मोतिहारी शहर के सीकरीया फार्मेसी कॉलेज में राष्ट्रीय फार्मेसी सप्ताह के अवसर पर आयोजित कार्यक्रमों का भव्य समापन समारोह आयोजित किया गया। समापन कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ हुई। कॉलेज परिसर पूरे कार्यक्रम के दौरान उत्सव के रंग में रंगा नजर आया। इस अवसर पर छात्रों, शिक्षकों और अतिथियों की बड़ी संख्या में उपस्थिति रही। राष्ट्रीय फार्मेसी सप्ताह के तहत आयोजित विभिन्न शैक्षणिक, रचनात्मक और जागरूकता आधारित प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्रों को समापन समारोह में सम्मानित किया गया। पुरस्कार वितरण कार्यक्रम में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष डॉ. आशुतोष शरण, भाजपा नेत्री डॉ. हीना चंद्रा, वरिष्ठ पत्रकार प्रो. चंद्रभूषण पाण्डेय, कॉलेज के सचिव यमुना कुमार सीकरीया और कॉलेज की प्राचार्या प्रीति दुबे ने संयुक्त रूप से विजेता छात्रों को पुरस्कार और प्रमाण पत्र प्रदान किए। वैक्सीनेशन में फार्मासिस्ट की अहम भूमिका : डॉ. आशुतोष शरण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आईएमए अध्यक्ष डॉ. आशुतोष शरण ने वैक्सीन और उसके उपयोग पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने छात्रों को बताया कि किस प्रकार नए-नए वैक्सीन विकसित हो रहे हैं और सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था में उनकी भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि महामारी के समय वैक्सीनेशन ने लाखों लोगों की जान बचाई है और इसमें फार्मासिस्ट की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रही है। उन्होंने छात्रों से अपील की कि वे वैक्सीन से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने में समाज की मदद करें। सेहत सेवा की रीढ़ हैं फार्मासिस्ट- डॉ.हीना चंद्रा भाजपा नेत्री एवं प्रसिद्ध महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. हीना चंद्रा ने फार्मेसी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि डॉक्टर और फार्मासिस्ट दोनों की भूमिका अलग-अलग लेकिन एक-दूसरे की पूरक होती है। उन्होंने कहा कि फार्मासिस्ट स्वास्थ्य सेवा की रीढ़ हैं, क्योंकि सही दवा, सही मात्रा और सही समय पर मरीज तक पहुंचाने की जिम्मेदारी उन्हीं पर होती है। उन्होंने छात्रों को अपने पेशे के प्रति ईमानदारी और संवेदनशीलता बनाए रखने की सीख दी। फार्मेसी क्षेत्र में असीम संभावनाएं- प्रो.चंद्रभूषण पाण्डेय वरिष्ठ पत्रकार प्रो. चंद्रभूषण पाण्डेय ने कहा कि फार्मेसी का दायरा बेहद व्यापक है और इस क्षेत्र में युवाओं के लिए रोजगार और शोध की अपार संभावनाएं मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि आज फार्मेसी केवल दवा वितरण तक सीमित नहीं है, बल्कि रिसर्च, क्लीनिकल ट्रायल, वैक्सीन एडवोकेसी और जनस्वास्थ्य जागरूकता जैसे क्षेत्रों में भी फार्मासिस्ट की भूमिका लगातार बढ़ रही है। सरकारी थीम पर हुआ आयोजन कॉलेज के सचिव यमुना कुमार सीकरीया ने बताया कि राष्ट्रीय फार्मेसी सप्ताह का आयोजन भारत सरकार के उपक्रम फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया के निर्देशानुसार किया गया। इस वर्ष कार्यक्रम की थीम फार्मासिस्ट एज द एडवोकेट ऑफ वैक्सीनेशन रही, जिसका उद्देश्य समाज में वैक्सीनेशन के प्रति जागरूकता फैलाना था। उन्होंने कहा कि फार्मासिस्ट डॉक्टर और मरीज के बीच एक मजबूत कड़ी के रूप में कार्य करता है। उन्होंने जानकारी दी कि प्रधानमंत्री जनऔषधि केंद्रों की संख्या देशभर में बढ़कर 17,610 हो चुकी है और मार्च 2027 तक इसे 25 हजार तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। इन केंद्रों के माध्यम से आम लोगों को 75 प्रतिशत तक सस्ती दवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। छात्रों की रचनात्मकता को मिला मंच कार्यक्रम के दौरान रंगोली, पोस्टर, निबंध एवं अन्य प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में छात्रों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। अतिथियों ने विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कार देकर उनका उत्साहवर्धन किया। समापन समारोह में वक्ताओं ने कहा कि इस तरह के आयोजन छात्रों को न केवल अकादमिक रूप से मजबूत बनाते हैं, बल्कि उन्हें सामाजिक दायित्वों के प्रति भी जागरूक करते हैं। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रहित और स्वास्थ्य सेवा के प्रति प्रतिबद्धता के संदेश के साथ हुआ। मोतिहारी शहर के सीकरीया फार्मेसी कॉलेज में राष्ट्रीय फार्मेसी सप्ताह के अवसर पर आयोजित कार्यक्रमों का भव्य समापन समारोह आयोजित किया गया। समापन कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ हुई। कॉलेज परिसर पूरे कार्यक्रम के दौरान उत्सव के रंग में रंगा नजर आया। इस अवसर पर छात्रों, शिक्षकों और अतिथियों की बड़ी संख्या में उपस्थिति रही। राष्ट्रीय फार्मेसी सप्ताह के तहत आयोजित विभिन्न शैक्षणिक, रचनात्मक और जागरूकता आधारित प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्रों को समापन समारोह में सम्मानित किया गया। पुरस्कार वितरण कार्यक्रम में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष डॉ. आशुतोष शरण, भाजपा नेत्री डॉ. हीना चंद्रा, वरिष्ठ पत्रकार प्रो. चंद्रभूषण पाण्डेय, कॉलेज के सचिव यमुना कुमार सीकरीया और कॉलेज की प्राचार्या प्रीति दुबे ने संयुक्त रूप से विजेता छात्रों को पुरस्कार और प्रमाण पत्र प्रदान किए। वैक्सीनेशन में फार्मासिस्ट की अहम भूमिका : डॉ. आशुतोष शरण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आईएमए अध्यक्ष डॉ. आशुतोष शरण ने वैक्सीन और उसके उपयोग पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने छात्रों को बताया कि किस प्रकार नए-नए वैक्सीन विकसित हो रहे हैं और सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था में उनकी भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि महामारी के समय वैक्सीनेशन ने लाखों लोगों की जान बचाई है और इसमें फार्मासिस्ट की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रही है। उन्होंने छात्रों से अपील की कि वे वैक्सीन से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने में समाज की मदद करें। सेहत सेवा की रीढ़ हैं फार्मासिस्ट- डॉ.हीना चंद्रा भाजपा नेत्री एवं प्रसिद्ध महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. हीना चंद्रा ने फार्मेसी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि डॉक्टर और फार्मासिस्ट दोनों की भूमिका अलग-अलग लेकिन एक-दूसरे की पूरक होती है। उन्होंने कहा कि फार्मासिस्ट स्वास्थ्य सेवा की रीढ़ हैं, क्योंकि सही दवा, सही मात्रा और सही समय पर मरीज तक पहुंचाने की जिम्मेदारी उन्हीं पर होती है। उन्होंने छात्रों को अपने पेशे के प्रति ईमानदारी और संवेदनशीलता बनाए रखने की सीख दी। फार्मेसी क्षेत्र में असीम संभावनाएं- प्रो.चंद्रभूषण पाण्डेय वरिष्ठ पत्रकार प्रो. चंद्रभूषण पाण्डेय ने कहा कि फार्मेसी का दायरा बेहद व्यापक है और इस क्षेत्र में युवाओं के लिए रोजगार और शोध की अपार संभावनाएं मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि आज फार्मेसी केवल दवा वितरण तक सीमित नहीं है, बल्कि रिसर्च, क्लीनिकल ट्रायल, वैक्सीन एडवोकेसी और जनस्वास्थ्य जागरूकता जैसे क्षेत्रों में भी फार्मासिस्ट की भूमिका लगातार बढ़ रही है। सरकारी थीम पर हुआ आयोजन कॉलेज के सचिव यमुना कुमार सीकरीया ने बताया कि राष्ट्रीय फार्मेसी सप्ताह का आयोजन भारत सरकार के उपक्रम फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया के निर्देशानुसार किया गया। इस वर्ष कार्यक्रम की थीम फार्मासिस्ट एज द एडवोकेट ऑफ वैक्सीनेशन रही, जिसका उद्देश्य समाज में वैक्सीनेशन के प्रति जागरूकता फैलाना था। उन्होंने कहा कि फार्मासिस्ट डॉक्टर और मरीज के बीच एक मजबूत कड़ी के रूप में कार्य करता है। उन्होंने जानकारी दी कि प्रधानमंत्री जनऔषधि केंद्रों की संख्या देशभर में बढ़कर 17,610 हो चुकी है और मार्च 2027 तक इसे 25 हजार तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। इन केंद्रों के माध्यम से आम लोगों को 75 प्रतिशत तक सस्ती दवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। छात्रों की रचनात्मकता को मिला मंच कार्यक्रम के दौरान रंगोली, पोस्टर, निबंध एवं अन्य प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में छात्रों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। अतिथियों ने विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कार देकर उनका उत्साहवर्धन किया। समापन समारोह में वक्ताओं ने कहा कि इस तरह के आयोजन छात्रों को न केवल अकादमिक रूप से मजबूत बनाते हैं, बल्कि उन्हें सामाजिक दायित्वों के प्रति भी जागरूक करते हैं। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रहित और स्वास्थ्य सेवा के प्रति प्रतिबद्धता के संदेश के साथ हुआ।


