सहरसा में शिक्षा विभाग की ओर से संचालित किलकारी बिहार बाल भवन में बाल दिवस के अवसर पर ‘बाल उमंग पखवाड़ा’ चल रहा है। जो पखवाड़ा 13 से 30 नवंबर तक चलेगा। इसमें मैजिक शो, कहानी वाचन, नृत्य नाटिका, चित्रकला, चेस, पिकनिक और अलबेला ड्रेस प्रतियोगिता जैसे कई कार्यक्रम निशुल्क आयोजित किए जा रहे हैं। पारिवारिक माहौल, बालिका शिक्षा और सामाजिक सुरक्षा पर की चर्चा रविवार को पखवाड़े के तहत 16 नवंबर को आयोजित ‘चौपाल’ विशेष आकर्षण का केंद्र रहा। इसका उद्देश्य दादा-दादी, नाना-नानी, माता-पिता और बच्चों सहित तीन पीढ़ियों के बीच संवाद स्थापित करना था। चौपाल में पारिवारिक माहौल, बालिका शिक्षा, सामाजिक सुरक्षा, राजनीतिक समझ, व्यवसाय, बैंकिंग-फाइनेंस, यातायात, चाइल्ड राइट्स, औषधीय पौधे और कृषि जैसे दस विषयों पर चर्चा की गई। इस दौरान बुजुर्गों ने पारंपरिक कहानियां, संस्कार गीत और लोकगीत प्रस्तुत कर बच्चों को अपनी सांस्कृतिक विरासत से परिचित कराया। कार्यक्रम में शिक्षकों और आमंत्रित अतिथियों ने दी प्रस्तुतियां कार्यक्रम में प्रभात कुमार, रंजीता, डॉ. शांति लक्ष्मी चौधरी, सविता कुमारी और राकेश रौशन सहित कई शिक्षकों और आमंत्रित अतिथियों ने अपनी प्रस्तुतियां दीं। हस्तकला और चित्रकला विधा के बच्चों ने बेकार सामग्री से आकर्षक सजावट कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। इस सजावट में आयुषी, रूद्र, प्रज्ञा, श्वेता, अर्पिता, तेजस और विष्णु सहित दर्जनों बच्चों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। किलकारी प्रकाशन और मासिक पत्रिका का एक विक्रय केंद्र भी स्थापित किया गया था, जिसका संचालन कंप्यूटर विधा के आदित्य राज ने किया। हस्तनिर्मित सामग्री और चित्रकला प्रदर्शनी ने बच्चों की रचनात्मक क्षमता को प्रदर्शित किया। बच्चों को विषयगत समझ के साथ बाहरी ज्ञान भी जरूरी प्रमंडल कार्यक्रम समन्वयक प्रणव भारती ने बताया कि चौपाल का उद्देश्य बच्चों में विषयगत समझ विकसित करने के साथ-साथ तीन पीढ़ियों को एक साझा मंच प्रदान करना है, जिससे बच्चे आत्मविश्वास के साथ अपनी प्रतिभा व्यक्त कर सकें। इस सफल आयोजन का संचालन जिया और आयुषी ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में मधु कुमारी, विश्व विजय झा, अन्नू कुमारी, प्रेरणा कुमारी, विकास भारती, निभाष कुमार, आर्ची कुमारी सहित किलकारी टीम के सदस्यों का महत्वपूर्ण योगदान रहा। सहरसा में शिक्षा विभाग की ओर से संचालित किलकारी बिहार बाल भवन में बाल दिवस के अवसर पर ‘बाल उमंग पखवाड़ा’ चल रहा है। जो पखवाड़ा 13 से 30 नवंबर तक चलेगा। इसमें मैजिक शो, कहानी वाचन, नृत्य नाटिका, चित्रकला, चेस, पिकनिक और अलबेला ड्रेस प्रतियोगिता जैसे कई कार्यक्रम निशुल्क आयोजित किए जा रहे हैं। पारिवारिक माहौल, बालिका शिक्षा और सामाजिक सुरक्षा पर की चर्चा रविवार को पखवाड़े के तहत 16 नवंबर को आयोजित ‘चौपाल’ विशेष आकर्षण का केंद्र रहा। इसका उद्देश्य दादा-दादी, नाना-नानी, माता-पिता और बच्चों सहित तीन पीढ़ियों के बीच संवाद स्थापित करना था। चौपाल में पारिवारिक माहौल, बालिका शिक्षा, सामाजिक सुरक्षा, राजनीतिक समझ, व्यवसाय, बैंकिंग-फाइनेंस, यातायात, चाइल्ड राइट्स, औषधीय पौधे और कृषि जैसे दस विषयों पर चर्चा की गई। इस दौरान बुजुर्गों ने पारंपरिक कहानियां, संस्कार गीत और लोकगीत प्रस्तुत कर बच्चों को अपनी सांस्कृतिक विरासत से परिचित कराया। कार्यक्रम में शिक्षकों और आमंत्रित अतिथियों ने दी प्रस्तुतियां कार्यक्रम में प्रभात कुमार, रंजीता, डॉ. शांति लक्ष्मी चौधरी, सविता कुमारी और राकेश रौशन सहित कई शिक्षकों और आमंत्रित अतिथियों ने अपनी प्रस्तुतियां दीं। हस्तकला और चित्रकला विधा के बच्चों ने बेकार सामग्री से आकर्षक सजावट कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। इस सजावट में आयुषी, रूद्र, प्रज्ञा, श्वेता, अर्पिता, तेजस और विष्णु सहित दर्जनों बच्चों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। किलकारी प्रकाशन और मासिक पत्रिका का एक विक्रय केंद्र भी स्थापित किया गया था, जिसका संचालन कंप्यूटर विधा के आदित्य राज ने किया। हस्तनिर्मित सामग्री और चित्रकला प्रदर्शनी ने बच्चों की रचनात्मक क्षमता को प्रदर्शित किया। बच्चों को विषयगत समझ के साथ बाहरी ज्ञान भी जरूरी प्रमंडल कार्यक्रम समन्वयक प्रणव भारती ने बताया कि चौपाल का उद्देश्य बच्चों में विषयगत समझ विकसित करने के साथ-साथ तीन पीढ़ियों को एक साझा मंच प्रदान करना है, जिससे बच्चे आत्मविश्वास के साथ अपनी प्रतिभा व्यक्त कर सकें। इस सफल आयोजन का संचालन जिया और आयुषी ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में मधु कुमारी, विश्व विजय झा, अन्नू कुमारी, प्रेरणा कुमारी, विकास भारती, निभाष कुमार, आर्ची कुमारी सहित किलकारी टीम के सदस्यों का महत्वपूर्ण योगदान रहा।


