मधुबनी में लोक आस्था का महापर्व छठ रविवार को अपने तीसरे दिन श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया गया। जिले भर में छठ व्रतियों ने शाम को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर भगवान भास्कर की आराधना की। मधुबनी, झंझारपुर, जयनगर, अंधराठाढ़ी, बेनीपट्टी, फुलपरास सहित सभी प्रखंडों के घाटों पर श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। सजावट, साफ-सफाई और रंगोली ने मनमोहा इस दौरान छठ घाटों पर व्रतियों के साथ उनके परिजन पूरे उत्साह के साथ पहुंचे। जगह-जगह सजावट, साफ-सफाई और रंगोली से वातावरण भक्तिमय बना रहा। महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में सिर पर सुपली, नारियल, केला, गन्ना, ठेकुआ, कसार और फल-सामग्री से भरे दऊरा लेकर सूर्यदेव की पूजा हेतु घाटों तक पहुंचीं। झंझारपुर और जयनगर के कमला नदी घाटों पर विशेष दृश्य देखने को मिला। झंझारपुर के कमला नदी तट पर सैकड़ों की संख्या में व्रती महिलाएं अपने परिवार के साथ मौजूद थीं। यहां देखें छठ महापर्व की मनमोहक तस्वीरें… उठे सुगवा ने अर्घ दिहे के बेर… सूर्य के अस्ताचल की ओर बढ़ने के साथ ही घाट पर “छठ मइया के जयकारे”, “कांच ही बांस के बहंगिया” और “उठे सुगवा ने अर्घ दिहे के बेर” जैसे पारंपरिक गीत गूंजने लगे, जिससे माहौल पूरी तरह भक्तिमय हो गया। सीमावर्ती जयनगर क्षेत्र में भी कमला नदी किनारे श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी, जिसमें नेपाल से भी कई व्रती शामिल थे। प्रशासन की ओर से सुरक्षा और व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। एनडीआरएफ, गोताखोर दल और स्थानीय पुलिस कर्मी लगातार घाटों की निगरानी कर रहे थे ताकि किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके। छठ केवल पर्व नहीं,बल्कि आस्था,अनुशासन का प्रतीक अर्घ्य के वक्त व्रती महिलाएं परिवार के सुख-समृद्धि और संतान की दीर्घायु की कामना करती दिखीं। स्थानीय लोगों ने बताया कि छठ केवल एक पर्व नहीं, बल्कि आस्था, अनुशासन और पवित्रता का प्रतीक है, जो समाज को एकता के सूत्र में जोड़ता है। अब सोमवार की सुबह उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ यह चार दिवसीय महापर्व संपन्न होगा। इसके बाद व्रती जल से अर्घ्य देकर पूजा का समापन करेंगी और परिवार के सदस्यों को ठेकुआ, कसार व फलों से प्रसाद वितरित करेंगी। मधुबनी का पूरा वातावरण इस समय छठमय है, हर गली, हर घाट और हर घर से भक्ति संगीत की गूंज सुनाई दे रही है। मधुबनी में लोक आस्था का महापर्व छठ रविवार को अपने तीसरे दिन श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया गया। जिले भर में छठ व्रतियों ने शाम को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर भगवान भास्कर की आराधना की। मधुबनी, झंझारपुर, जयनगर, अंधराठाढ़ी, बेनीपट्टी, फुलपरास सहित सभी प्रखंडों के घाटों पर श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। सजावट, साफ-सफाई और रंगोली ने मनमोहा इस दौरान छठ घाटों पर व्रतियों के साथ उनके परिजन पूरे उत्साह के साथ पहुंचे। जगह-जगह सजावट, साफ-सफाई और रंगोली से वातावरण भक्तिमय बना रहा। महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में सिर पर सुपली, नारियल, केला, गन्ना, ठेकुआ, कसार और फल-सामग्री से भरे दऊरा लेकर सूर्यदेव की पूजा हेतु घाटों तक पहुंचीं। झंझारपुर और जयनगर के कमला नदी घाटों पर विशेष दृश्य देखने को मिला। झंझारपुर के कमला नदी तट पर सैकड़ों की संख्या में व्रती महिलाएं अपने परिवार के साथ मौजूद थीं। यहां देखें छठ महापर्व की मनमोहक तस्वीरें… उठे सुगवा ने अर्घ दिहे के बेर… सूर्य के अस्ताचल की ओर बढ़ने के साथ ही घाट पर “छठ मइया के जयकारे”, “कांच ही बांस के बहंगिया” और “उठे सुगवा ने अर्घ दिहे के बेर” जैसे पारंपरिक गीत गूंजने लगे, जिससे माहौल पूरी तरह भक्तिमय हो गया। सीमावर्ती जयनगर क्षेत्र में भी कमला नदी किनारे श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी, जिसमें नेपाल से भी कई व्रती शामिल थे। प्रशासन की ओर से सुरक्षा और व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। एनडीआरएफ, गोताखोर दल और स्थानीय पुलिस कर्मी लगातार घाटों की निगरानी कर रहे थे ताकि किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके। छठ केवल पर्व नहीं,बल्कि आस्था,अनुशासन का प्रतीक अर्घ्य के वक्त व्रती महिलाएं परिवार के सुख-समृद्धि और संतान की दीर्घायु की कामना करती दिखीं। स्थानीय लोगों ने बताया कि छठ केवल एक पर्व नहीं, बल्कि आस्था, अनुशासन और पवित्रता का प्रतीक है, जो समाज को एकता के सूत्र में जोड़ता है। अब सोमवार की सुबह उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ यह चार दिवसीय महापर्व संपन्न होगा। इसके बाद व्रती जल से अर्घ्य देकर पूजा का समापन करेंगी और परिवार के सदस्यों को ठेकुआ, कसार व फलों से प्रसाद वितरित करेंगी। मधुबनी का पूरा वातावरण इस समय छठमय है, हर गली, हर घाट और हर घर से भक्ति संगीत की गूंज सुनाई दे रही है।


