लखीसराय जिले में लगातार हो रही बारिश के कारण जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। पिछले तीन दिनों से जारी रिमझिम बारिश के चलते किउल नदी पर बना कच्चा संपर्क मार्ग टूट गया है, जिससे लोगों को आवागमन में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ‘मोंथा’ तूफान का असर बताया जा रहा है कि ‘मोंथा’ चक्रवाती तूफान का असर लखीसराय में भी देखा जा रहा है। इसी के चलते जिले में लगातार बारिश हो रही है और मौसम में हल्की ठंडक महसूस की जा रही है। सुबह नौ बजे से शुरू हुई बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही थी, हालांकि दोपहर में कुछ समय के लिए हल्की राहत मिलने पर बाजार में वाहनों की आवाजाही तेज हो गई थी। संपर्क मार्ग टूटने से लोगों को 7 किमी. का अतिरिक्त चक्कर लगातार बारिश के कारण किउल नदी का जलस्तर फिर से बढ़ गया है। इसी वजह से किउल नदी पर बना अस्थायी कच्चा संपर्क मार्ग टूट गया। यह मार्ग किउल और लखीसराय को जोड़ने वाला मुख्य कच्चा रास्ता था, जिससे लोग मात्र आधे किलोमीटर की दूरी तय कर किउल पहुंच जाते थे। अब इस मार्ग के टूटने के बाद लोगों को किउल रेलवे स्टेशन और चानन जाने के लिए लगभग सात किलोमीटर का अतिरिक्त चक्कर लगाना पड़ेगा। इससे स्थानीय निवासियों और यात्रियों को काफी असुविधा हो रही है। लखीसराय जिले में लगातार हो रही बारिश के कारण जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। पिछले तीन दिनों से जारी रिमझिम बारिश के चलते किउल नदी पर बना कच्चा संपर्क मार्ग टूट गया है, जिससे लोगों को आवागमन में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ‘मोंथा’ तूफान का असर बताया जा रहा है कि ‘मोंथा’ चक्रवाती तूफान का असर लखीसराय में भी देखा जा रहा है। इसी के चलते जिले में लगातार बारिश हो रही है और मौसम में हल्की ठंडक महसूस की जा रही है। सुबह नौ बजे से शुरू हुई बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही थी, हालांकि दोपहर में कुछ समय के लिए हल्की राहत मिलने पर बाजार में वाहनों की आवाजाही तेज हो गई थी। संपर्क मार्ग टूटने से लोगों को 7 किमी. का अतिरिक्त चक्कर लगातार बारिश के कारण किउल नदी का जलस्तर फिर से बढ़ गया है। इसी वजह से किउल नदी पर बना अस्थायी कच्चा संपर्क मार्ग टूट गया। यह मार्ग किउल और लखीसराय को जोड़ने वाला मुख्य कच्चा रास्ता था, जिससे लोग मात्र आधे किलोमीटर की दूरी तय कर किउल पहुंच जाते थे। अब इस मार्ग के टूटने के बाद लोगों को किउल रेलवे स्टेशन और चानन जाने के लिए लगभग सात किलोमीटर का अतिरिक्त चक्कर लगाना पड़ेगा। इससे स्थानीय निवासियों और यात्रियों को काफी असुविधा हो रही है।


