World Stroke Day 2025: बढ़ता एयर पॉल्यूशन बन रहा है ब्रेन अटैक की बड़ी वजह! जानिए कैसे बचें

World Stroke Day 2025: बढ़ता एयर पॉल्यूशन बन रहा है ब्रेन अटैक की बड़ी वजह! जानिए कैसे बचें

World Stroke Day 2025: आज के समय में स्ट्रोक यानी ब्रेन अटैक दुनिया में तेजी से बढ़ने वाली न्यूरोलॉजिकल बीमारी बन चुकी है। हर साल 29 अक्टूबर को World Stroke Day मनाया जाता है ताकि लोग इसके शुरुआती लक्षण पहचान सकें और समय रहते इलाज करा सकें। डॉक्टर बताते हैं कि अगर स्ट्रोक के बाद पहले 4.5 घंटे के अंदर इलाज शुरू हो जाए, तो मरीज की जान बचाई जा सकती है।

हर मिनट की देरी दिमाग की लाखों कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाती है। इसलिए इस साल का संदेश है, BEFAST यानी
B – Balance loss (संतुलन बिगड़ना)
E – Eye vision loss (दृष्टि धुंधली होना)
F – Face drooping (चेहरा लटकना)
A – Arm weakness (हाथ या पैर कमजोर पड़ना)
S – Speech problem (बोलने में परेशानी)
T – Time to call help (फौरन मदद बुलाना)

प्रदूषण से बढ़ रहा है स्ट्रोक का खतरा

डॉक्टर पूजा आनंद ने बताया कि स्ट्रोक का एक बड़ा कारण अब एयर पॉल्यूशन भी बन चुका है। जब हम प्रदूषित हवा में सांस लेते हैं, तो उसमें मौजूद PM 2.5 जैसे महीन कण फेफड़ों से होकर खून में पहुंच जाते हैं और ब्लड वेसल्स को नुकसान पहुंचाते हैं। इससे ब्लॉकेज या ब्लीडिंग हो सकती है जो स्ट्रोक की वजह बनती है। एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में करीब 20 लाख स्ट्रोक से होने वाली मौतें प्रदूषण से जुड़ी हैं। खास बात यह है कि अब केवल बुजुर्ग ही नहीं, बल्कि 30 से 40 साल की उम्र के युवा भी स्ट्रोक का शिकार हो रहे हैं।

भारत में तेजी से बढ़ रहे मामले

भारत में पिछले तीन दशकों में स्ट्रोक के मामले लगभग दोगुने हो गए हैं। पहले जहां 1990 में 6.5 लाख मामले थे, वहीं अब यह संख्या 12.5 लाख से ज्यादा पहुंच चुकी है। इनमें से लगभग 20–30% मरीज 50 साल से कम उम्र के हैं। स्ट्रोक अब भारत में मौत और दिव्यांगता का सबसे बड़ा कारण बन गया है।

गोल्डन ऑवर का महत्व

डॉक्टर बताते हैं कि स्ट्रोक शुरू होते ही हर मिनट में करीब 20 लाख दिमागी कोशिकाएं मरती हैं। अगर मरीज को पहले 4.5 घंटे के अंदर अस्पताल पहुंचा दिया जाए, तो क्लॉट बस्टिंग इंजेक्शन से उसकी जान बचाई जा सकती है। लेकिन दुर्भाग्य से भारत में केवल 1% मरीज ही समय पर यह इलाज पा पाते हैं।

कैसे करें बचाव?

ब्लड प्रेशर, शुगर और कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल में रखें, धूम्रपान और जंक फूड से बचें, रोज थोड़ा पैदल चलें और प्रदूषण से बचाव करें। एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) पर नजर रखें, जरूरत हो तो एयर प्यूरीफायर इस्तेमाल करें और एंटीऑक्सिडेंट फूड (जैसे बेरीज़, नट्स, हरी सब्जियां) खाएं।

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