लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा के तीसरे दिन सोमवार को सूर्य नगरी देव में लाखों छठ व्रतियों ने अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को पहला अर्घ्य सूर्य को अर्घ्य दिया। सूर्य नगरी देव में सोमवार दोपहर बाद से लेकर सूर्य डूबने के पहले तक लगभग 12 लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंचे थे। दोपहर 2 बजे के बाद से ही श्रद्धालुओं की भीड़ सूर्य कुंड तालाब में उमड़ने लगी थी। औरंगाबाद के अलावा, आसपास के जिलों और दूसरे राज्यों से भी लोग यहां भगवान सूर्य की उपासना के लिए पहुंचे थे। सूर्यास्त के बाद भी यह सिलसिला अनवरत जारी रहा। सूर्य कुंड की ओर आने वाले सभी रास्ते पर श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी रही। मंगलवार सुबह अर्घ्य के बाद समाप्त होगा निर्जला उपवास अर्घ्य के समय से कुछ देर पूर्व से ही छठ व्रती जल में खड़े होकर भगवान भास्कर की आराधना करते दिखे। घाटों को बेहतरीन ढंग से सजाया गया था। वहां सुरक्षा की भी बेहतरीन व्यवस्था की गयी हैं। खरना के बाद छठ व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है। इसी क्रम में सोमवार को आस्था के इस महापर्व में भगवान भास्कर को व्रती पहला अर्ध्य समर्पित करते हैं। चारों ओर छठ पूजा के गीत से वातावरण गुंजायमान हो रहा है। व्रती भी छठ के गीत गा रहे हैं। कंट्रोल रूम से भीड़ पर खुद नजर रख रहे थे डीएम डीएम श्रीकांत शास्त्री, डीडीसी अनन्या सिंह समेत अन्य पदाधिकारी कंट्रोल रूम से भीड़ का जायजा लेते रहे। डीएम ने बताया कि प्रशासनिक व्यवस्था चुस्त दुरुस्त है। लगातार भ्रमण कर भीड़ का मॉनिटरिंग किया जा रहा है । लगभग 10 से 12 लाख श्रद्धालु देव पहुंचे हुए हैं। जो इस वर्ष का रिकॉर्ड तोड़ भीड़ हैं। उन्होंने बताया कि भीड़ को देखते हुए पूर्व से ही व्यवस्था की गई है। ऐसा लगता है की व्यवस्था को देखकर लोगों का विश्वास बढ़ा है यही कारण है कि प्रत्येक वर्ष छठ पर्व के लिए देव आने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ रही है। उन्होंने लोगों से अपील की कि लोग अफवाह पर ध्यान न दें। कुछ भी सूचना मिले तो पहले प्रशासन से संपर्क करें।हालांकि संध्या का अर्ध्य के बाद ही दुसरा अर्ध्य देकर कुछ लोग वापस लौट जाते हैं। सुबह उदयमान सूर्य को अर्घ्य के साथ संपन्न होगा छठ महापर्व सुबह उदयमान सूर्य को अर्ध्य के साथ ही छठ महापर्व संपन्न होगा। हालांकि देव में रात्रि 12:00 बजे के बाद से ही यह प्रक्रिया शुरू हो जाती है। लेकिन अधिकांश श्रद्धालु सूर्य निकलने के बाद ही सूर्य कुंड तालाब में स्नान करने के बाद उदयमान सूर्य को अर्ध्य समर्पित करते हैं। लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा के तीसरे दिन सोमवार को सूर्य नगरी देव में लाखों छठ व्रतियों ने अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को पहला अर्घ्य सूर्य को अर्घ्य दिया। सूर्य नगरी देव में सोमवार दोपहर बाद से लेकर सूर्य डूबने के पहले तक लगभग 12 लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंचे थे। दोपहर 2 बजे के बाद से ही श्रद्धालुओं की भीड़ सूर्य कुंड तालाब में उमड़ने लगी थी। औरंगाबाद के अलावा, आसपास के जिलों और दूसरे राज्यों से भी लोग यहां भगवान सूर्य की उपासना के लिए पहुंचे थे। सूर्यास्त के बाद भी यह सिलसिला अनवरत जारी रहा। सूर्य कुंड की ओर आने वाले सभी रास्ते पर श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी रही। मंगलवार सुबह अर्घ्य के बाद समाप्त होगा निर्जला उपवास अर्घ्य के समय से कुछ देर पूर्व से ही छठ व्रती जल में खड़े होकर भगवान भास्कर की आराधना करते दिखे। घाटों को बेहतरीन ढंग से सजाया गया था। वहां सुरक्षा की भी बेहतरीन व्यवस्था की गयी हैं। खरना के बाद छठ व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है। इसी क्रम में सोमवार को आस्था के इस महापर्व में भगवान भास्कर को व्रती पहला अर्ध्य समर्पित करते हैं। चारों ओर छठ पूजा के गीत से वातावरण गुंजायमान हो रहा है। व्रती भी छठ के गीत गा रहे हैं। कंट्रोल रूम से भीड़ पर खुद नजर रख रहे थे डीएम डीएम श्रीकांत शास्त्री, डीडीसी अनन्या सिंह समेत अन्य पदाधिकारी कंट्रोल रूम से भीड़ का जायजा लेते रहे। डीएम ने बताया कि प्रशासनिक व्यवस्था चुस्त दुरुस्त है। लगातार भ्रमण कर भीड़ का मॉनिटरिंग किया जा रहा है । लगभग 10 से 12 लाख श्रद्धालु देव पहुंचे हुए हैं। जो इस वर्ष का रिकॉर्ड तोड़ भीड़ हैं। उन्होंने बताया कि भीड़ को देखते हुए पूर्व से ही व्यवस्था की गई है। ऐसा लगता है की व्यवस्था को देखकर लोगों का विश्वास बढ़ा है यही कारण है कि प्रत्येक वर्ष छठ पर्व के लिए देव आने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ रही है। उन्होंने लोगों से अपील की कि लोग अफवाह पर ध्यान न दें। कुछ भी सूचना मिले तो पहले प्रशासन से संपर्क करें।हालांकि संध्या का अर्ध्य के बाद ही दुसरा अर्ध्य देकर कुछ लोग वापस लौट जाते हैं। सुबह उदयमान सूर्य को अर्घ्य के साथ संपन्न होगा छठ महापर्व सुबह उदयमान सूर्य को अर्ध्य के साथ ही छठ महापर्व संपन्न होगा। हालांकि देव में रात्रि 12:00 बजे के बाद से ही यह प्रक्रिया शुरू हो जाती है। लेकिन अधिकांश श्रद्धालु सूर्य निकलने के बाद ही सूर्य कुंड तालाब में स्नान करने के बाद उदयमान सूर्य को अर्ध्य समर्पित करते हैं।


