आदिवासी बाहुल्य उदयपुर जिले में ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं की तस्वीर बदलने की तैयारी है। प्रदेश सरकार अब ऐसी व्यवस्था करने जा रही है कि गांवों से मरीजों को उपचार के लिए शहर तक दौड़ नहीं लगानी पड़े। इसके लिए भींडर में 59 करोड़ से नया जिला अस्पताल बनाया जा रहा है। इसका काम भी शुरू हो चुका है। ये अस्पताल करीब 3 हेक्टेयर क्षेत्र में बन रहा है। इसके अलावा झाड़ोल-कोटड़ा-गोगुंदा और बड़गांव में 42-42 करोड़ के सब डिविजनल हॉस्पिटल बनेंगे। इनका काम भी जल्द शुरू होगा। बड़गांव में सेटेलाइट अस्पताल की नई बिल्डिंग बनेगी। इसके लिए जमीन का चयन इसी सप्ताह होने की संभावना है। फतहनगर में भी 10 करोड़ की लागत से नया ट्रोमा सेंटर बनाया जा रहा है। इन सभी कामों के लिए सरकार ने वित्तीय स्वीकृति जारी कर दी है। झाड़ोल-कोटड़ा-गोगुंदा और बड़गांव हॉस्पिटल के काम जनवरी 2026 में शुरू हो जाएंगे। ये सभी अस्पताल 10-10 बीघा जमीन पर बनेंगे। फतहनगर में भी ट्रोमा सेंटर निर्माण का काम भी नए साल में शुरू हो जाएगा। इसका टेंडर भी किया जा चुका है। चुनौती…विशेषज्ञ चिकित्सकों के 52 में से 30 पद रिक्त नए अस्पतालों में में सबसे बड़ी चुनौती विशेषज्ञ चिकित्सकों की रहेगी। क्योंकि, ऐसे चिकित्सकों को गांवों में रोकना आसान नहीं होगा। अभी जिले के विभिन्न अस्पतालों में एनेस्थिसिया, ऑर्थोपेडिक, पीडियाट्रिक, स्त्री रोग, ईएनटी, सर्जन व चेस्ट फिजिशियन लगे हुए हैं। विशेषज्ञ चिकित्सकों के कुल 52 पद हैं। इनमें से 30 पद रिक्त हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर 21 चिकित्सकों के पद रिक्त पड़े हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर भी इतने ही पद रिक्त हैं। ये फायदा : नए भवन से सुविधाएं बढ़ेंगी, रात में रुक सकेगा स्टाफ
अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों में भवन पुराने और जर्जर हो चुके हैं। वहां पर बने स्टाफ क्वार्टर भी काफी पुराने हैं। ऐसे में स्टाफ का रात रुकना भी मुश्किल रहता है। इन सभी स्थानों पर नए भवन बनने से उपचार की नई राह खुलेगी। गांवों में शहर जैसे अस्पताल बनने से लोगों को उदयपुर शहर तक की दौड़ नहीं लगानी होगी। उन्हें अपने ही क्षेत्र में शहर जैसे माहौल में बेहतरीन उपचार मिल सकेगा। सीएमएचओ बोले- भींडर में काम शुरू, दूसरी जगह पर भी जल्द होगा
सीएमएचओ डॉ. अशोक आदित्य का कहना है कि भींडर जिला अस्पताल का काम शुरू हो चुका है। झाड़ोल, कोटड़ा व गोगुंदा में डीएमएफटी फंड से काम होने वाला है। इसकी वित्तीय स्वीकृति मिल चुकी है। सभी के मैप और कार्ययोजना तैयार हो चुकी है। नए भवनों में हर तरह की सुविधाएं मिलेंगी। इससे ग्रामीण क्षेत्रों के मरीजों को इलाज के लिए शहर की दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी।


