह सोच देश की आत्मा के खिलाफ है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार लगातार गांधीवादी विचारधारा को कमजोर करने की कोशिश कर रही है। उमैर खान ने किसान आंदोलन का भी जिक्र किया। कहा कि कृषि कानूनों के विरोध में सैकड़ों किसानों की जान गई। आखिरकार केंद्र सरकार को कानून वापस लेने पड़े। उसी तरह मनरेगा को लेकर लिया गया फैसला भी वापस होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ कांग्रेस का मुद्दा नहीं है। यह देश के गरीबों, मजदूरों और ग्रामीण भारत का सवाल है। उन्होंने विपक्षी दलों से अपील की कि वे पार्टी से ऊपर उठकर इस फैसले के खिलाफ एकजुट हों। केंद्र सरकार पर दबाव बनाएं। सड़क से संसद तक आवाज उठाई जाए। अगर जरूरत पड़ी तो आंदोलन भी होगा।


