झांसी जिला जेल में बंदी की आत्महत्या के मामले में शासन ने कार्रवाई तेज कर दी है। पूर्व आईपीएस और आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर की शिकायत पर डीआईजी जेल ने बंदी के पास मिले सुसाइड नोट में हैंडराइटिंग का मिलान लैब से कराना शुरू कर दिया है। इसके बाद अब फिर से झांसी जेल चर्चा में आ गई है। बता दें कि 30 सितंबर 2024 को झांसी के मऊरानीपुर के ग्राम टिकरी निवासी करण कुशवाहा पुत्र दयाराम कुशवाहा की झांसी जेल में संदिग्ध मौत के मामले में मृतक की हैंडराइटिंग का मिलान शुरू हो गया है। आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर ने अपनी शिकायत में कहा था कि उन्हें प्राप्त अभिलेखों के अनुसार इस घटना के संबंध में मुख्य नयायाधीश, किशोर न्याय बोर्ड, झांसी हर्षिता सिंह द्वारा जांच करते 34 पृष्ठ की अपनी विस्तृत जांच आख्या सौंपी गई थी। जांच में उन्होंने निष्कर्ष निकाला था कि करण कुशवाहा की मौत जेल प्रशासन के अधिकारी जेलर कस्तूरी लाल गुप्ता, डिप्टी जेलर जगबीर सिंह चौहान और डिप्टी जेलर रामनाथ मिश्रा द्वारा राइटर से संबंधित पैसों को लेकर दबाव बनाने, प्रताड़ित करने और आत्महत्या के लिए विवश करने के कारण होना प्रतीत होता है। साथ ही जांच में जेल प्रशासन द्वारा राइटर बनाने के लिए बंदियों से पैसे लेने, अनावश्यक जवाब बनाने, मारपीट करने जैसे आरोप सामने आए थे। जज हर्षिता सिंह ने कहा था कि झांसी जेल में कुछ तो दुर्गंध है। सीजेएम झांसी ने यह जांच आख्या 23 जनवरी 2025 को ही डीएम तथा एसएससी झांसी को भेजी थी। अमिताभ ठाकुर की शिकायत के क्रम में डीआईजी जेल प्रदीप गुप्ता ने कहा है कि इस संबंध में डीआईजी जेल कानपुर परिक्षेत्र ने 17 अक्टूबर 2025 के अपनी आख्या में बताया है कि करण कुशवाहा के पास से बरामद सुसाइड नोट में हैंडराइटिंग के परीक्षण रिपोर्ट प्राप्त किए बिना न्यायिक जांच में प्रतिकूल तथ्य लिखे गए थे जो न्याय संगत नहीं है। उक्त हैंडराइटिंग रिपोर्ट के परीक्षण की कार्रवाई विधि विज्ञान प्रयोगशाला झांसी में प्रचलित है। रिपोर्ट प्राप्त होते ही उत्तरदाई कर्मियों के खिलाफ समुचित कार्रवाई की जाएगी। वहीं, अब अमिताभ ठाकुर ने डीजी जेल को दोबारा पत्र लिखकर तत्काल हैंडराइटिंग रिपोर्ट प्राप्त कर अग्रिम कार्रवाई किए जाने की मांग की है।


