बिहारशरीफ से कांग्रेस-भाकपा दोनों के प्रत्याशी ने किया नामांकन:राजद के जिलाध्यक्ष बोले- नाम वापसी का दिन अभी बाकी

नालंदा के बिहारशरीफ विधानसभा सीट पर महागठबंधन के अंदर ही सहयोगी दलों के बीच चुनावी जंग छिड़ने की स्थिति बन गई है। नामांकन के अंतिम दिन कांग्रेस और भाकपा दोनों महागठबंधन के घटक दल ने अपने-अपने प्रत्याशियों का नामांकन करा दिया है, जिससे गठबंधन की एकता पर सवाल खड़ा किया है। नामांकन के अंतिम दिन बिहारशरीफ से कांग्रेस के उमेर खां और भाकपा के वरिष्ठ नेता शिवकुमार यादव उर्फ सरदार ने अपना नामांकन दाखिल किया। दोनों प्रत्याशियों के साथ उनके समर्थकों की उत्साहित भीड़ देखी गई, जिसने इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले की संभावना को और पुख्ता कर दिया है। हालांकि, यह मुकाबला महागठबंधन के भीतर होने के कारण इसे ‘दोस्ताना मुकाबला’ का नाम दिया जा रहा है, लेकिन धरातल पर स्थिति काफी जटिल नजर आ रही है। भाकपा बिहारशरीफ विधानसभा क्षेत्र को अपना पारंपरिक गढ़ मानती रही है। इतिहास भी इस दावे की पुष्टि करता है। साल 1967 में पहली बार भाकपा ने इस सीट पर विजय कुमार के नेतृत्व में अपना परचम लहराया था। उन्होंने 1969 में भी जीत दोहराई। विजय कुमार यादव पार्टी से तीन बार सांसद चुने गए साल 1977 और 1980 में देवनाथ प्रसाद ने लगातार यह सीट पार्टी के नाम की। कुल मिलाकर भाकपा के प्रत्याशी इस सीट से चार बार विधायक बन चुके हैं। इतना ही नहीं, नालंदा लोकसभा सीट से भी विजय कुमार यादव पार्टी की ओर से तीन बार सांसद चुने गए। यही कारण है कि भाकपा इस सीट पर अपना दावा मजबूत मानती है और किसी भी कीमत पर इसे छोड़ने को तैयार नहीं दिख रही। भाकपा के डॉ. मनोज कुमार ने स्पष्ट किया कि पार्टी के प्रदेश स्तरीय नेतृत्व ने शिवकुमार यादव को प्रतीक चिह्न आवंटित किया है। शिवकुमार कई सालों से पार्टी में सक्रिय हैं और क्षेत्र में जनता के लिए निरंतर काम कर रहे हैं। यहां पार्टी का मजबूत कैडर वोट है। लोकसभा चुनाव में भी हमें टिकट इसी आधार पर दिया गया था। शिवकुमार यादव के नामांकन के दौरान भाकपा के राज्य कार्यकारिणी सदस्य प्रभात कुमार पांडेय और ऑल इंडिया यूथ फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष रौशन कुमार सहित कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे। उमेर खां को मैदान में उतार दिया दूसरी ओर, कांग्रेस ने भी अपने प्रत्याशी उमेर खां को मैदान में उतार दिया है। पार्टी का मानना है कि इस सीट पर उसकी भी मजबूत दावेदारी है और वह चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंकने को तैयार है। कांग्रेस समर्थकों ने भी नामांकन के दौरान जोरदार प्रदर्शन किया। महागठबंधन के जिला स्तरीय नेताओं ने कहा है कि मामला सुलझ जाएगा। कांग्रेस के जिलाध्यक्ष नरेश प्रसाद अकेला ने इसे गलतफहमी करार देते हुए कहा कि इस बारे में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को सूचित कर दिया गया है। मंथन चल रहा है। जल्द ही प्रदेश और जिला स्तर पर सभी दलों के नेता मिलकर इस मामले को सुलझाने का प्रयास करेंगे। राजद के जिलाध्यक्ष अशोक कुमार हिमांशु ने भी आशा व्यक्त करते हुए कहा कि अभी तो सिर्फ नामांकन हुआ है। नाम वापसी का दिन अभी बाकी है। महागठबंधन के सभी दलों के नेता आपस में बातचीत कर रहे हैं। उम्मीद है कि सभी दल एकजुट होकर चुनाव लड़ेंगे। नालंदा के बिहारशरीफ विधानसभा सीट पर महागठबंधन के अंदर ही सहयोगी दलों के बीच चुनावी जंग छिड़ने की स्थिति बन गई है। नामांकन के अंतिम दिन कांग्रेस और भाकपा दोनों महागठबंधन के घटक दल ने अपने-अपने प्रत्याशियों का नामांकन करा दिया है, जिससे गठबंधन की एकता पर सवाल खड़ा किया है। नामांकन के अंतिम दिन बिहारशरीफ से कांग्रेस के उमेर खां और भाकपा के वरिष्ठ नेता शिवकुमार यादव उर्फ सरदार ने अपना नामांकन दाखिल किया। दोनों प्रत्याशियों के साथ उनके समर्थकों की उत्साहित भीड़ देखी गई, जिसने इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले की संभावना को और पुख्ता कर दिया है। हालांकि, यह मुकाबला महागठबंधन के भीतर होने के कारण इसे ‘दोस्ताना मुकाबला’ का नाम दिया जा रहा है, लेकिन धरातल पर स्थिति काफी जटिल नजर आ रही है। भाकपा बिहारशरीफ विधानसभा क्षेत्र को अपना पारंपरिक गढ़ मानती रही है। इतिहास भी इस दावे की पुष्टि करता है। साल 1967 में पहली बार भाकपा ने इस सीट पर विजय कुमार के नेतृत्व में अपना परचम लहराया था। उन्होंने 1969 में भी जीत दोहराई। विजय कुमार यादव पार्टी से तीन बार सांसद चुने गए साल 1977 और 1980 में देवनाथ प्रसाद ने लगातार यह सीट पार्टी के नाम की। कुल मिलाकर भाकपा के प्रत्याशी इस सीट से चार बार विधायक बन चुके हैं। इतना ही नहीं, नालंदा लोकसभा सीट से भी विजय कुमार यादव पार्टी की ओर से तीन बार सांसद चुने गए। यही कारण है कि भाकपा इस सीट पर अपना दावा मजबूत मानती है और किसी भी कीमत पर इसे छोड़ने को तैयार नहीं दिख रही। भाकपा के डॉ. मनोज कुमार ने स्पष्ट किया कि पार्टी के प्रदेश स्तरीय नेतृत्व ने शिवकुमार यादव को प्रतीक चिह्न आवंटित किया है। शिवकुमार कई सालों से पार्टी में सक्रिय हैं और क्षेत्र में जनता के लिए निरंतर काम कर रहे हैं। यहां पार्टी का मजबूत कैडर वोट है। लोकसभा चुनाव में भी हमें टिकट इसी आधार पर दिया गया था। शिवकुमार यादव के नामांकन के दौरान भाकपा के राज्य कार्यकारिणी सदस्य प्रभात कुमार पांडेय और ऑल इंडिया यूथ फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष रौशन कुमार सहित कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे। उमेर खां को मैदान में उतार दिया दूसरी ओर, कांग्रेस ने भी अपने प्रत्याशी उमेर खां को मैदान में उतार दिया है। पार्टी का मानना है कि इस सीट पर उसकी भी मजबूत दावेदारी है और वह चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंकने को तैयार है। कांग्रेस समर्थकों ने भी नामांकन के दौरान जोरदार प्रदर्शन किया। महागठबंधन के जिला स्तरीय नेताओं ने कहा है कि मामला सुलझ जाएगा। कांग्रेस के जिलाध्यक्ष नरेश प्रसाद अकेला ने इसे गलतफहमी करार देते हुए कहा कि इस बारे में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को सूचित कर दिया गया है। मंथन चल रहा है। जल्द ही प्रदेश और जिला स्तर पर सभी दलों के नेता मिलकर इस मामले को सुलझाने का प्रयास करेंगे। राजद के जिलाध्यक्ष अशोक कुमार हिमांशु ने भी आशा व्यक्त करते हुए कहा कि अभी तो सिर्फ नामांकन हुआ है। नाम वापसी का दिन अभी बाकी है। महागठबंधन के सभी दलों के नेता आपस में बातचीत कर रहे हैं। उम्मीद है कि सभी दल एकजुट होकर चुनाव लड़ेंगे।  

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