खगड़िया जिले के गोगरी प्रखंड क्षेत्र में धान की कटनी शुरू हो गई है। हालांकि इस बार लगातार हुई अत्यधिक बारिश ने किसानों की उम्मीदों को झटका दिया है, जिससे कई किसानों की फसल बर्बाद हो गई है। वहीं किसानों से सरकार से मुआवजे की गुहार लगाई है। कई इलाकों में फसल अच्छी हुई है, लेकिन बड़ी संख्या में किसानों के खेतों में पानी जमा रहने के कारण धान के पौधे कमजोर पड़ गए और दानों का भराव ठीक से नहीं हो पाया। विभिन्न पंचायतों के किसानों ने बताया कि बादल छाए रहने और धूप देर से निकलने के कारण फसल पकने में देरी हुई। किसान मोहम्मद साहब उद्दीन और हाजी गुफरान के अनुसार अत्यधिक बारिश से खेतों में पानी भरा रहा, जिससे पौधे तो बढ़े लेकिन बालियां कमजोर रह गईं। उनका अनुमान है कि इस साल उत्पादन पिछले वर्ष की तुलना में कम होगा। फिलहाल धान की कटनी का काम हाथों से चल रहा है। अधिकांश खेतों में धान पूरी तरह से नहीं पका है, इसलिए हार्वेस्टर मशीनों का उपयोग कम हो रहा है। किसानों का कहना है कि एक सप्ताह बाद मशीनों से कटनी में तेजी आएगी। मजदूरों की कमी और बढ़ी हुई मजदूरी दर ने कटाई की लागत बढ़ा दी है। बारिश से प्रभावित किसान अब सरकार से मुआवजे की उम्मीद लगाए बैठे हैं। किसान शैलेंद्र यादव, रविंद्र शाह और सुजीत चौधरी सहित अन्य किसानों ने कहा कि उन्होंने कड़ी मेहनत की, लेकिन प्रकृति ने साथ नहीं दिया। उन्होंने मांग की है कि क्षतिग्रस्त फसल का सर्वे कराकर उन्हें उचित मुआवजा दिया जाए। खगड़िया जिले के गोगरी प्रखंड क्षेत्र में धान की कटनी शुरू हो गई है। हालांकि इस बार लगातार हुई अत्यधिक बारिश ने किसानों की उम्मीदों को झटका दिया है, जिससे कई किसानों की फसल बर्बाद हो गई है। वहीं किसानों से सरकार से मुआवजे की गुहार लगाई है। कई इलाकों में फसल अच्छी हुई है, लेकिन बड़ी संख्या में किसानों के खेतों में पानी जमा रहने के कारण धान के पौधे कमजोर पड़ गए और दानों का भराव ठीक से नहीं हो पाया। विभिन्न पंचायतों के किसानों ने बताया कि बादल छाए रहने और धूप देर से निकलने के कारण फसल पकने में देरी हुई। किसान मोहम्मद साहब उद्दीन और हाजी गुफरान के अनुसार अत्यधिक बारिश से खेतों में पानी भरा रहा, जिससे पौधे तो बढ़े लेकिन बालियां कमजोर रह गईं। उनका अनुमान है कि इस साल उत्पादन पिछले वर्ष की तुलना में कम होगा। फिलहाल धान की कटनी का काम हाथों से चल रहा है। अधिकांश खेतों में धान पूरी तरह से नहीं पका है, इसलिए हार्वेस्टर मशीनों का उपयोग कम हो रहा है। किसानों का कहना है कि एक सप्ताह बाद मशीनों से कटनी में तेजी आएगी। मजदूरों की कमी और बढ़ी हुई मजदूरी दर ने कटाई की लागत बढ़ा दी है। बारिश से प्रभावित किसान अब सरकार से मुआवजे की उम्मीद लगाए बैठे हैं। किसान शैलेंद्र यादव, रविंद्र शाह और सुजीत चौधरी सहित अन्य किसानों ने कहा कि उन्होंने कड़ी मेहनत की, लेकिन प्रकृति ने साथ नहीं दिया। उन्होंने मांग की है कि क्षतिग्रस्त फसल का सर्वे कराकर उन्हें उचित मुआवजा दिया जाए।


