शिवहर में आलू की वैज्ञानिक खेती पर प्रशिक्षण का आयोजन:किसानों को जानकारी दी गई, उन्नत किस्मों के बीज वितरित

शिवहर में कृषि विज्ञान केंद्र ने अनुसूचित जाति परियोजना के तहत आलू की वैज्ञानिक खेती पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य अनुसूचित जाति के किसानों और महिला कृषकों को आलू उत्पादन की आधुनिक एवं वैज्ञानिक पद्धतियों से अवगत कराना था, ताकि वे आर्थिक रूप से सशक्त बन सकें। प्रशिक्षण कार्यक्रम की अध्यक्षता कृषि विज्ञान केंद्र, शिवहर की वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. अनुराधा रंजन कुमारी ने की। उन्होंने आलू की वैज्ञानिक खेती के महत्व, उपयुक्त किस्मों के चयन, मिट्टी की तैयारी, उर्वरक प्रबंधन, कीट एवं रोग नियंत्रण तथा जल प्रबंधन पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने किसानों को बताया कि वैज्ञानिक तकनीकों के उपयोग से उपज बढ़ने के साथ-साथ उत्पादन लागत भी कम होती है। वैज्ञानिक, उद्यान डॉ. संचिता घोष ने आलू लगाने की उन्नत विधियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि उचित दूरी, बीज उपचार और समय पर रोपण से आलू की गुणवत्तापूर्ण पैदावार सुनिश्चित की जा सकती है। डॉ. घोष ने खेत में आलू की बुवाई की व्यवहारिक प्रक्रिया का प्रदर्शन भी किया। कृषि अभियंत्रण वैज्ञानिक डॉ. सौरभ शंकर पटेल ने मशीन द्वारा आलू की बुवाई (मशीन प्लांटिंग) की तकनीक समझाई। उन्होंने इसके लाभ बताते हुए कहा कि मशीन से बुवाई करने पर समय की बचत होती है, श्रम लागत में कमी आती है और समरूप बुवाई संभव होती है, जिससे उत्पादन में वृद्धि होती है। डॉ. एन. एम. एच. एनलिंग ने आलू में मूल्य संवर्धन (Value Addition) पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने आलू से बनने वाले विभिन्न उत्पादों, जैसे चिप्स, फ्लेक्स और पाउडर आदि के बारे में बताया। कार्यक्रम में रेखा देवी, मीणा देवी, सुनीता देवी, नीतू देवी, ललिता देवी, रविन्द्र कुमार, सत्यनारायण बैठा, कमलेश कुमार सहित कुल 24 किसान और महिला कृषकों को आलू बीज प्रजाति ‘कुफ़री ललित’ एवं ‘कुफ़री सिंदूरी’ का प्रदर्शन (डेमो) भी प्रदान किया गया। इसका उद्देश्य उन्हें अपने खेतों में उन्नत किस्मों की खेती करने में सक्षम बनाना था। कार्यक्रम के अंत में, प्रतिभागी किसानों ने इसे अत्यंत उपयोगी बताते हुए वैज्ञानिकों का आभार व्यक्त किया। शिवहर में कृषि विज्ञान केंद्र ने अनुसूचित जाति परियोजना के तहत आलू की वैज्ञानिक खेती पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य अनुसूचित जाति के किसानों और महिला कृषकों को आलू उत्पादन की आधुनिक एवं वैज्ञानिक पद्धतियों से अवगत कराना था, ताकि वे आर्थिक रूप से सशक्त बन सकें। प्रशिक्षण कार्यक्रम की अध्यक्षता कृषि विज्ञान केंद्र, शिवहर की वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. अनुराधा रंजन कुमारी ने की। उन्होंने आलू की वैज्ञानिक खेती के महत्व, उपयुक्त किस्मों के चयन, मिट्टी की तैयारी, उर्वरक प्रबंधन, कीट एवं रोग नियंत्रण तथा जल प्रबंधन पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने किसानों को बताया कि वैज्ञानिक तकनीकों के उपयोग से उपज बढ़ने के साथ-साथ उत्पादन लागत भी कम होती है। वैज्ञानिक, उद्यान डॉ. संचिता घोष ने आलू लगाने की उन्नत विधियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि उचित दूरी, बीज उपचार और समय पर रोपण से आलू की गुणवत्तापूर्ण पैदावार सुनिश्चित की जा सकती है। डॉ. घोष ने खेत में आलू की बुवाई की व्यवहारिक प्रक्रिया का प्रदर्शन भी किया। कृषि अभियंत्रण वैज्ञानिक डॉ. सौरभ शंकर पटेल ने मशीन द्वारा आलू की बुवाई (मशीन प्लांटिंग) की तकनीक समझाई। उन्होंने इसके लाभ बताते हुए कहा कि मशीन से बुवाई करने पर समय की बचत होती है, श्रम लागत में कमी आती है और समरूप बुवाई संभव होती है, जिससे उत्पादन में वृद्धि होती है। डॉ. एन. एम. एच. एनलिंग ने आलू में मूल्य संवर्धन (Value Addition) पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने आलू से बनने वाले विभिन्न उत्पादों, जैसे चिप्स, फ्लेक्स और पाउडर आदि के बारे में बताया। कार्यक्रम में रेखा देवी, मीणा देवी, सुनीता देवी, नीतू देवी, ललिता देवी, रविन्द्र कुमार, सत्यनारायण बैठा, कमलेश कुमार सहित कुल 24 किसान और महिला कृषकों को आलू बीज प्रजाति ‘कुफ़री ललित’ एवं ‘कुफ़री सिंदूरी’ का प्रदर्शन (डेमो) भी प्रदान किया गया। इसका उद्देश्य उन्हें अपने खेतों में उन्नत किस्मों की खेती करने में सक्षम बनाना था। कार्यक्रम के अंत में, प्रतिभागी किसानों ने इसे अत्यंत उपयोगी बताते हुए वैज्ञानिकों का आभार व्यक्त किया।  

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