पूर्व सांसद आनंद मोहन ने सहरसा के नवहट्टा में राज्य सरकार की अतिक्रमण विरोधी बुलडोजर कार्रवाई पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में बुलडोजर नहीं, बल्कि कानून का डंडा चलता है। आनंद मोहन के अनुसार, बुलडोजर का सहारा लेना सरकार और प्रशासन की विफलता को दर्शाता है। आनंद मोहन ने स्पष्ट किया, “हम कहीं से भी बुलडोजर के पक्षधर नहीं हैं। यदि बुलडोजर चल रहा है, तो यह साबित करता है कि शासन-प्रशासन विफल है। कानून का डर और वर्दी का सम्मान होना चाहिए।” उन्होंने जोर दिया कि यदि किसी व्यवस्था को चलाने के लिए बुलडोजर पर निर्भर रहना पड़े, तो यह कानून-व्यवस्था की नाकामी है। यातायात में होती है असुविधा उन्होंने स्वीकार किया कि सड़कों और बाजारों में अतिक्रमण एक गंभीर समस्या है, जिससे आम लोगों को यातायात में भारी असुविधा होती है। गांव से लेकर शहर तक सड़कें कब्जे में हैं। हालांकि, उन्होंने कहा कि ऐसी कार्रवाई कोर्ट के आदेश से और कानूनी प्रक्रिया के तहत होनी चाहिए, न कि शक्ति प्रदर्शन के लिए बुलडोजर चलाकर। स्थानीय मुद्दों पर बोलते हुए, पूर्व सांसद ने सहरसा जिले की मूलभूत समस्याओं को गंभीरता से उठाने की बात कही। उन्होंने विश्वास दिलाया कि जिले की हर समस्या को सूचीबद्ध कर विधानसभा में उनके बेटे विधायक चेतन आनंद और लोकसभा में उनकी पत्नी लवली आनंद द्वारा केंद्रीय स्तर पर उठाया जाएगा। मुख्यधारा की राजनीतिक भूमिका में दे सकते है दिखाई चुनाव के बाद, आनंद मोहन ने संकेत दिया कि वे आगामी 2029 के विधानसभा चुनाव में मुख्यधारा की राजनीतिक भूमिका में दिखाई दे सकते हैं। उन्होंने हाल के चुनाव परिणामों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि जीत और हार को जनादेश या वोट चोरी जैसी बहसों में नहीं उलझाया जाना चाहिए। यदि कहीं वास्तविक गड़बड़ी है, तो उसे “प्रूफ के साथ सामने आना चाहिए, क्योंकि वोट चोरी लोकतंत्र के लिए गंभीर चुनौती है।” उन्होंने बिहार की राजनीतिक स्थिति पर भी बात की। आनंद मोहन ने कहा कि पहले गृह विभाग नीतीश कुमार के पास था, लेकिन अब यह बीजेपी के पास जाने से कई समीकरण बदले हैं। वित्त विभाग में भी बदलाव हुए हैं। उनके अनुसार, राजनीतिक स्थिरता और प्रशासनिक पारदर्शिता ही राज्य की वास्तविक आवश्यकता है। पूर्व सांसद आनंद मोहन ने सहरसा के नवहट्टा में राज्य सरकार की अतिक्रमण विरोधी बुलडोजर कार्रवाई पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में बुलडोजर नहीं, बल्कि कानून का डंडा चलता है। आनंद मोहन के अनुसार, बुलडोजर का सहारा लेना सरकार और प्रशासन की विफलता को दर्शाता है। आनंद मोहन ने स्पष्ट किया, “हम कहीं से भी बुलडोजर के पक्षधर नहीं हैं। यदि बुलडोजर चल रहा है, तो यह साबित करता है कि शासन-प्रशासन विफल है। कानून का डर और वर्दी का सम्मान होना चाहिए।” उन्होंने जोर दिया कि यदि किसी व्यवस्था को चलाने के लिए बुलडोजर पर निर्भर रहना पड़े, तो यह कानून-व्यवस्था की नाकामी है। यातायात में होती है असुविधा उन्होंने स्वीकार किया कि सड़कों और बाजारों में अतिक्रमण एक गंभीर समस्या है, जिससे आम लोगों को यातायात में भारी असुविधा होती है। गांव से लेकर शहर तक सड़कें कब्जे में हैं। हालांकि, उन्होंने कहा कि ऐसी कार्रवाई कोर्ट के आदेश से और कानूनी प्रक्रिया के तहत होनी चाहिए, न कि शक्ति प्रदर्शन के लिए बुलडोजर चलाकर। स्थानीय मुद्दों पर बोलते हुए, पूर्व सांसद ने सहरसा जिले की मूलभूत समस्याओं को गंभीरता से उठाने की बात कही। उन्होंने विश्वास दिलाया कि जिले की हर समस्या को सूचीबद्ध कर विधानसभा में उनके बेटे विधायक चेतन आनंद और लोकसभा में उनकी पत्नी लवली आनंद द्वारा केंद्रीय स्तर पर उठाया जाएगा। मुख्यधारा की राजनीतिक भूमिका में दे सकते है दिखाई चुनाव के बाद, आनंद मोहन ने संकेत दिया कि वे आगामी 2029 के विधानसभा चुनाव में मुख्यधारा की राजनीतिक भूमिका में दिखाई दे सकते हैं। उन्होंने हाल के चुनाव परिणामों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि जीत और हार को जनादेश या वोट चोरी जैसी बहसों में नहीं उलझाया जाना चाहिए। यदि कहीं वास्तविक गड़बड़ी है, तो उसे “प्रूफ के साथ सामने आना चाहिए, क्योंकि वोट चोरी लोकतंत्र के लिए गंभीर चुनौती है।” उन्होंने बिहार की राजनीतिक स्थिति पर भी बात की। आनंद मोहन ने कहा कि पहले गृह विभाग नीतीश कुमार के पास था, लेकिन अब यह बीजेपी के पास जाने से कई समीकरण बदले हैं। वित्त विभाग में भी बदलाव हुए हैं। उनके अनुसार, राजनीतिक स्थिरता और प्रशासनिक पारदर्शिता ही राज्य की वास्तविक आवश्यकता है।


