श्रावस्ती के भिनगा स्थित उर्मिला अस्पताल के डॉक्टर पर ऑपरेशन के बाद मरीज के शरीर के अंदर टांके न लगाने का गंभीर आरोप लगा है। सोनपुर निवासी मोहम्मद आजाद ने अपनी बहन हसीना के इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए जिलाधिकारी अश्वनी कुमार पांडेय को शिकायत पत्र भी सौंपा है। पीड़ित परिवार ने जिम्मेदार और अस्पताल के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है। मोहम्मद आजाद के अनुसार, उनकी बहन हसीना को बच्चेदानी में गांठ की समस्या थी। इसके इलाज के लिए उन्हें भिनगा के उर्मिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अस्पताल के डॉक्टर ने बीते 7 अक्टूबर को उनका ऑपरेशन कर बच्चेदानी निकाल दी। आरोप है कि ऑपरेशन के बाद डॉक्टर ने अंदरूनी टांके नहीं लगाए और केवल बाहरी टांके लगाकर छोड़ दिया। ऑपरेशन के अगले दिन हसीना की हालत बिगड़ने लगी। इसके बाद उर्मिला अस्पताल के डॉक्टरों ने उन्हें बहराइच के चंद्रा अस्पताल रेफर कर दिया। चंद्रा अस्पताल में तीन दिन तक इलाज चला, लेकिन मरीज को कोई आराम नहीं मिला और उनकी हालत और बिगड़ गई। मरीज को झटके आने लगे, जिसके बाद परिवार उन्हें लखनऊ के फिजिशियन न्यूरोलॉजी अस्पताल ले गया। लखनऊ में हुई जांच में खुलासा हुआ कि बच्चेदानी के ऑपरेशन के बाद अंदरूनी टांके नहीं लगाए गए थे। इस कथित लापरवाही के कारण हसीना की हालत अभी भी नाजुक है। परिवार का कहना है कि अब तक इलाज पर लगभग 3 लाख रुपए खर्च हो चुके हैं। उन्होंने एक बार फिर कार्रवाई की मांग दोहराई है। उर्मिला अस्पताल के संचालक डॉ. जितेंद्र जयसवाल ने सफाई दी है। उनका कहना है कि संबंधित महिला का उर्मिला अस्पताल के भर्ती रजिस्टर में कोई रिकॉर्ड दर्ज नहीं है। संचालक ने परिवार से रेफरल नोट दिखाने को कहा है, क्योंकि आमतौर पर मरीज को रेफर करते समय यह नोट दिया जाता है। उन्होंने कहा कि यदि रेफरल नोट प्रस्तुत किया जाता है अन्यथा बिना रेफरल नोट के अस्पताल कोई जिम्मेदारी नहीं लेगा। संचालक ने यह भी स्पष्ट किया कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा संबंधित वीडियो इस मरीज का नहीं, बल्कि किसी अन्य व्यक्ति का है।


