बाइक बोट घोटाले के आरोपी विजेंद्र हुड्डा के घर ईडी की टीम 8 घंटे तक रही। मुख्य दरवाजे से लेकर घर की हर अलमारी तक की डुप्लीकेट चाबी बनवाकर उन्हें खंगाला गया लेकिन टीम के हाथ कुछ नहीं लगा। खाली हाथ लौटी टीम जाते समय विजेंद्र हुड्डा के घर को सील कर गई। गेट पर चार पन्नों का नोटिस चिपका कर टीम लौट गई जिसमें 8 घंटे की हर छोटी से छोटी कार्यवाही का विवरण दिया गया था। ईडी के लखनऊ स्थित जोनल आफिस से सहायक निदेशक रूचीन कुमार के निर्देशन में टीम विजेंद्र हुड्डा के शिवलोकपुरी कंकरखेड़ा स्थित घर पहुंची। उनके साथ दो गवाह भी मौजूद थे। टीम के पास प्रवर्तन निदेशालय के डिप्टी डायरेक्टर मुकेश कुमार द्वारा जारी किए गए सर्च ऑपरेशन की कापी थी। टीम जब मकान पर पहुंची तो वहां ताला लगा था। पड़ौसियों से बात की तो उन्होंने बताया कि अक्सर यह मकान बंद ही रहता है। यह भी बताया कि एक केयरटेकर है जो हर तीन से चार दिन में यहां आता है। मकान स्वामी को यहां आए दो से तीन साल बीत गए हैं। ताले खोलने के लिए बनवाई डुप्लीकेट चाबी मकान बंद मिलने के बाद ईडी की टीम ने कंकरखेड़ा थाना पुलिस से संपर्क साधा। तब तक पुलिस को ईडी की मौजूदगी की जरा भी भनक नहीं थी। ईडी ने लॉक खोलने वाले को बुलाने का आग्रह किया। सतवीर सिंह नाम के व्यक्ति को लेकर पुलिसकर्मी पहुंचे, जिसने मकान के मुख्य दरवाजे पर लगे ताले को खोल दिया। ताला खोलकर वह वहां से लौट गया लेकिन जाने से पहले अपने भाई गोविंदा सिंह को वहां छोड़ गया। घर का हर कमरा, हर अलमारी खंगाली ताला खुलने के बाद टीम ने घर में प्रवेश किया। ग्राउंड फ्लोर पर तीन कमरे, एक किचन और बाथरूम बना था। सर्च की कार्रवाई शुरु की गई। हर कमरा और वहां रखी अलमारी को खुलवाया गया लेकिन कुछ नहीं मिला। इसके बाद प्रथम तल पर बने दो कमरे, किचन, बाथरूम और द्वितीय तल पर बने दो कमरों, पूजा घर, किचन व बाथरूम की तलाशी ली गई लेकिन यहां भी कुछ नहीं मिला। यहां ग्राउंड फ्लोर व द्वितीय तल पर भी टीम को एक एक अलमारी मिलीं, जिनका लॉक चाबी बनाने वाले गोविंदा से खुलवाया गया। नहीं बरामद हुआ किसी तरह का कागज करीब आठ घंटे सर्च ऑपरेशन चला लेकिन ईडी के हाथ कुछ नहीं लगा। कोई कागज तक बरामद नहीं हुआ। इसके बाद टीम में शामिल प्रत्येक व्यक्ति ने एक दूसरे की तलाशी ली और विजेंद्र हुड्डा के घर से बाहर आ गए। उन्होंने बताया कि घर के भीतर से कुछ भी बरामद नहीं हुआ है। इसके बाद पूरे घर को लॉक करने के बाद हर ताले को सील किया गया। मुख्य दरवाजे के ताले पर भी टीम ने सील लगाई और रवाना हो गई। सीलिंग का नोटिस भी किया गया चस्पा कार्रवाई पूरी होने के बाद शाम को टीम बाहर निकली और चार पेज का एक नोटिस दरवाजे के बराबर की दीवार पर चस्पा किया। इसमें ना केवल सीलिंग की कार्रवाई का विवरण था बल्कि कहां-कहां, क्या-क्या सर्च किया गया, इसकी भी जानकारी खोली गई थी। यह भी खुलासा हुआ कि मेरठ में चार स्थानों पर ईडी की टीम लगीं थीं जो बाइक बोट घोटाले के आरोपी विजेंद्र हुड्ड से जुड़े मोनाड यूनिवर्सिटी के फर्जीवाड़े की भी जांच कर रही है।


