पटना| स्वाभिमान साहित्यिक मंच द्वारा आयोजित 39वें राष्ट्रीय कवि दरबार में साहित्य प्रेमियों का समागम हुआ। इस उत्कृष्ट आयोजन का संयोजन नरेश कुमार आष्टा ने किया, जबकि अध्यक्षता लोहघाट, चंपावत उत्तराखंड की सोनिया आर्या सब्र ने की। कार्यक्रम का संचालन पटियाला से आईं जागृति गौड़ ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना के साथ हुई, जिसे जागृति गौड़ ने प्रस्तुत किया। इसके बाद, स्वाति चौरे ने एक मनमोहक गीत प्रस्तुत किया। प्रसिद्ध साहित्यकार संतोष मालवीय ने अपनी कविता से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनकी कविता के बोल थे: “मेरे जीवन में, चुटकी भर उजाले हैं। कवि एवं चित्रकार सिद्धेश्वर ने अपने अंदाज में कहा -तुमसे ख़फ़ा-ख़फ़ा होना मेरी किस्मत, प्यार में नुक़सान-नफ़ा होना मेरी किस्मत। दिल्ली से आए कालजयी घनश्याम ने एक पत्थर से चोट खा बैठे, जख्म दिल पर कई लगा बैठे पर बजी ताली । नंदकुमार आदित्य, दुर्गेश मोहन और जागृति गौड़ ने अपनी शायरी पढ़ी। पटना| स्वाभिमान साहित्यिक मंच द्वारा आयोजित 39वें राष्ट्रीय कवि दरबार में साहित्य प्रेमियों का समागम हुआ। इस उत्कृष्ट आयोजन का संयोजन नरेश कुमार आष्टा ने किया, जबकि अध्यक्षता लोहघाट, चंपावत उत्तराखंड की सोनिया आर्या सब्र ने की। कार्यक्रम का संचालन पटियाला से आईं जागृति गौड़ ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना के साथ हुई, जिसे जागृति गौड़ ने प्रस्तुत किया। इसके बाद, स्वाति चौरे ने एक मनमोहक गीत प्रस्तुत किया। प्रसिद्ध साहित्यकार संतोष मालवीय ने अपनी कविता से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनकी कविता के बोल थे: “मेरे जीवन में, चुटकी भर उजाले हैं। कवि एवं चित्रकार सिद्धेश्वर ने अपने अंदाज में कहा -तुमसे ख़फ़ा-ख़फ़ा होना मेरी किस्मत, प्यार में नुक़सान-नफ़ा होना मेरी किस्मत। दिल्ली से आए कालजयी घनश्याम ने एक पत्थर से चोट खा बैठे, जख्म दिल पर कई लगा बैठे पर बजी ताली । नंदकुमार आदित्य, दुर्गेश मोहन और जागृति गौड़ ने अपनी शायरी पढ़ी।


