अमेरिकी रिपोर्ट- बांग्लादेश में मिलिट्री बेस बनाना चाहता है चीन:दुनिया के समुद्री रास्तों पर नजर, इन्वेस्टमेंट की आड़ में सीक्रेट जानकारी जुटा सकता है

अमेरिकी रिपोर्ट- बांग्लादेश में मिलिट्री बेस बनाना चाहता है चीन:दुनिया के समुद्री रास्तों पर नजर, इन्वेस्टमेंट की आड़ में सीक्रेट जानकारी जुटा सकता है

चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) बांग्लादेश और पाकिस्तान समेत दुनिया के 21 देशों में नए मिलिट्री बेस बनाने की योजना पर काम कर रही है। इनका मकसद चीन की नेवी और एयरफोर्स को दूर देशों तक ऑपरेशन करने में मदद देना और वहां आर्मी तैनात करना है। यह जानकारी अमेरिकी डिफेंस डिपार्टमेंट ‘पेंटागन’ की रिपोर्ट में सामने आई है। PLA की सबसे ज्यादा दिलचस्पी उन इलाकों में है, जहां से दुनिया का अहम समुद्री व्यापार गुजरता है, जैसे मलक्का जलडमरूमध्य, होरमुज जलडमरूमध्य और अफ्रीका व मिडिल ईस्ट के कुछ स्ट्रैटेजिक पाइंट्स। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, चीन के ये विदेशी सैन्य ठिकाने सिर्फ सैन्य मदद के लिए नहीं, बल्कि खुफिया जानकारी जुटाने के लिए भी इस्तेमाल हो सकते हैं। ऐसा लॉजिस्टिक नेटवर्क अमेरिका और उसके सहयोगी देशों की सेनाओं की एक्टिविटी पर नजर रखने में मदद कर सकता है। चीन कमांड और कंट्रोल सिस्टम भी मजबूत कर रहा रिपोर्ट के मुताबिक, ये एक्टिविटीज ज्यादातर सीक्रेट और तकनीकी तरीके से होंगी, जिन्हें मेजबान देशों के लिए पकड़ना मुश्किल होगा। इससे चीन को अमेरिका और उसके साझेदार देशों की सैन्य गतिविधियों की बेहतर जानकारी मिल सकेगी। इसके साथ ही, चीन अपने विदेशी सैन्य ढांचे के लिए कमांड और कंट्रोल सिस्टम भी मजबूत कर रहा है, ताकि दूर-दराज के इलाकों में मौजूद अपने ठिकानों को बेहतर तरीके से ऑपरेट किया जा सके। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि चीन का यह कदम ग्लोबल लेवल पर उसकी सैन्य ताकत और प्रभाव बढ़ाने की दिशा में एक बड़ी कोशिश है। अमेरिकी संसद चीन ताकत पर रिपोर्ट तैयार करवाती है पिछले 25 सालों से अमेरिकी संसद रक्षा विभाग (पेंटागन) से हर साल एक रिपोर्ट तैयार करवा रही है, जिसमें चीन की सैन्य ताकत और उसकी रणनीति पर नजर रखी जाती है। इन रिपोर्टों में बताया गया है कि कैसे चीन लगातार अपनी सेना को मजबूत कर रहा है और अपनी ग्लोबल रोल बढ़ा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस समय चीन की सेना का मुख्य फोकस ‘फर्स्ट आइलैंड चेन’ पर है। ये आइलैंड चेन जापान से लेकर मलेशिया तक फैला समुद्री इलाका है। चीन इसे एशिया में अपने रणनीतिक हितों का सेंटर मानता है। लेकिन जैसे-जैसे चीन आर्थिक और सैन्य रूप से ताकतवर हो रहा है, उसकी सेना को दुनिया भर में ताकत दिखाने लायक बनाने की तैयारी भी तेज हो रही है। बीजिंग का टारगेट है कि 2049 तक चीन के पास ‘वर्ल्ड-क्लास’ सेना हो। PLA इस दिशा में पहले ही काफी आगे बढ़ चुकी है। अमेरिका बोला- हमारा मकसद चीन को नीचा दिखाना नहीं अमेरिका का कहना है कि उसका मकसद चीन को नीचा दिखाना नहीं है, बल्कि यह तय करना है कि कोई भी देश इस इलाके में अमेरिका या उसके सहयोगियों पर हावी न हो सके। इसके लिए अमेरिका ताकत के जरिए शांति बनाए रखना चाहता है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चीन की सेना खुद को अमेरिका जैसे ‘मजबूत दुश्मन’ के मुकाबले तैयार कर रही है। चीन का टारगेट है कि वह अमेरिका को दुनिया की सबसे ताकतवर शक्ति के तौर पर पीछे छोड़ दे। इसके लिए वह पूरे देश की ताकत झोंकने वाली रणनीति अपना रहा है, जिसे वह ‘नेशनल टोटल वॉर’ कहता है। चीन ने बीते सालों में परमाणु हथियारों, लंबी दूरी के मिसाइल सिस्टम, नौसेना, साइबर और अंतरिक्ष क्षमताओं में तेजी से बढ़ोतरी की है। 2024 में चीनी साइबर हमलों, जैसे ‘वोल्ट टाइफून’ ने अमेरिका को निशाना बनाया, जिससे अमेरिका की सुरक्षा को सीधी चुनौती मिली। 2027 तक चीनी सेना ने तीन बड़े टारगेट रखे हैं रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के नेतृत्व में अमेरिका-चीन संबंधों में हाल के सालों में कुछ सुधार आया है। अमेरिका चाहता है कि दोनों देशों की सेनाओं के बीच बातचीत बढ़े, ताकि टकराव से बचा जा सके और हालात काबू में रहें। साथ ही अमेरिका यह भी साफ करता है कि वह इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपने हितों की रक्षा के लिए हमेशा तैयार रहेगा। रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने 2027 तक अपनी सेना को इस लायक बनाने का लक्ष्य रखा है कि वह- चीन, ताइवान को कब्जाने के लिए कई ऑप्शन पर काम कर रहा PLA ताइवान को जबरन चीन में मिलाने के लिए कई ऑप्शन पर काम कर रही है, जिनमें समुद्र के रास्ते हमला, मिसाइल स्ट्राइक और ताइवान की नाकाबंदी शामिल है। 2024 में चीन ने ऐसे कई सैन्य अभ्यास किए, जिनमें ताइवान और आसपास के इलाकों में हमले और अमेरिकी सेनाओं को निशाना बनाने के सीनारियो शामिल थे। इन हमलों की मारक दूरी 1500 से 2000 समुद्री मील तक हो सकती है। चीन की राष्ट्रीय रणनीति चीन का बड़ा लक्ष्य है ‘2049 तक चीनी राष्ट्र का पुनरुत्थान’। इसके तहत वह एक ऐसी महाशक्ति बनना चाहता है, जिसकी सेना दुनिया में कहीं भी लड़ने और जीतने में सक्षम हो। चीन अपने तीन मुख्य हित मानता है- इनमें ताइवान, दक्षिण चीन सागर, सेनकाकू द्वीप और भारत का अरुणाचल प्रदेश भी शामिल हैं। चीन ताइवान के चीन में विलय को अपने राष्ट्रीय लक्ष्य का जरूरी हिस्सा मानता है। रिपोर्ट- चीना का मानना: अमेरिका उसकी तरक्की रोकना चाहता है चीन मानता है कि अमेरिका और उसके सहयोगी देश उसकी तरक्की रोकना चाहते हैं। अमेरिका द्वारा ताइवान को हथियार देने, फिलीपींस में मिसाइल तैनात करने और तकनीकी पाबंदियां लगाने से चीन नाराज है। फिर भी चीन अमेरिका से बातचीत के दरवाजे खुले रखना चाहता है, ताकि हालात पूरी तरह न बिगड़ें। 2024 में अमेरिका और चीन की सेनाओं के बीच कई स्तरों पर बातचीत हुई, लेकिन साल के अंत में चीन ने अमेरिकी सैन्य प्रमुखों से बातचीत से इनकार कर दिया। अमेरिका का कहना है कि वह तनाव कम करने के लिए संपर्क बनाए रखना चाहता है। ————– यह खबर भी पढ़ें… दुनिया के 5 ताकतवर देशों का ग्रुप बना रहे ट्रम्प:इसमें भारत, रूस और चीन शामिल होंगे, G7 को C5 से रिप्लेस करने का प्लान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भारत, रूस, चीन और जापान के साथ एक नया ग्रुप कोर फाइव (C5) लाने पर विचार कर रहे हैं। अमेरिकी वेबसाइट पॉलीटिको के मुताबिक यह मंच ग्रुप सेवन (G7) देशों की जगह लेगा। पढ़ें पूरी खबर

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