देश के प्रमुख स्वास्थ्य संस्थानों में शामिल एम्स भोपाल में आज भी वो सुविधाएं नहीं हैं, जिनकी घोषणा सालों पहले हो चुकी थी। सितंबर 2022 में मंजूर हुआ 99 करोड़ का क्रिटिकल केयर यूनिट (CCU) और 2019 में स्वीकृत 58 करोड़ का पीईटी सिटी स्कैन और गामा नाइफ सेंटर अब तक अधूरा है। जिस वजह से गंभीर रोगों के मरीज आज भी बेहतर इलाज की तलाश में दूसरे राज्यों में भटक रहे हैं। अब इस मामले में प्रबंधन का कहना है कि यह तीनों प्रोजेक्ट मार्च 2026 तक पूरे हो जाएंगे। वहीं, जून 2026 से यह सुविधाएं मरीजों को मिलने लगेंगी। हालांकि यह तीसरी बार है जब इन प्रोजेक्ट की डेडलाइन बढ़ाई गई है। गामा नाइफ का तो साल 2019 से हो रहा इंतजार
ब्रेन कैंसर, ब्रेन ट्यूमर जैसी घातक बीमारियों के इलाज के लिए गामा नाइफ सबसे एडवांस तकनीक है। साल 2019 में इसके लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा गया था। तब से ही इसके शुरू होने का इंतजार हो रहा है। कोरोना के चलते दो साल काम अटक गया था। देखा जाए तो यह सुविधा आने में 7 साल लग रहे हैं। इसका उपयोग ज्यादातर नसों में मौजूद छोटे ट्यूमर खासकर ब्रेन ट्यूमर के लिए किया जाता है। इसमें रेडिएशन केवल ट्यूमर पर दिया जाता है, जो कैंसर सेल के अंदर मौजूद डीएनए को नष्ट कर देता है। यह 99 फीसदी कारगर है। भोपाल ही नहीं प्रदेश के लिए जरूरी
इन सेंटर के तैयार होने के बाद गंभीर मरीजों को इलाज के लिए दिल्ली मुंबई का बार-बार सफर नहीं करना पड़ेगा। मध्यप्रदेश समेत आसपास के राज्यों के लोगों को भी इसका फायदा मिलेगा। सरकारी सेंटर में सुविधा होने से जांच और इलाज का खर्च निजी अस्पतालों की तुलना में काफी कम होगा। पास में सुविधा होने से सही समय पर जांच से बीमारी की गंभीरता कम होगी। पीईटी सीटी स्कैन यह एक न्यूक्लियर इमेजिंग तकनीक है जो शरीर के सेलुलर लेवल पर हो रही गतिविधियों को दिखाता है। इसमें शरीर में एक रेडियोएक्टिव ट्रेसर इंजेक्ट किया जाता है। जो उन अंगों में जमा होता है, जहां अधिक मेटाबोलिक एक्टिविटी होती है। यह ट्रेसर कैंसर जैसी बीमारियों में अधिक मात्रा में जमा होता है क्योंकि ट्यूमर सेल्स ज्यादा सक्रिय होते हैं। फिर स्कैनर की मदद से यह रेडिएशन सिग्नल को पकड़ता है और कंप्यूटर की सहायता से अंगों की 6D इमेज तैयार की जाती है। किन बीमारियों में फायदेमंद गामा नाइफ गामा नाइफ कोई सर्जिकल “नाइफ” नहीं है बल्कि एक प्रकार की रेडियो सर्जरी है। इसमें गामा किरणों की 192-200 पतली बीम एक साथ ट्यूमर के केंद्र पर फोकस की जाती हैं। यह प्रक्रिया पूरी तरह नॉन-इनवेसिव होती है यानी इसमें न चीर-फाड़ होती है और न ही ब्लीडिंग। ट्यूमर पर केंद्रित रेडिएशन वहां की डीएनए स्ट्रक्चर को नष्ट कर देता है जिससे वह बढ़ना बंद कर देता है या सिकुड़ने लगता है। किन बीमारियों में फायदेमंद क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल ब्लॉक इसमें एक साथ 150 गंभीर मरीजों के इलाज की सुविधा मिलेगी। 24 घंटे ऑपरेशन थिएटर सक्रिय रहते, जिससे इमरजेंसी सर्जरी में जान बचाई जा सकती थी। एक पूरी डेडिकेटेड टीम होगी जो सिर्फ क्रिटिकल मरीजों के इलाज से जुड़ी जिम्मेदारी निभाएगी। इससे मरीजों को फोकस्ड इलाज मिल सकेगा। किन मरीजों में फायदेमंद


