रविवार को संभल के थाना हयातनगर क्षेत्र के गांव बेनीपुर स्थित श्रीवंश गोपाल तीर्थ मंदिर पर फैरी मेले का आयोजन किया गया। दीपावली के बाद कार्तिक माह की पंचमी पर आयोजित इस मेले में तीर्थ मंदिर के मैदान में बड़े-बड़े झूले और दुकानें लगाई गईं। संभल, बहजोई, चंदौसी, पंवासा, असमोली, सिरसी सहित 100 से अधिक गांवों के लोग मेले में शामिल होने पहुंचे। श्रद्धालुओं ने कुंड में आस्था की डुबकी लगाई और कदम वृक्ष की परिक्रमा करते हुए भगवान की पूजा-अर्चना की। मान्यता है कि संभल त्रिकोणीय रूप से बसा हुआ है, जिसके तीनों कोनों पर समलेश्वरी, भुवनेश्वर और चंदेश्वर मंदिर स्थित हैं। यहां का कदम वृक्ष 5200 साल पुराना बताया जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने रुक्मणी का हरण करते समय एक रात्रि यहां विश्राम किया था। उन्होंने रुक्मणी को बताया था कि वे कलयुग में कल्कि के रूप में इसी संभल में अवतार लेंगे। ब्रह्माजी को बुलाकर संभलेश्वर महादेव की स्थापना की गई थी, जिसके अतिरिक्त भुवनेश्वर और चंदेश्वर महादेव की भी स्थापना हुई थी। यहां 19 प्राचीन कूपों और 68 तीर्थों की भी स्थापना की गई थी। हयातनगर निवासी अनुराधा ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण रुक्मणी का हरण कर यहीं आए थे। उनकी मान्यता है कि सच्चे भाव से श्रीकृष्ण से मांगी गई हर मन्नत पूरी होती है। वंश गोपाल तीर्थ मंदिर की बहुत अधिक मान्यता है। देखें 5 तस्वीरें… सरायतरीन निवासी निशि वार्ष्णेय ने बताया कि वंश गोपाल तीर्थ पर हर साल फेरी मेला लगता है। उनके अनुसार, श्रीकृष्ण रुक्मणी को सबसे पहले यहीं लेकर आए थे और कदम के वृक्ष के सात फेरे लिए थे। वे हर साल यहां आकर कदम के वृक्ष की परिक्रमा करती हैं और अपनी मनोकामनाएं रखती हैं, जो पूरी होती हैं। गांव भगवंतपुर चिरौली निवासी मनोज कुमार शर्मा ने बताया कि उनका परिवार वर्ष 2005 से हर साल यहां आता है। पहले उनके पिताजी भी गांव से पैदल ही आते थे, क्योंकि तब इतने संसाधन नहीं थे। उन्होंने बताया कि अब यहां काफी विकास हो चुका है, दुकानें लगती हैं, भंडारे होते हैं, और श्रद्धालु कुंड में स्नान के बाद पूजा-अर्चना करते हैं।


