भोपाल मेट्रो की शुरुआत 21 दिसंबर को होगी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने खजुराहो के कन्वेंशन सेंटर में सोमवार को प्रेस से चर्चा करते हुए कहा- हमने दो साल के कामों की समीक्षा और आगे के तीन साल के टारगेट तय करने का निर्णय किया है। 21 तारीख को भोपाल में मेट्रो ट्रेन समेत विकास की कुछ और सौगात दिलाएंगे। 25 दिसंबर को अटल जी की जन्म शताब्दी के समापन पर दो लाख करोड़ के उद्योगों के भूमिपूजन-लोकार्पण करेंगे। हालांकि, भोपाल मेट्रो के उद्घाटन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मध्य प्रदेश आना तय नहीं है। दरअसल, बीते हफ्ते कमिश्नर मेट्रो रेल सेफ्टी (CMRS) ने भोपाल मेट्रो के प्रायोरिटी कॉरिडोर के लिए ग्रीन सिग्नल दे दिया था। सीएमआरएस टीम 12 नवंबर को भोपाल पहुंची थी। 13, 14 और 15 नवंबर को टीम ने डिपो से लेकर ट्रैक और ट्रेन तक निरीक्षण किया था। कमिश्नर नीलाभ्र सेनगुप्ता के साथ टीम ने मेट्रो के नट-बोल्ट भी देखे थे। इसके बाद टीम वापस लौट गई थी। अफसर बोले- काम बचा लेकिन कमर्शियल रन पर असर नहीं
भोपाल मेट्रो से जुड़े अफसरों का कहना है कि ऑरेंज लाइन के कमर्शियल रन के लिए वे सभी काम पूरे हो चुके हैं, जो जरूरी हैं। स्टेशनों का कुछ काम जरूर बचा है, लेकिन उससे कमर्शियल रन पर कोई असर नहीं पड़ेगा। भोपाल मेट्रो की ऑरेंज लाइन का प्रायोरिटी कॉरिडोर 6.22 किलोमीटर लंबा है। इसमें कुल 8 स्टेशन- सुभाष नगर, केंद्रीय स्कूल, डीबी मॉल, एमपी नगर, रानी कमलापति, डीआरएम तिराहा, अलकापुरी और एम्स शामिल हैं। इस तरह चल रही हैं मेट्रो की तैयारियां… किराया तय, 7 दिन फ्री सफर
मेट्रो में सफर के लिए किराया भी लगभग तय किया जा चुका है। एमपी नगर स्टेशन पर तो किराया सूची भी चस्पा कर दी गई है। हालांकि, मेट्रो कॉर्पोरेशन ने आधिकारिक रूप से किराए का खुलासा नहीं किया है, लेकिन इंदौर जैसा मॉडल ही अपनाए जाने की बात कही जा रही है। अफसरों की मानें तो 7 दिन तक लोग मेट्रो में फ्री सफर कर सकेंगे। वहीं, 3 महीने तक टिकट पर 75%, 50% और 25% की छूट दी जाएगी। छूट खत्म होने के बाद सिर्फ 20 रुपए में मेट्रो का सफर किया जा सकेगा। अधिकतम किराया 80 रुपए होगा। 31 मई को इंदौर में चलाई गई मेट्रो के लिए भी यही मॉडल रहा था। अधिकतम 80 रुपए किराया तब होगा, जब ऑरेंज लाइन के रूट का काम पूरा हो जाएगा। 30 से 80 किमी प्रति घंटा रहेगी मेट्रो की स्पीड
भोपाल के सुभाष नगर से एम्स तक मेट्रो कोच को ट्रैक पर दौड़ाकर ट्रायल रन किया जा रहा है। ट्रायल रन में न्यूनतम 30 और अधिकतम 80 किमी प्रतिघंटा रफ्तार रखी जा रही है। बीच-बीच में 100 से 120 किमी की रफ्तार से भी मेट्रो दौड़ाई जा रही है। ट्रेन की तर्ज पर मेट्रो में भी मैनुअल टिकट लेनी पड़ेगी
मेट्रो का टिकट सिस्टम ऑनलाइन न होकर मैनुअल ही रहेगा। जैसे आप ट्रेन में टिकट लेकर सफर करते हैं, वैसे ही मेट्रो में भी कर सकेंगे। इंदौर में अभी यही सिस्टम है। भोपाल और इंदौर मेट्रो में ऑटोमैटिक फेयर कलेक्शन सिस्टम लगाने वाली तुर्किए की कंपनी ‘असिस गार्ड’ से काम छिनने और नई कंपनी के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू किए जाने से यह स्थिति बनेगी। बता दें कि असिस गार्ड का मामला पिछले 4 महीने से सुर्खियों में था। आखिरकार अगस्त में असिस गार्ड का टेंडर कैंसिल कर दिया गया। नई कंपनी के लिए टेंडर भी कॉल किए हैं। इस पूरी प्रक्रिया में दो से तीन महीने का वक्त लग सकता है। मैनुअल टिकट ही एकमात्र ऑप्शन
अफसरों ने बताया कि असिस गार्ड कंपनी इंदौर में भी मेट्रो स्टेशनों पर सिस्टम लगा रही थी, लेकिन विवाद के बाद इंदौर में मैनुअल टिकट ही ऑप्शन बचा था। पिछले 6 महीने से इंदौर में ट्रेन जैसा ही सिस्टम है। इसमें मेट्रो के कर्मचारी ही तैनात किए गए हैं। यही ऑप्शन अब भोपाल मेट्रो के लिए भी बचा है। दरअसल, ‘असिस गार्ड’ के जिम्मे ही सबसे महत्वपूर्ण ऑटोमैटिक फेयर कलेक्शन यानी किराया लेने की पूरी प्रक्रिया का सिस्टम तैयार करने का काम था। जिसमें कार्ड के जरिए किराया लेने के बाद ही गेट खुलना भी शामिल है। यह कंपनी सिस्टम का पूरा मेंटेनेंस भी करती। अब अनुबंध खत्म होने पर नई कंपनी काम करेगी, लेकिन उसे टेंडर और फिर अन्य प्रक्रिया से गुजरने में समय लगेगा। इसलिए मेट्रो कॉर्पोरेशन भोपाल में भी मैनुअली टिकट सिस्टम ही लागू कर सकता है। अफसरों के अनुसार, मैनुअली सिस्टम के लिए अमला तैनात किया जा रहा है। पिक एंड ड्रॉप की व्यवस्था ही रहेगी
भोपाल मेट्रो की ऑरेंज लाइन के 8 स्टेशनों में से एक भी स्टेशन पर पार्किंग की व्यवस्था नहीं होने से यात्रियों को अपनी गाड़ियां खड़ी करने के लिए मुश्किलें झेलनी पड़ेंगी। मेट्रो स्टेशनों पर सिर्फ पिक एंड ड्रॉप की व्यवस्था ही रहेगी। यानी, यात्री किसी गाड़ी से उतर और चढ़ सकेगा, लेकिन अपने वाहन यहां खड़े नहीं कर सकेगा। सूत्रों के अनुसार, मेट्रो कॉर्पोरेशन स्टेशन के नीचे आउटलेट्स बनाएगा। ऐसे में स्टेशन के नीचे पार्किंग की व्यवस्था नहीं मिलेगी। इस मुद्दे पर मेट्रो अफसरों का कहना है कि पार्किंग के लिए व्यवस्था कर रहे हैं ताकि यात्रियों को परेशानी का सामना न करना पड़े। प्रायोरिटी कॉरिडोर के बाद यह होगा
भोपाल में सुभाष नगर से एम्स तक प्रायोरिटी कॉरिडोर है। इसमें कुल 8 स्टेशन बने हैं। यहां पर कमर्शियल रन पूरा होने के बाद पूरा फोकस ऑरेंज लाइन के दूसरे फेज के हिस्से सुभाष नगर से करोंद तक रहेगा। वहीं, ब्लू लाइन भदभदा से रत्नागिरी के बीच का काम भी तेजी से निपटाया जाएगा। क्या है CMRS की भूमिका?
सीएमआरएस टीम किसी भी मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए सुरक्षा की अंतिम स्वीकृति देती है। उसकी रिपोर्ट के बाद ही मेट्रो से यात्रियों का संचालन शुरू किया जा सकता है। बता दें कि इससे पहले सरकार ने भोपाल में अक्टूबर में मेट्रो दौड़ने का टारगेट रखा था। सितंबर और अक्टूबर में सीएमआरएस के दो अहम दौरे भी हो चुके थे। पूर्व मेट्रो कमिश्नर जनक गर्ग ने टीम के साथ सुभाष नगर स्थित मेट्रो डिपो और प्रायोरिटी कॉरिडोर के 6.22 किलोमीटर रूट को देखा था। वे ट्रेन में सवार हुए थे। साल 2018 से शुरू हुआ था मेट्रो का काम
भोपाल में पहला मेट्रो रूट एम्स से करोंद तक 16.05 किलोमीटर लंबा है। इसमें से एम्स से सुभाष नगर के बीच 6.22 किलोमीटर पर प्राथमिकता कॉरिडोर के तौर पर 2018 में काम शुरू किया गया था। सुभाष नगर से आरकेएमपी स्टेशन तक काम पूरा हो चुका है। इसके आगे अलकापुरी, एम्स और डीआरएम मेट्रो स्टेशन के कुछ काम बाकी हैं, जो पूरे किए जा रहे हैं। रेलवे ट्रैक के ऊपर दो स्टील ब्रिज भी बनाए गए हैं। दो साल पहले हुआ था पहला ट्रायल
भोपाल में पहली बार मेट्रो 3 अक्टूबर 2023 को पटरी पर दौड़ी थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सुभाष नगर से रानी कमलापति स्टेशन तक मेट्रो में सफर किया था। डीपीआर में पार्किंग का प्रावधान नहीं, इंदौर में भी बिना पार्किंग के स्टेशन
भोपाल और इंदौर में जो भी मेट्रो स्टेशन बने हैं, वे बिना पार्किंग के ही हैं। इसकी डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) में ही पार्किंग का प्रावधान नहीं है। डीपीआर में ‘सब्जेक्टेड टू अवेलेबिलिटी ऑफ स्पेस’ का भी जिक्र है, यानी अलग से जगह मिली तो ही मेट्रो स्टेशन पर पार्किंग बनाई जाएगी। भोपाल में जहां मेट्रो स्टेशन हैं, वहां पर सरकारी जमीन भी नहीं है, क्योंकि ये मुख्य सड़क पर ही बने है, यानी नीचे सड़क और ऊपर से मेट्रो गुजर रही है। मेट्रो अफसरों का कहना है कि भोपाल-इंदौर में मेट्रो स्टेशनों के लिए ज्यादा जगह नहीं है। दोनों शहर का मोबिलिटी प्लान बनवाया है। इसी के अनुरूप पब्लिक ट्रांसपोर्ट की योजना है। कोशिश ये है कि यात्री को 500 मीटर से ज्यादा न चलना पड़े। इसलिए मास ट्रांसपोर्ट विकसित किया है, यानी स्टेशन से उतरते ही यात्रियों को पब्लिक ट्रांसपोर्ट की सुविधा मिल जाए। वर्तमान में स्टेशनों पर ऐसा ही है। मामले से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… भोपाल मेट्रो के लिए CMRS का ग्रीन सिग्नल भोपाल मेट्रो के कमर्शियल रन के लिए कमिश्नर मेट्रो रेल सेफ्टी (CMRS) का ग्रीन सिग्नल मिल गया है। तीन बार निरीक्षण करने के बाद सीएमआरएस ने अपनी एनओसी यानी, ‘ओके’ रिपोर्ट दे दी है। ऐसे में दिसंबर में ही प्रायोरिटी कॉरिडोर सुभाषनगर से एम्स के बीच मेट्रो का कमर्शियल रन हो सकता है। पढ़ें पूरी खबर…
21 दिसंबर को भोपाल मेट्रो की शुरुआत:खजुराहो में बोले सीएम मोहन यादव; CMRS दे चुका हरी झंडी, PM का आना तय नहीं


