Conversation with former diplomat Gauri Shankar Gupta: जयपुर. जब दुनिया दूसरे विश्व युद्ध की राख से उबर रही थी, संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने ‘शांति’ के वादे के साथ जन्म लिया। आजादी की जंग लड़ रहा भारत इसके 51 संस्थापक सदस्यों में से एक बना। यूएन चार्टर पर 26 जून, 1945 को हस्ताक्षर किए गए और यह 24 अक्टूबर को लागू हो गया। यूएन के 80वें जन्मदिन पर भारत के यूएन में योगदान से लेकर सुरक्षा परिषद की स्थायी सीट से वंचित रहने जैसे मुद्दों पर पूर्व आइएफएस अधिकारी गौरी शंकर गुप्ता के साथ पत्रिका की बातचीत के प्रमुख अंश…
भारत की यूएन के साथ बड़ी उपलब्धियां क्या हैं?
भारत ने शांति मिशनों में 3 लाख से ज्यादा सैनिक भेजे जो किसी भी देश से अधिक हैं। कांगो से लेबनान तक हमारे जवानों ने बलिदान दिया। यूएन व डब्ल्यूएचओ की मदद से हम 2014 में पोलियो मुक्त हुए। चेचक उन्मूलन, हरित क्रांति व यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में 40 से अधिक स्थल शामिल होना गर्व के विषय हैं।
यूएन का रवैया दोहरा है। जब भारत मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड या पाकिस्तान स्थित आतंकी सरगनाओं को वैश्विक आतंकी घोषित कराने की कोशिश करता है, तो वीटो लगाकर रोक दिया जाता है। शांति के लिए बनी संस्था राजनीति में उलझ गई है।
भारत यूएन सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य क्यों नहीं है?
यह यूएन की संरचनात्मक खामी है। 1945 का ढांचा 2025 की हकीकत से मेल नहीं खाता। भारत जैसी बड़ी आबादी, अर्थव्यवस्था और लोकतंत्र होने के बावजूद स्थायी सदस्यता से वंचित हैं। यही नहीं, अफ्रीका और लैटिन अमरीका जैसे महाद्वीपों को भी प्रतिनिधित्व नहीं मिला, यह यूएन को अलोकतांत्रिक बनाता है।
क्या यूएन आज भी उतना ही प्रभावी है?
नहीं। इराक, सीरिया, अफगानिस्तान जैसे बड़े संघर्ष यूएन के बाहर सुलझे। अब यह सिर्फ बहस का मंच बन गया है। यूएन अब ‘अतिरिक्त बजटीय फंडिंग पर निर्भर है, दान देने वाले देश एजेंडा तय करने लगते हैं। इससे उसकी निष्पक्षता खतरे में पड़ रही है।
भारत के लिए आगे क्या?
भारत अब जी 20 जैसे मंचों पर भी आगे बढ़ रहा है। जी20 की अध्यक्षता में हमने अफ्रीकन यूनियन को स्थायी सदस्यता दिलाई जो यूएन 80 साल में नहीं कर सका। सुधार नहीं हुए, तो यूएन ‘म्यूजियम’ बनकर रह जाएगा।
आतंकवाद के मुद्दे पर भारत की सबसे बड़ी शिकायत क्या है?
यूएन का रवैया दोहरा है। जब भारत मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड या पाकिस्तान स्थित आतंकी सरगनाओं को वैश्विक आतंकी घोषित कराने की कोशिश करता है, तो वीटो लगाकर रोक दिया जाता है। शांति के लिए बनी संस्था राजनीति में उलझ गई है।


