मधुबनी जिले में महान आस्था के पर्व छठ का संध्या अर्घ्य सोमवार को संपन्न हुआ। विभिन्न स्थानों पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर उपासना की। यह पर्व लोक आस्था और परंपरा का प्रतीक है। तीन दिवसीय छठ व्रत खरना के साथ शुरू होता है, जिसके बाद संध्या अर्घ्य और फिर सुबह का अर्घ्य दिया जाता है। संध्या अर्घ्य डूबते सूर्य को और सुबह का अर्घ्य उगते सूर्य को समर्पित किया जाता है। मंगलवार सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही इस महापर्व का विधिवत समापन होगा। बाबूबरही के बगोल गांव में भी पोखर में छठ मनाया गया। हालांकि, यहां पोखर की सफाई और प्रशासनिक व्यवस्था न होने से श्रद्धालुओं में निराशा थी। लोगों ने बताया कि प्रशासन का ध्यान न होने के कारण पूरे पोखर में गंदगी फैली हुई थी। इन चुनौतियों के बावजूद, लोगों ने अपनी अटूट आस्था के साथ छठ पर्व मनाया। मंगलवार सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद पर्व का समापन हो जाएगा। मधुबनी जिले में महान आस्था के पर्व छठ का संध्या अर्घ्य सोमवार को संपन्न हुआ। विभिन्न स्थानों पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर उपासना की। यह पर्व लोक आस्था और परंपरा का प्रतीक है। तीन दिवसीय छठ व्रत खरना के साथ शुरू होता है, जिसके बाद संध्या अर्घ्य और फिर सुबह का अर्घ्य दिया जाता है। संध्या अर्घ्य डूबते सूर्य को और सुबह का अर्घ्य उगते सूर्य को समर्पित किया जाता है। मंगलवार सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही इस महापर्व का विधिवत समापन होगा। बाबूबरही के बगोल गांव में भी पोखर में छठ मनाया गया। हालांकि, यहां पोखर की सफाई और प्रशासनिक व्यवस्था न होने से श्रद्धालुओं में निराशा थी। लोगों ने बताया कि प्रशासन का ध्यान न होने के कारण पूरे पोखर में गंदगी फैली हुई थी। इन चुनौतियों के बावजूद, लोगों ने अपनी अटूट आस्था के साथ छठ पर्व मनाया। मंगलवार सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद पर्व का समापन हो जाएगा।


