लोक आस्था का प्रतीक छठ महापर्व यमुनानगर जिले में पूरे जोशो-खरोश के साथ मनाया जा रहा है। व्रतियों ने खरना कर 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू किया और शाम काे अस्ताचल सूर्य को अर्घ्य दिया। शहर के यमुना किनारे 15 छठ घाटों को विशेष रूप से सजाया गया है, जहां पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु एकत्रित हुए और भजन-कीर्तन और पारंपरिक लोकगीतों की गूंज से वातावरण भक्तिमय हो गया। दोपहर बाद व्रती महिलाएं स्नान-ध्यान कर नए वस्त्र धारण करके घाटों की ओर रवाना हुईं। निर्जला व्रत में बिना जल और अन्न ग्रहण किए उपासना करने वाली महिलाओं ने मिट्टी के चूल्हे पर ठेकुआ, गुड़ की खीर और फलों का प्रसाद तैयार किया। शाम होते ही यमुना के किनारे सूर्यास्त के समय डूबते सूर्य को जल, सूप में रखी पूजन सामग्री और दूध-फल अर्पित कर अर्घ्य दिया गया। स्थानीय निवासी मीना देवी ने बताया, यह व्रत हमारी परंपरा का अभिन्न हिस्सा है। छठी मइया से संतान की रक्षा और परिवार की सुख-शांति की कामना के लिए हम यह कठिन उपवास रखती हैं। यमुनानगर के घाटों पर इस बार विशेष भीड़ देखने को मिल रही है। वहीं, एक अन्य व्रती रानी ने कहा, 36 घंटे का निर्जला व्रत कठिन तो है, लेकिन मइया की कृपा से आसान हो जाता है। कल उषा अर्घ्य के साथ व्रत संपन्न होगा। तस्वीरों में देखें यमुनानगर में छठ पर्व की झलकियां…


