रीवा के संजय गांधी स्मृति चिकित्सालय (SGMH) के ब्लड बैंक में एक गंभीर लापरवाही सामने आई है, जिसने अस्पताल की व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यहां एक महिला मरीज को गलत ग्रुप का खून चढ़ाने की तैयारी कर ली गई थी। मरीज का ब्लड ग्रुप ‘A पॉजिटिव’ है, लेकिन ब्लड बैंक ने ‘O पॉजिटिव’ की पर्ची थमा दी। गनीमत यह रही कि मरीज के पति ने पर्ची देख ली और हंगामा खड़ा कर दिया, जिससे उनकी पत्नी की जान बच गई। मामला सामने आने के बाद अस्पताल प्रबंधन में हड़कंप मच गया। आनन-फानन में ब्लड बैंक के दो कर्मचारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया गया है। वहीं, अधीक्षक ने इस गलती के पीछे ठंड के मौसम का अजीब तर्क दिया है। पहले चढ़ चुका था A पॉजिटिव नईगढ़ी निवासी सेवानिवृत्त कर्मचारी उमेश कुमार यादव अपनी पत्नी का नी-रिप्लेसमेंट (घुटने का ऑपरेशन) कराने संजय गांधी अस्पताल पहुंचे थे। ऑपरेशन से पहले डॉक्टरों ने ब्लड की व्यवस्था करने को कहा। उमेश यादव ने बताया कि उनकी पत्नी को पहले A पॉजिटिव ब्लड चढ़ाया जा चुका है, इसलिए उन्हें पता था कि ग्रुप क्या है। दोबारा जांच में बदल दिया ग्रुप जब वे ब्लड बैंक पहुंचे, तो वहां तैनात टेक्नीशियन ने जांच के बाद उन्हें O पॉजिटिव ब्लड की पर्ची दे दी। यह देखकर उमेश चौंक गए। उन्होंने तुरंत आपत्ति जताई कि जब पत्नी का ग्रुप A पॉजिटिव है, तो O पॉजिटिव कैसे चढ़ाया जा सकता है? यदि परिजन ध्यान नहीं देते और गलत खून चढ़ जाता, तो मरीज की जान जा सकती थी। अधीक्षक बोले- ठंड में सैंपल गड़बड़ा जाते हैं इतनी बड़ी लापरवाही पर अस्पताल अधीक्षक डॉ. राहुल मिश्रा ने बेहद अजीब सफाई दी है। उन्होंने कहा कि ठंड के मौसम में कभी-कभी ब्लड सैंपल में ‘एग्लूटिनेशन’ (थक्का जमना) के कारण भ्रामक परिणाम आ जाते हैं। ऐसे मामलों में टेक्नीशियनों को स्लाइड विधि के साथ ट्यूब विधि से भी क्रॉस-चेक करना चाहिए था, लेकिन यहां लापरवाही हुई है। उन्होंने माना कि यह गंभीर चूक है और दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी। पति बोले- भरोसा करते तो अनहोनी हो जाती मरीज के पति उमेश यादव ने कहा कि भगवान का शुक्र है कि उन्हें अपने मरीज का ब्लड ग्रुप पहले से पता था। अगर वे अस्पताल की जांच पर आंख मूंदकर भरोसा कर लेते, तो आज बड़ा हादसा हो सकता था। उन्होंने अस्पताल प्रशासन से दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।


