ब्यावर में बुधवार को जिला स्तरीय सुशासन कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग, भारत सरकार और शासन सचिव, जन अभियोग निराकरण विभाग के निर्देशों के तहत हुई। इसका उद्देश्य जिले में सुशासन के लिए किए गए नवाचारों और प्रयासों का आदान-प्रदान करना था। कार्यशाला में विभिन्न विभागों ने सुशासन के क्षेत्र में अपनी पहल, अनुभव और नवाचार साझा किए। कार्यशाला के मुख्य अतिथि जिला कलेक्टर कमलराम मीना ने कहा कि सुशासन केवल नियमों का पालन नहीं, बल्कि मानवीयता और संवेदनशीलता से जुड़ा विषय है। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को सुशासन का पुरोधा बताया। कलेक्टर ने सभी जिला स्तरीय अधिकारियों से आह्वान किया कि वे अंतिम छोर पर बैठे व्यक्ति तक सरकारी सेवाएं पहुंचाएं। ‘प्रशासन का चेहरा मानवीय होना चाहिए’
कलेक्टर ने जोर दिया कि सीमित संसाधनों के बावजूद बेहतर प्रबंधन, संवेदनशीलता और दक्षता से उत्कृष्ट परिणाम मिल सकते हैं। उन्होंने कहा कि प्रशासन का चेहरा मानवीय होना चाहिए और नागरिक सदैव केंद्र बिंदु में रहने चाहिए।
कार्यशाला में सुशासन संबंधी नवाचारों पर भी चर्चा हुई। अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी गोपाल लाल ने ‘भारत उपवन कार्यक्रम’ पर एक प्रस्तुति दी। ‘राजस्थान ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में अग्रणी राज्य’
इसके बाद उपखण्ड अधिकारी दिव्यांश सिंह ने गवर्नेंस में सूचना प्रौद्योगिकी की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि राजस्थान ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में अग्रणी राज्य रहा है। सिंह ने ई-फाइल, जनाधार, ऑनलाइन प्रमाण-पत्र और 181 हेल्पलाइन जैसी सेवाओं का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि तकनीक के उपयोग से कागजी कार्य में कमी आई है, पारदर्शिता बढ़ी है और त्वरित सेवा सुनिश्चित हुई है। दिव्यांश सिंह ने यह भी बताया कि भविष्य में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीक मानवीय त्रुटियों को कम करके सुशासन को और मजबूत करेगी।
नवसृजित जिला ब्यावर के गठन के बाद ग्रामीण विकास, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, शिकायत निवारण और सार्वजनिक निर्माण सहित विभिन्न क्षेत्रों में की गई सुशासन पहलों पर भी कार्यशाला में विस्तार से चर्चा की गई।


