सुरेंद्र खुंगर। गुरुवार को पीलीबंगा के ब्लॉक शिक्षा प्रारंभिक एवं अतिरिक्त मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी (प्रथम) लक्ष्मीकांत स्वामी को शाला संबलन कार्यक्रम के तहत रोहिड़ांवाली डेहर के राजकीय उच्च प्राथमिक स्कूल में जाना था। पता चला कि 4-5 किमी कच्चे रास्ते पर पैदल चलो फिर नाव से जल भराव पार करो इसके बाद 4-5 किमी पैदल चला पड़ेगा। घग्घर के 4 नंबर कट पर पानी होने से स्कूल पहुंचना काफी मुश्किल है। ऐसे में शिक्षा अधिकारी ने पहले कच्चे रास्ते पर कार से गए फिर घग्घर बहाव में नाव पर कार रखवाया। इसके बाद 600 से 700 मीटर क्षेत्र नाव के सहारे पार किया। भास्कर पड़ताल-5 किमी कच्ची सड़क…700 मी. घग्घर का पाट, परिजन हर दिन स्कूल पहुंचाते हैं बच्चों को पीलीबंगा के बड़ोपल में घग्घर बहाव क्षेत्र में कई किमी तक पंजाब-हिमाचल से आया पानी फैला हुआ है। जो डेहड़ से बड़ोपल के बीच के हिस्से को अलग कर देता है। ऐसे में चाहे स्कूल के बच्चे हों या फिर शिक्षक या आमजन। इन्हें नाव पर इसी तरह वाहन को रखकर गंतव्य तक पहुंचना पड़ता है। नाव के सहारे आना-जाना इस क्षेत्र के लोगों की रोजमर्रा की स्थिति बन गई। यहां पर स्कूलों पर पहुंचने वाले टीचर अक्सर बाइक को नाव के सहारे ही दूसरे छोर पर ले जाकर स्कूल पहुंचते हैं। ये ही नहीं, इस डेहर क्षेत्र से बड़ोपल एरिया में पढ़ने जाने वाले बच्चे भी नाव के सहारे ही यह रास्ता तय करते हैं। विभाग को अवगत कराऊंगा, ताकि बच्चे सुरक्षित स्कूल पहुंच सकें
“मुझे रोहिड़ावाली डेहर के सरकारी स्कूल का निरीक्षण करना था। हर माह विभाग से 12 स्कूल के निरीक्षण करने का लक्ष्य रहता है। हर माह 100 प्रतिशत लक्ष्य अर्जित किया जाता है। दिसबंर में भी इस बार 12 स्कूल का निरीक्षण करना था। 11 स्कूल का हो गया था। एक मात्र रोहिड़ावाली डेहर का बाकी था। 24 दिसंबर को दिसंबर का अंतिम कार्य दिवस था। लक्ष्य 100% करना था। कुछ दूर कार से तय किया आगे घग्घर का 4 नंबर कटाव में पानी था। मैं इस बारे में विभाग को भी बताऊंगा ताकि कोई रास्ते निकले और बच्चे सुरक्षित स्कूल पहुंचें।”
-लक्ष्मीकांत स्वामी, एबीईओ


