बिहार में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। वहीं राजनीतिक पार्टियां एक ओर जहां जिताऊ उम्मीदवारों की गणित में लगी हुई हैं, तो वहीं राजनीतिक विश्लेषक भी इस चुनाव पर अपनी पैनी नजरें बनाए हुए हैं। बिहार विधानसभा चुनाव दो चरणों में यानी की 06 नवंबर और 11 नवंबर को होना है। वहीं चुनावी नतीजे 14 नवंबर 2025 को आने हैं। इसी बीच राज्य में चुनाव आयोग ने स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन कराया था, उसका मामला भी सुप्रीम कोर्ट में आया। फिलहाल कोर्ट ने कोई बड़ा आदेश देने के बजाए प्रभावित वोटरों को चुनाव आयोग में अपील करने के लिए कहा है।
इन सबके बीच जो कई अहम सवाल बने हुए हैं, वह ये हैं कि यह चुनाव पहले के चुनावों से अलग कैसे हैं। क्योंकि विपक्ष इस बार के चुनाव को नीतीश कुमार का आखिरी चुनाव कह रहा है। क्या जनता महागठबंधन पर भरोसा जताएगी या फिर अभी भी जनता का विश्वास एनडीए पर बना हुआ है।
बता दें कि बिहार की वोटर लिस्ट में 20 लाख ऐसे नाम पाए गए हैं, जिन वोटरों का निधन हो गया है। वहीं 8 लाख ऐसे वोटरों को भी चिह्नित किया गया है, जिनका एड्रेस अब बदल चुका है। कुल मिलाकर 50 लाख से ज्यादा वोटरों के नाम हटाए जाने की जानकारी चुनाव आयोग की तरफ से दी जा चुकी है। राज्य में चुनाव आयोग की तरफ से वोटर लिस्ट के गहन पुनरीक्षण और सत्यापन के लिए अभियान चलाया गया है। बता दें कि इस अभियान के तहत सूबे के 98.1% वोटर किए जा चुके हैं। वहीं विपक्ष इसको चुनाव आयोग के जरिए सत्तारूढ़ बीजेपी का ‘खेला’ मान रहा है, वहीं बीजेपी और एनडीए का कहना है कि यह एक ‘सामान्य प्रक्रिया’ है।
राजनीतिक हंगामे के बाद भी चुनाव आयोग अपना काम किए जा रहा है। चुनाव आयोग का कहना है कि बिहार की वोटर लिस्ट में बांग्लादेश, नेपाल और म्यांमार के नागरिकों के नाम पाए गए हैं। जिनको 01 अगस्त के बाद नागरिकता जांच के बाद हटाया जाएगा। दूसरी ओर विपक्ष की पुरजोर प्रयास है कि इस मुद्दे को किसी तरह से विधानसभा तक खींचा जाए। क्योंकि विपक्ष इस मुद्दे को चुनाव में जमकर भुनाने की कोशिश में हैं। हालांकि यह मुद्दा चुनाव में क्या रंग लाएगा, यह कहना अभी कठिन है।


