श्री सिद्ध पीठ श्री दंडी स्वामी मंदिर में वृन्दावन से आए अभिषेक तिवारी ने हरिनाम संकीर्तन किया

श्री सिद्ध पीठ श्री दंडी स्वामी मंदिर में वृन्दावन से आए अभिषेक तिवारी ने हरिनाम संकीर्तन किया

भास्कर न्यूज| लुधियाना शाम के 6 बजकर 15 मिनट होते ही सिद्ध पीठ दंडी स्वामी मंदिर का वातावरण अचानक बदल गया। मुख्य द्वार पर हल्की-हल्की घंटियों की ध्वनि के बीच वृंदावन से पधारे अभिषेक तिवारी जैसे ही मंदिर में दाखिल हुए, संगत की निगाहें उनकी ओर ठहर गईं। उन्होंने पहले श्री विग्रहों के दर्शन किए, फिर दंडी स्वामी के चरणों में नतमस्तक हुए। ठीक 6:30 बजे जैसे ही अभिषेक ने हरिनाम का प्रथम उच्चारण किया, ऐसा लगा मानो मंदिर परिसर में स्वयं बरसाना धाम उतर आया हो। अवसर था सिद्धपीठ श्री दंडी स्वामी ट्रस्ट, सेवा परिकर और राधा गोविंद संकीर्तन मंडल द्वारा आयोजित 75वें श्री हरिनाम संकीर्तन एवं गौलोकवासी पंडित जगदीश चंद्र कोमल महाराज के 25वें वरदान दिवस महोत्सव का। 14वां दिन था और भक्तों की भीड़ लगातार बढ़ रही थी। कपिल शर्मा द्वारा आरंभ किए गए कार्यक्रम में दीपों की लौ और गुलाब की महक के बीच श्रद्धालु मौन होकर बैठे थे। अभिषेक तिवारी ने जब पहला भजन राधा रानी के चरण प्यारे, मुझे ओर जगत से क्या लेना… छेड़ा, तो संगत का मन जैसे तुरंत वृंदावन की गलियों में पहुंच गया। उनके स्वर में भक्ति की मिठास और राधा-माधव की लय का ऐसा संगम था कि हर श्रोता भाव-विह्वल हो उठा। इसके बाद उन्होंने मेरे सिर पे हाथ रख दो राधा रानी…, बंसी वाले बुला ले मुझे भी… और ले ले के राधा नाम मेरा मन झूम रहा… जैसे भजनों से संकीर्तन की रसधारा और गहरी कर दी। मंदिर परिसर में बैठे बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे हाथ जोड़कर झूम रहे थे। जब अभिषेक ने बरसाने में बुला लो हे लाडली हमारी… गाया, तो कई श्रद्धालुओं की आंखें नम हो गईं। संकीर्तन की ध्वनि इतनी गूंजदार थी कि लगा जैसे पूरा परिसर राधे-राधे के मधुर उचारण से जीवंत हो उठा हो। कार्यक्रम के अंत में ट्रस्ट की ओर से अभिषेक तिवारी को सम्मानित किया गया। कहा गया कि वृंदावन से पधारकर उन्होंने यहां अमृत-रस बरसाया। यह बिहारी जी की कृपा है कि उनकी वाणी भक्तों को श्री राधा रानी के चरणों से जोड़ देती है। पूरे समागम में हर पल ऐसा लग रहा था कि श्रद्धा की धारा मंदिर से निकलकर प्रत्येक भक्त के हृदय तक पहुंच गई है।

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