गोरखपुर में रविवार को जामिया अल इस्लाह एकेडमी, नौरंगाबाद, सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफरा और मकतब इस्लामियात तुर्कमानपुर में इस्लामी बहनों और भाईयों के लिए चालीस हदीसों की विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में तौहीद, जन्नत और अल्लाह की रहमत पर विशेष रूप से चर्चा की गई। मुख्य वक्ता कारी मुहम्मद अनस कादरी नक्शबंदी ने कहा कि इस्लाम धर्म में तौहीद जन्नत में प्रवेश की सबसे महत्वपूर्ण शर्त है। उन्होंने बताया कि जो लोग तौहीद पर ईमान रखते हैं और नेक काम करते हैं, उन्हें अल्लाह की बनाई जन्नत मिलती है। उन्होंने कहा कि तौहीद का अर्थ है केवल अल्लाह को एक मानना और यही इस्लाम का मूल सिद्धांत है। जन्नत की विशेषताएं और तौहीद का प्रभाव कारी मुहम्मद अनस कादरी ने आगे कहा कि तौहीद पर सच्चा विश्वास ही ईमान की नींव है। बिना तौहीद के कोई भी नेक काम अल्लाह की बारगाह में स्वीकार नहीं होता। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति सच्चे दिल से ‘ला इलाहा इल्लल्लाह’ कहता है, वह जन्नत में प्रवेश करेगा। जन्नत उन नेक बंदों के लिए बनाई गई है, जहां हमेशा खुशी और सुकून मिलता है और अल्लाह का दीदार सबसे बड़ी नेमत होती है। विशिष्ट वक्ता ने समझाई अल्लाह की रहमत विशिष्ट वक्ता हाफिज रहमत अली निजामी ने कहा कि अल्लाह की रहमत का मतलब है उसकी दया और कृपा, जो हर प्राणी को मिलती है। उन्होंने बताया कि हवा, पानी और भोजन जैसी हर चीज अल्लाह की रहमत का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि अल्लाह पछतावा करने वालों को माफ करता है और नेक काम करने वालों के लिए उसकी दया हमेशा करीब रहती है। कार्यशाला में अमन और शांति के लिए दुआ कार्यशाला का समापन दरूद-ओ-सलाम पढ़कर अमन और शांति की दुआ के साथ किया गया। इस अवसर पर वरिष्ठ शिक्षक आसिफ महमूद, मुजफ्फर हसनैन रूमी, नेहाल अहमद, शहबाज सिद्दीकी, शीराज सिद्दीकी, ताबिश सिद्दीकी, हाजी फैज अहमद, मुहम्मद जैद, मुहम्मद आजम, नावेद आलम, सादिया नूर सहित तमाम लोग मौजूद रहे।


