सहरसा सदर थाना में आउटसोर्सिंग वाहन चालक की नियुक्ति में बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। चरित्र सत्यापन के दौरान अभ्यर्थी कुंदन कुमार के खिलाफ तीन गंभीर आपराधिक मामले सामने आए, जबकि उन्होंने शपथ-पत्र में खुद को निर्दोष बताया था। मामले की गंभीरता को देखते हुए सदर थानाध्यक्ष सुबोध कुमार ने आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। यह मामला बिहार पुलिस महानिदेशक (मुख्यालय) पटना के 07 अक्टूबर 2025 के कार्यालय पत्र संख्या पी–04/04-1-29-2025/145 के तहत सामने आया है। इस आदेश के अनुसार, सहरसा जिले के लिए 15 आउटसोर्सिंग वाहन चालकों की नियुक्ति का निर्देश दिया गया था। इस सूची में कुंदन कुमार का नाम क्रम संख्या–760 पर दर्ज था। आपराधिक मामलों से संबंधित शपथ-पत्र की जांच नियुक्ति प्रक्रिया के निर्देशों के अनुसार, सभी अभ्यर्थियों से आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस और आपराधिक मामलों से संबंधित शपथ-पत्र की जांच अनिवार्य थी। कुंदन कुमार ने 22 नवंबर को योगदान से पहले सभी आवश्यक दस्तावेज और सहरसा सिविल कोर्ट के नोटरी पब्लिक से जारी शपथ-पत्र प्रस्तुत किया। इस शपथ-पत्र के पैरा-4 में उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा था कि उनके खिलाफ न कोई आपराधिक मामला लंबित है और न ही किसी थाने में कोई जांच चल रही है। 3 गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हालांकि, सहरसा पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर किए गए चरित्र सत्यापन में सच्चाई इसके विपरीत पाई गई। सदर थाना द्वारा उपलब्ध कराई गई रिपोर्ट में कुंदन कुमार पर तीन गंभीर आपराधिक मामले दर्ज मिले। इनमें कांड संख्या 1276/24 (21.11.2024) में आर्म्स एक्ट सहित कई धाराएं, कांड संख्या 1462/24 (30.12.2024) में आर्म्स एक्ट, और कांड संख्या 1233/25 (03.11.2025) में भारतीय दंड संहिता की गंभीर धाराएं शामिल हैं। धोखा देने के इरादे से फर्जी शपथ-पत्र किया तैयार चरित्र सत्यापन में सामने आए तथ्यों से यह स्पष्ट हो गया कि कुंदन कुमार ने विभाग को धोखा देने के इरादे से फर्जी शपथ-पत्र तैयार किया और अपने खिलाफ दर्ज मामलों को जानबूझकर छुपाया। इसे संविदा नियुक्ति प्रक्रिया में गंभीर जालसाजी और धोखाधड़ी माना गया है। इसके बाद, संबंधित अधिकारी ने प्रस्तुत दस्तावेजों और सत्यापन रिपोर्ट के आधार पर आरोपी के विरुद्ध सहरसा सदर थाना में सुसंगत धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की। सहरसा सदर थाना में आउटसोर्सिंग वाहन चालक की नियुक्ति में बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। चरित्र सत्यापन के दौरान अभ्यर्थी कुंदन कुमार के खिलाफ तीन गंभीर आपराधिक मामले सामने आए, जबकि उन्होंने शपथ-पत्र में खुद को निर्दोष बताया था। मामले की गंभीरता को देखते हुए सदर थानाध्यक्ष सुबोध कुमार ने आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। यह मामला बिहार पुलिस महानिदेशक (मुख्यालय) पटना के 07 अक्टूबर 2025 के कार्यालय पत्र संख्या पी–04/04-1-29-2025/145 के तहत सामने आया है। इस आदेश के अनुसार, सहरसा जिले के लिए 15 आउटसोर्सिंग वाहन चालकों की नियुक्ति का निर्देश दिया गया था। इस सूची में कुंदन कुमार का नाम क्रम संख्या–760 पर दर्ज था। आपराधिक मामलों से संबंधित शपथ-पत्र की जांच नियुक्ति प्रक्रिया के निर्देशों के अनुसार, सभी अभ्यर्थियों से आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस और आपराधिक मामलों से संबंधित शपथ-पत्र की जांच अनिवार्य थी। कुंदन कुमार ने 22 नवंबर को योगदान से पहले सभी आवश्यक दस्तावेज और सहरसा सिविल कोर्ट के नोटरी पब्लिक से जारी शपथ-पत्र प्रस्तुत किया। इस शपथ-पत्र के पैरा-4 में उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा था कि उनके खिलाफ न कोई आपराधिक मामला लंबित है और न ही किसी थाने में कोई जांच चल रही है। 3 गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हालांकि, सहरसा पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर किए गए चरित्र सत्यापन में सच्चाई इसके विपरीत पाई गई। सदर थाना द्वारा उपलब्ध कराई गई रिपोर्ट में कुंदन कुमार पर तीन गंभीर आपराधिक मामले दर्ज मिले। इनमें कांड संख्या 1276/24 (21.11.2024) में आर्म्स एक्ट सहित कई धाराएं, कांड संख्या 1462/24 (30.12.2024) में आर्म्स एक्ट, और कांड संख्या 1233/25 (03.11.2025) में भारतीय दंड संहिता की गंभीर धाराएं शामिल हैं। धोखा देने के इरादे से फर्जी शपथ-पत्र किया तैयार चरित्र सत्यापन में सामने आए तथ्यों से यह स्पष्ट हो गया कि कुंदन कुमार ने विभाग को धोखा देने के इरादे से फर्जी शपथ-पत्र तैयार किया और अपने खिलाफ दर्ज मामलों को जानबूझकर छुपाया। इसे संविदा नियुक्ति प्रक्रिया में गंभीर जालसाजी और धोखाधड़ी माना गया है। इसके बाद, संबंधित अधिकारी ने प्रस्तुत दस्तावेजों और सत्यापन रिपोर्ट के आधार पर आरोपी के विरुद्ध सहरसा सदर थाना में सुसंगत धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की।


