बलरामपुर जिले में 11 आयुर्वेदिक अस्पतालों का निर्माण कार्य डेढ़ साल बाद भी शुरू नहीं हो पाया है। इनमें से छह अस्पतालों के लिए भूमि का चयन हो चुका है, लेकिन निर्माण अभी तक अधर में लटका हुआ है। बाकी पांच अस्पतालों के लिए जमीन भी नहीं मिल पाई है। नगर के चारों दिशाओं—नहर बालागंज (पूर्व), पुरैनिया तालाब (उत्तर), बहादुरपुर (दक्षिण) और हरिहरगंज (पश्चिम) में अस्पताल संचालित हैं। सभी किराए के भवनों में चल रहे हैं, जिससे डॉक्टरों और कर्मचारियों को सीमित स्थान और संसाधनों के कारण कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। दवाओं के भंडारण और मरीजों के बैठने की उचित व्यवस्था न होने से लोग इन अस्पतालों तक पहुंचने में हिचकिचाते हैं। भूमि मिलने के बावजूद निर्माण में देरी मार्च 2024 में हरिहरगंज और फरेंदा में अस्पताल निर्माण के लिए जमीन मिली थी। इसके अलावा भारत-नेपाल सीमा के पास मोतीपुर, बनकटवा, नेवलगंज और संझवल प्रेमनगर में भी भूमि चिन्हित की गई। बावजूद इसके डेढ़ वर्ष बीत जाने के बाद इन स्थानों पर निर्माण शुरू नहीं हो पाया है। पांच अस्पतालों के लिए अब भी जमीन की तलाश बलरामपुर नगर, नहर बालागंज, बहादुरपुर, गौरा चौराहा और रेहराबाजार में अस्पताल निर्माण के लिए जमीन अभी नहीं मिली है। इसके लिए ग्राम प्रधानों और उप जिलाधिकारी से संपर्क किया जा रहा है। कुछ प्रधान भूमि उपलब्ध कराने में असमर्थता जता चुके हैं। अधिकारियों का कहना: मंजूरी मिलने के बाद निर्माण शुरू क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी डॉ. दिग्विजय नाथ ने बताया कि छह अस्पतालों के निर्माण के लिए चयनित जमीन का प्रस्ताव निदेशालय को भेजा जा चुका है। उन्होंने कहा कि मंजूरी मिलने के बाद ही निर्माण कार्य शुरू कराया जाएगा और स्थायी भवन बन जाने पर मरीजों को उपचार में अधिक सुविधा मिलेगी।


