CG Electricity Bill: छत्तीसगढ़ में बिजली का मीटर जिले के हर जगह एक जैसी गति से चलता है, लेकिन भुगतान को लेकर नियम सबके लिए समान नहीं दिखते। आम उपभोक्ताओं के लिए बिजली बिल समय पर जमा करना न केवल ज़रूरी है, बल्कि एक-दो माह की देरी पर सीधे कनेक्शन काट दिए जाते हैं। इसके उलट, सरकारी विभाग करोड़ों रुपये का बकाया रखे हुए हैं, फिर भी उन पर कोई ठोस कार्रवाई होती नजर नहीं आ रही।
आंकड़ों के मुताबिक खैरागढ़ संभाग के लगभग 50 शासकीय विभागों पर 20 करोड़ रुपये से अधिक का बिजली बिल बकाया है। वहीं दूसरी ओर, खैरागढ़ क्षेत्र के करीब 33 हजार निजी उपभोक्ताओं पर कुल बकाया राशि महज 4 करोड़ रुपये से कुछ अधिक है। साफ है कि बकाया की असली तस्वीर सरकारी तंत्र से जुड़ी है, लेकिन कार्रवाई का भार आम जनता पर डाला जा रहा है।
CG Electricity Bill: शासकीय विभागों पर भारी बकाया
विभागवार स्थिति पर नजर डालें तो नगरीय निकायों पर लगभग 8.33 करोड़ रुपये का बिजली बिल लंबित है, जबकि पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग पर सबसे ज्यादा करीब 10.50 करोड़ रुपये बकाया है। इसके अलावा शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास, आदिम जाति कल्याण, वन और जल संसाधन विभागों पर भी लाखों से करोड़ों रुपये तक की देनदारी बनी हुई है। इन सभी को जोड़ें तो शासकीय बकाया 20 करोड़ रुपये से ज्यादा पहुंच चुका है।
नोटिस भेजे जा रहे, लेकिन वसूली नदारद
बिजली विभाग का दावा है कि संबंधित शासकीय विभागों से लगातार संपर्क किया जा रहा है, नोटिस जारी किए जा रहे हैं और भुगतान के लिए पत्राचार भी किया जा रहा है। हालांकि हकीकत यह है कि पिछले एक साल में सरकारी विभागों के बकाया में कोई उल्लेखनीय कमी नहीं आई है, जिससे विभागीय दावों पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
जनता पूछ रही है सवाल
अब बड़ा सवाल यही है कि क्या नियम सिर्फ आम उपभोक्ताओं के लिए बने हैं? अगर एक सामान्य नागरिक का कनेक्शन बकाया पर काटा जा सकता है, तो करोड़ों रुपये बकाया रखने वाले शासकीय विभागों पर कार्रवाई क्यों नहीं होती? बिजली विभाग और खैरागढ़ प्रशासन के सामने यह गंभीर चुनौती है कि वे बकाया वसूली में निष्पक्षता दिखाएं और आम जनता के साथ न्याय का भरोसा कायम रखें।


