ऑनलाइन फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म स्विगी का जुलाई-सितंबर तिमाही में नेट लॉस यानी शुद्ध घाटा सालाना आधार पर 74% बढ़कर ₹1,092 करोड़ रहा। पिछले साल की समान तिमाही में कंपनी को ₹626 करोड़ का घाटा हुआ था। वहीं कंपनी के ऑपरेशनल रेवेन्यू में भी 54% की बढ़ोतरी हुई है। इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में कंपनी का ऑपरेशनल रेवेन्यू 5,561करोड़ रुपए रहा। पिछले साल की समान तिमाही में कंपनी ने ₹3,601 करोड़ का रेवेन्यू जनरेट किया था। कंपनी का शेयर इस साल 23% गिरा स्विगी का शेयर आज 0.23% की गिरावट के साथ 418 रुपए पर बंद हुआ है। बीते 1 महीने में कंपनी का शेयर 1%, छह महीने में 32% चढ़ा है। वहीं एक साल में 8% गिरा है। कंपनी का मार्केट कैप 95.65 हजार करोड़ रुपए है। स्विगी 13 नवंबर 2024 को शेयर बाजार में लिस्ट हुई थी, तब से अब तक इसके शेयर में 3% की गिरावट आई है। कंपनी की बेंगलुरु से हुई शुरुआत स्विगी की शुरुआत बेंगलुरु के कोरामंगला से हुई थी। फाउंडर्स नंदन रेड्डी और श्रीहर्षा मजेटी ने कुछ डिलीवरी पार्टनर और लगभग 25 रेस्टोरेंट से जुड़कर कंपनी शुरू की। उस वक्त स्विगी ऐप पर मौजूद नहीं था। इसलिए लोग उसकी वेबसाइट पर जाकर अपने मनपसंद रेस्टोरेंट को चुनकर फूड ऑर्डर करते थे। स्विगी की सर्विस लोगों को काफी अच्छी लगने लगी और इससे कंपनी को पहचान मिलनी शुरू हो गई। कंपनी ने 2015 के शुरुआती महीनों में खुद का ऐप लॉन्च किया। ऐप की मदद से फूड ऑर्डर करना कस्टमर के लिए आसान हो गया। भारत की सबसे तेज यूनिकॉर्न स्विगी भारत की सबसे तेज यूनिकॉर्न बनने वाली कंपनी है। यूनिकॉर्न तक का सफर तय करने में कंपनी को 4 साल से भी कम समय लगा। 2014 में शुरू हुई कंपनी 2018 तक 10 हजार करोड़ की वैल्यूएशन वाली कंपनी बन गई थी।
स्विगी का घाटा 74% बढ़ा:जुलाई-सितंबर तिमाही में नेट लॉस ₹1,092 करोड़ पहुंचा; शेयर इस साल 23% गिरा


