जमुई सदर अस्पताल के दोनों ऑक्सीजन प्लांट एक महीने से खराब हैं। इमरजेंसी वार्ड के चार में से तीन फ्लोमीटर भी काम नहीं कर रहे हैं। रविवार को एक वृद्ध महिला मरीज की हालत बिगड़ने पर ड्यूटी पर तैनात कर्मियों ने ऑक्सीजन सिलेंडर से उसकी जान बचाई, जिसके बाद उसे पटना रेफर किया गया। कोरोना काल में लगाए गए था प्लांट कोरोना काल में प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री फंड से दो ऑक्सीजन प्लांट लगाए गए थे। ये प्लांट टेक्नीशियन के अभाव में अक्सर खराब रहते हैं। पिछले एक महीने से दोनों प्लांट पूरी तरह बंद हैं। अस्पताल प्रतिदिन 15,000 रुपये खर्च कर 15 ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदकर मरीजों को उपलब्ध करा रहा है। रविवार को लक्ष्मीपुर प्रखंड की 65 वर्षीय अहिल्या देवी को सांस लेने में दिक्कत होने पर उनकी बेटी काजल कुमारी उन्हें सदर अस्पताल लाईं। इमरजेंसी वार्ड पहुंचने पर पता चला कि ऑक्सीजन प्लांट खराब हैं और फ्लोमीटर भी काम नहीं कर रहे हैं। मरीज की बेटी काजल कुमारी के अनुसार, लगभग 20 मिनट तक ऑक्सीजन न मिलने के कारण अहिल्या देवी की हालत बिगड़ने लगी। परिजनों ने उन्हें स्ट्रेचर से एंबुलेंस तक पहुंचाया। ड्यूटी पर तैनात इमरजेंसी के कर्मी और सुरक्षा कर्मियों ने तुरंत ऑक्सीजन सिलेंडर लाकर गंभीर महिला मरीज को ऑक्सीजन दिया, जिससे उनकी जान बच सकी। हालांकि, इस दौरान मरीज की स्थिति गंभीर हो गई थी। प्रारंभिक इलाज के बाद चिकित्सक ने उन्हें बेहतर इलाज के लिए पटना रेफर कर दिया। अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट और फ्लोमीटर की खराबी के कारण मरीजों को इलाज के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। ऑक्सीजन के बाद भी सुधार नहीं,पटना रेफर वहीं गंभीर मरीज अहिल्या देवी की पुत्री काजल कुमारी ने बताया कि जब वह अपनी मां को इलाज के लिए लेकर अस्पताल पहुंची तो उन्हें 20 मिनट तक ऑक्सीजन के लिए इंतजार करना पड़ा। हालाकि वहां मौजूद एक कर्मी और सुरक्षा कर्मी की मदत से ऑक्सीजन सिलेंडर से ही उनकी मां को ऑक्सीजन दिया गया लेकिन तब तक उनकी हालत गंभीर हो गई थी इस कारण उन्होंने पटना रेफर कर दिया गया। बता दे की सदर अस्पताल में दो ऑक्सीजन प्लांट लगाए गए लेकिन 4 सालों में एक ही टेक्नीशियन से दोनों ऑक्सीजन प्लांट को 24 घंटे संचालित किया जाता था। जिस कारण आए दिन ऑक्सीजन प्लांट में खराबी आ रही थी और वहां के टेक्नीशियन श्रवण कुमार को भी ओवरटाइम करना पड़ता था।
जिससे उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था कई बार उसके द्वारा डीएम और सिविल सर्जन को आवेदन भी लिखा गया लेकिन टेक्नीशियन की बहाली नहीं की गई। इतना ही नहीं बल्कि श्रवण कुमार ने बताया कि 6 माह तक उनसे काम करवाया गया उनका वेतन का भी भुगतान नहीं कराया गया। जिस कारण वह एक माह पहले इस्तीफा देकर निजी क्लीनिक में काम करने को मजबूर हो गए। बताया जाता है कि सदर अस्पताल परिसर में बनाए गए मुख्यमंत्री केयर योजना के द्वारा बनाए गए ऑक्सीजन प्लांट में कंप्रेसर में खराबी आई है। जबकि प्रधानमंत्री केयर योजना के तहत लगाए गए ऑक्सीजन प्लांट में सर्व स्टेबलाइजर में तकनीकी खराबी आई है लेकिन अब तक उसकी मरम्मती नहीं की गई। दोनों ऑक्सीजन प्लांट को चलाने के लिए टेक्नीशियन नहीं सदर अस्पताल प्रबंधक रमेश पांडेय ने बताया कि,कोटएक ऑक्सीजन प्लांट चल रहा है,खराब फ्लोमीटर को भी बदल दिया गयासदर अस्पताल में दो ऑक्सीजन प्लांट है जिसमें एक प्लांट में तकनीकि खराबी आई है। जिस कारण समस्या हो रही थी लेकिन ऑक्सीजन सिलेंडर से मरीजों को ऑक्सीजन सप्लाय किया जा रहा है। इमरजेंसी वार्ड में खराब सभी फ्लोमीटर को भी बदल दिया गया है। दोनों ऑक्सीजन प्लांट को चलाने के लिए टेक्नीशियन नहीं है। इसको लेकर विभाग को पत्र लिख गया है। जमुई सदर अस्पताल के दोनों ऑक्सीजन प्लांट एक महीने से खराब हैं। इमरजेंसी वार्ड के चार में से तीन फ्लोमीटर भी काम नहीं कर रहे हैं। रविवार को एक वृद्ध महिला मरीज की हालत बिगड़ने पर ड्यूटी पर तैनात कर्मियों ने ऑक्सीजन सिलेंडर से उसकी जान बचाई, जिसके बाद उसे पटना रेफर किया गया। कोरोना काल में लगाए गए था प्लांट कोरोना काल में प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री फंड से दो ऑक्सीजन प्लांट लगाए गए थे। ये प्लांट टेक्नीशियन के अभाव में अक्सर खराब रहते हैं। पिछले एक महीने से दोनों प्लांट पूरी तरह बंद हैं। अस्पताल प्रतिदिन 15,000 रुपये खर्च कर 15 ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदकर मरीजों को उपलब्ध करा रहा है। रविवार को लक्ष्मीपुर प्रखंड की 65 वर्षीय अहिल्या देवी को सांस लेने में दिक्कत होने पर उनकी बेटी काजल कुमारी उन्हें सदर अस्पताल लाईं। इमरजेंसी वार्ड पहुंचने पर पता चला कि ऑक्सीजन प्लांट खराब हैं और फ्लोमीटर भी काम नहीं कर रहे हैं। मरीज की बेटी काजल कुमारी के अनुसार, लगभग 20 मिनट तक ऑक्सीजन न मिलने के कारण अहिल्या देवी की हालत बिगड़ने लगी। परिजनों ने उन्हें स्ट्रेचर से एंबुलेंस तक पहुंचाया। ड्यूटी पर तैनात इमरजेंसी के कर्मी और सुरक्षा कर्मियों ने तुरंत ऑक्सीजन सिलेंडर लाकर गंभीर महिला मरीज को ऑक्सीजन दिया, जिससे उनकी जान बच सकी। हालांकि, इस दौरान मरीज की स्थिति गंभीर हो गई थी। प्रारंभिक इलाज के बाद चिकित्सक ने उन्हें बेहतर इलाज के लिए पटना रेफर कर दिया। अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट और फ्लोमीटर की खराबी के कारण मरीजों को इलाज के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। ऑक्सीजन के बाद भी सुधार नहीं,पटना रेफर वहीं गंभीर मरीज अहिल्या देवी की पुत्री काजल कुमारी ने बताया कि जब वह अपनी मां को इलाज के लिए लेकर अस्पताल पहुंची तो उन्हें 20 मिनट तक ऑक्सीजन के लिए इंतजार करना पड़ा। हालाकि वहां मौजूद एक कर्मी और सुरक्षा कर्मी की मदत से ऑक्सीजन सिलेंडर से ही उनकी मां को ऑक्सीजन दिया गया लेकिन तब तक उनकी हालत गंभीर हो गई थी इस कारण उन्होंने पटना रेफर कर दिया गया। बता दे की सदर अस्पताल में दो ऑक्सीजन प्लांट लगाए गए लेकिन 4 सालों में एक ही टेक्नीशियन से दोनों ऑक्सीजन प्लांट को 24 घंटे संचालित किया जाता था। जिस कारण आए दिन ऑक्सीजन प्लांट में खराबी आ रही थी और वहां के टेक्नीशियन श्रवण कुमार को भी ओवरटाइम करना पड़ता था।
जिससे उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था कई बार उसके द्वारा डीएम और सिविल सर्जन को आवेदन भी लिखा गया लेकिन टेक्नीशियन की बहाली नहीं की गई। इतना ही नहीं बल्कि श्रवण कुमार ने बताया कि 6 माह तक उनसे काम करवाया गया उनका वेतन का भी भुगतान नहीं कराया गया। जिस कारण वह एक माह पहले इस्तीफा देकर निजी क्लीनिक में काम करने को मजबूर हो गए। बताया जाता है कि सदर अस्पताल परिसर में बनाए गए मुख्यमंत्री केयर योजना के द्वारा बनाए गए ऑक्सीजन प्लांट में कंप्रेसर में खराबी आई है। जबकि प्रधानमंत्री केयर योजना के तहत लगाए गए ऑक्सीजन प्लांट में सर्व स्टेबलाइजर में तकनीकी खराबी आई है लेकिन अब तक उसकी मरम्मती नहीं की गई। दोनों ऑक्सीजन प्लांट को चलाने के लिए टेक्नीशियन नहीं सदर अस्पताल प्रबंधक रमेश पांडेय ने बताया कि,कोटएक ऑक्सीजन प्लांट चल रहा है,खराब फ्लोमीटर को भी बदल दिया गयासदर अस्पताल में दो ऑक्सीजन प्लांट है जिसमें एक प्लांट में तकनीकि खराबी आई है। जिस कारण समस्या हो रही थी लेकिन ऑक्सीजन सिलेंडर से मरीजों को ऑक्सीजन सप्लाय किया जा रहा है। इमरजेंसी वार्ड में खराब सभी फ्लोमीटर को भी बदल दिया गया है। दोनों ऑक्सीजन प्लांट को चलाने के लिए टेक्नीशियन नहीं है। इसको लेकर विभाग को पत्र लिख गया है।


