सरदार सरोवर बांध के हजारों पीड़ितों को दिवाली पर बड़ा तोहफा, सिर्फ इतने दिन में होगी जमीनों की रजिस्ट्री

सरदार सरोवर बांध के हजारों पीड़ितों को दिवाली पर बड़ा तोहफा, सिर्फ इतने दिन में होगी जमीनों की रजिस्ट्री

High Court Order : 23 साल से परेशान सरदार सरोवर बांध प्रोजेक्ट के हजारों पीड़ितों को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने दीपावली पर बड़ा तोहफा दिया है। हाईकोर्ट ने सरदार सरोवर पीड़ितों की याचिका पर अंतरिम फैसला दिया है। जस्टिस विवेक रुसिया और जस्टिस बिनोद कुमार द्विवेदी की युगलपीठ ने धार, बड़वानी, खरगोन और आलीराजपुर कलेक्टरों को दो माह में सभी पीडि़तों को दिए गए आवंटन पत्र के आधार पर जमीन की रजिस्ट्री करवाने के आदेश दिए हैं।

सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर की जनहित याचिका में सरदार सरोवर प्रोजेक्ट में भूखंड आवंटन का मामला उठाया गया है। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि सरकार के आवंटन पत्र में केवल प्लॉट का नंबर और उसका साइज ही दर्ज है। इन आवंटन पत्रों का पंजीयन तक नहीं कराया गया है। हाईकोर्ट में बीते दिनों हुई सुनवाई में नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण (एनवीडीए) के उपाध्यक्ष और अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा के तर्क पर नाखुशी जाहिर की थी।

5 जनवरी 2026 को कोर्ट में पेश करनी होगी अनुपालन रिपोर्ट

अंतरिम आदेश के मुताबिक, हजारों विस्थापितों को मुआवजे के बदले या पुनर्वास नीति के तहत 2002 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर ये जमीनें दी गई थी। आवंटन पत्र उन्हें जमीन का मालिक तो बनाती है, लेकिन ये रजिस्टर्ड नहीं होने से इनका नामांतरण, सीमांकन, विभाजन, बंधक, विक्रय, हस्तांतरण आदि नहीं हो पा रहा है। अगर ये दस्तावेज नष्ट या गुम हो जाएं तो नया आवंटन पत्र प्राप्त करना बेहद कठिन होगा। ऐसे में सभी कलेक्टरों को इसे प्राथमिकता के आधार पर लिया जाना चाहिए। चारों जिलों के कलेक्टर 2 माह में रजिस्ट्री का काम पूरा करें। इसके बाद याचिका के अन्य मुद्दों पर कोर्ट विचार करेगी। चारों जिलों के कलेक्टरों को 5 जनवरी 2026 को कोर्ट में अनुपालन रिपोर्ट पेश करनी होगी।

कोर्ट के निर्देश

-चारों कलेक्टर कमेटी बनाएंगे, जिसमें अनुविभागीय अधिकारी, तहसीलदार और उप पंजीयक (मुद्रांक) होंगे।
-ये कमेटी भूमि के विस्थापितों के पक्ष में या कानूनी उत्तराधिकारियों के नाम पर रजिस्ट्री करेगी। रजिस्ट्री के बाद राजस्व अभिलेख में उनके नामों का नामांतरण और राजस्व मानचित्र में सुधार करेगी। तत्पश्चात संबंधित स्थानीय निकाय, पंचायत या नगर पालिका अपने अभिलेखों में नाम दर्ज करेंगे।
-एनवीडीए और नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण एक सक्षम अधिकारी को अधिकृत करेंगे, जो कलेक्टर द्वारा गठित कमेटियों का सदस्य होगा।
-भविष्य में किसी भी प्रकार के दीवानी या राजस्व विवादों से बचने के लिए निष्पादित और रजिस्ट्री में संबंधित भूमि की पहचान (क्षेत्रफल/आकार, माप, दिशा और सीमाएं) दर्ज की जाएगी।
-कोर्ट आदेश का पालन प्राथमिकता के आधार पर जिला मुख्यालय में शिविर लगाकर किया जाएगा।

राजौरा और पाटकर की जिम्मेदारी भी तय

हाईकोर्ट ने आदेश में डॉ. राजौरा और याचिकाकर्ता मेधा पाटकर की भी जिम्मेदारी तय की है। रजिस्ट्री करवाना डॉ. राजौरा की जिम्मेदारी होगी। पाटकर को भूमि विस्थापितों और कमेटियों के बीच समन्वय स्थापित करने का काम सौंपा गया है।

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