बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस के प्रशासन को एक बार फिर बड़ा राजनीतिक झटका लगा है। गृह मंत्रालय से जुड़े स्पेशल असिस्टेंट और राज्य मंत्री स्तर के अधिकारी खोदा बख्श चौधरी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने बुधवार को उनका इस्तीफा औपचारिक रूप से स्वीकार कर लिया। यह इस्तीफा ऐसे समय में आया है, जब देश में फरवरी 2026 में होने वाले आम चुनाव से पहले राजनीतिक अस्थिरता, हिंसा और कानून-व्यवस्था को लेकर हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं।
हादी हत्याकांड से बढ़ा तनाव
हालांकि खोदा बख्श चौधरी ने अपने इस्तीफे की कोई आधिकारिक वजह नहीं बताई है, लेकिन इसे कट्टरपंथी नेता शरीफ उस्मान हादी की हत्या के बाद पैदा हुए राजनीतिक और सामाजिक तनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। हादी, जो जुलाई क्रांति के प्रमुख चेहरों में शामिल थे और कट्टरपंथी संगठन ‘इंकलाब मंच’ के प्रवक्ता थे, 12 दिसंबर को ढाका में एक मस्जिद से निकलते वक्त गोली लगने से गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इलाज के लिए उन्हें सिंगापुर ले जाया गया, जहां 18 दिसंबर को उनकी मौत हो गई। हादी की हत्या के बाद बांग्लादेश के कई हिस्सों में हिंसक प्रदर्शन भड़क उठे। इस दौरान अखबारों के दफ्तरों, सांस्कृतिक संस्थानों और सार्वजनिक संपत्तियों को निशाना बनाया गया, जिससे यूनुस सरकार की कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए।
यूनुस सरकार पर दबाव बढ़ाने की रणनीति?
‘इंकलाब मंच’ के सचिव अब्दुल्ला अल जाबेर ने गृह सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) जहांगीर आलम चौधरी के इस्तीफे की मांग करते हुए सरकार को अल्टीमेटम दिया था। हालांकि मुख्य गृह सलाहकार अब भी अपने पद पर बने हुए हैं, लेकिन उनके अधीन काम कर रहे स्पेशल असिस्टेंट का इस्तीफा राजनीतिक दबाव बढ़ाने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यूनुस प्रशासन कट्टरपंथी समूहों को शांत करने के लिए छोटे और मध्यम स्तर के अधिकारियों को ‘बलि का बकरा’ बना रहा है, ताकि सरकार की पकड़ पूरी तरह न टूटे।
यूनुस प्रशासन से लगातार इस्तीफे
खोदा बख्श चौधरी का इस्तीफा यूनुस सरकार के कार्यकाल में चौथा बड़ा इस्तीफा है। इससे पहले छात्र नेता नाहिद इस्लाम ने 2025 की शुरुआत में अपने पद से इस्तीफा दिया था। 10 दिसंबर को स्थानीय सरकार, ग्रामीण विकास और सहकारिता मंत्रालय के सलाहकार आसिफ महमूद शोजीब भुइयां ने पद छोड़ा
उसी दिन सूचना एवं प्रसारण सलाहकार महफूज आलम ने भी इस्तीफा दे दिया।
चुनाव से पहले बढ़ती अस्थिरता
बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने भी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के इस्तीफे की मांग कर दी है, जिससे अंतरिम सरकार की कमजोरी और ज्यादा उजागर हो गई है। फरवरी 2026 में प्रस्तावित आम चुनाव से पहले यूनुस सरकार की पकड़ कमजोर पड़ती दिख रही है। शरीफ उस्मान हादी की हत्या को कई विश्लेषक चुनावी प्रक्रिया को पटरी से उतारने की साजिश मान रहे हैं। खुद यूनुस ने भी इस हमले को पूर्वनियोजित करार दिया था। इसके अलावा, देश में अल्पसंख्यकों पर हमलों, बढ़ती हिंसा और प्रशासनिक अस्थिरता की खबरों ने अंतरिम सरकार की आलोचना को और तेज कर दिया है।


