अखलाक लिंचिंग केस में सरकार को बड़ा झटका, कोर्ट ने खारिज की केस वापसी की याचिका, अब रोज होगी सुनवाई

अखलाक लिंचिंग केस में सरकार को बड़ा झटका, कोर्ट ने खारिज की केस वापसी की याचिका, अब रोज होगी सुनवाई

Akhlaq Mob lynching: उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में हुए बहुचर्चित मोहम्मद अखलाक मॉब लिंचिंग मामले में एक बार फिर न्यायिक प्रक्रिया चर्चा के केंद्र में आ गई है। इस मामले में अदालत से यूपी सरकार को झटका लगा है। साल 2015 में बिसाहड़ा गांव में घटित इस मामले को लेकर सूरजपुर स्थित फास्ट ट्रैक कोर्ट में मंगलवार को अहम सुनवाई हुई, जिसमें अदालत ने यूपी सरकार की ओर से मुकदमा वापस लेने की याचिका को खारिज कर दिया। बता दें कि इस केस में अखलाक की बेटी शाइस्ता की गवाही हो चुकी है। शाइस्ता इस केस की चश्मदीद गवाह है। वहीं, इस मामले में अब अगली सुनवाई 6 जनवरी को होगी।

दरअसल, इस मामले में मंगलवार को ग्रेटर नोएडा के सूरजपुर स्थित अदालत सुनवाई हुई, जिसमें कोर्ट ने यूपी सरकार की याचिका खारिज कर दी। इस याचिका में अखलाक की हत्या के आरोपियों के खिलाफ मामला वापस लेने की मांग की गई थी। वकील यूसुफ सैफी ने बताया कि अतिरिक्त जिला एंव सत्र न्यायाधीश की अदालत ने अभियोजन पक्ष की ओर से दायर याचिका को ‘निराधार’ बताते हुए खारिज कर दिया। वहीं, अभी इस मामले में बेटी शाइस्ता के अलावा अखलाक की पत्नी इकरामन और बेटे दानिश भी गवाह हैं। अभी इनकी गवाही होनी बाकी है, इनके साथ अन्य गवाहों की गवाही होनी है। केस की प्रतिदिन सुनवाई होने से पीड़ित पक्ष को जल्द इंसाफ होने उम्मीद है। ऐसे में 10 साल पुराना केस एक बार फिर जिंदा हो गया है।

क्या था अखलाक मॉब लिंचिंग मामला?

आपको बता दें कि यह मामला दस साल पुरानी है, दादरी से सटे बिसाहड़ा गांव में अखलाक का परिवार करीब सात दशकों से रह रहा था। उस गांव मे अखलाक के परिवार से किसी की कोई दुश्मनी नहीं थी। अखलाक के बड़े बेटे मोहम्मद सरताज उस समय भारतीय वायु सेना में थे और उनकी चेन्नई में पोस्टिंग थी। घटना 28 सितंबर 2015 की है, शाम का वक्त था और अचानक गांव में गौ हत्या करने की अफवाह फैल गई। जिसके बाद मंदिर के लाउडस्पीकर से इस घटना के बारे एलान किया गया, इसके बाद ही माहौल तनावपूर्ण होने लगा। धीरे-धीरे गांव के लोग इकट्ठा होने लगे और रात करीब साढ़े दस बजे एक भीड़ अखलाक के घर पहुंच गई। उस समय परिवार भोजन कर आराम की तैयारी कर रहा था और अखलाक अपने बेटे दानिश के साथ सो रहे थे। आरोपों के आधार पर भीड़ घर में घुसी और फ्रिज से मांस निकालकर विवाद करने लगी। परिवार ने बताया कि यह गौ मांस नहीं बल्कि मटन है, लेकिन उग्र भीड़ ने उनकी बात नहीं मानी गई। इसके बाद अखलाक और दानिश को घर से बाहर निकालकर उनके साथ मारपीट की गई, जिसमें अखलाक की मौत हो गई, जबकि दानिश गंभीर रूप से घायल हो गए और उनका लंबे समय तक इलाज चला।

अब तक कानून ने क्या किया ?

इस घटना की शुरुआती जांच के दौरान पुलिस ने हत्या सहित आईपीसी की विभिन्न धाराओं में 10 नामजद और कई अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। बाद में जांच आगे बढ़ने पर आरोपियों की संख्या बढ़कर18 हो गई, जिनमें तीन नाबालिग भी शामिल पाए गए। इस बीच दो आरोपियों की मौत हो चुकी है, जबकि शेष सभी आरोपी फिलहाल जमानत पर बाहर हैं। दिसंबर 2015 में मामले में चार्जशीट दाखिल कर दी गई थी, लेकिन इसकी नियमित सुनवाई फरवरी 2021 से ही शुरू हो सकी। कोविड-19 महामारी, बार-बार सुनवाई की तारीखें टलने और प्रशासनिक अड़चनों के चलते यह मामला लंबे समय तक न्यायिक प्रक्रिया में उलझा रहा।

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