जनपद सदस्य, स्कूल संचालक और जबलपुर के समाज सेवी सहयोग के लिए आगे आए
डिंडौरी. विकासखंड करंजिया अंतर्गत पंडरीपानी निवासी 70 वर्षीय भागवती बाई की मार्मिक कहानी ने पूरे जिले को झकझोर कर रख दिया है। उम्र के इस पड़ाव पर भी वह अपने चार दृष्टिहीन बेटा-बेटियों का सहारा बनी हुई है। पति के निधन के बाद से भागवती बाई ही परिवार का एकमात्र सहारा हैं, जो अब भी अपने बच्चों के लिए संघर्ष कर रही हैं। दिव्यांग बच्चों का सहारा बनी बूढ़ी मां के संघर्ष को पत्रिका ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था। इसके बाद समाज के संवेदनशील लोग भागवती बाई व उसके परिवार की मदद के लिए आगे आए हैं। जनपद सदस्य करंजिया मधुवन धुर्वे ने पंडरीपानी पहुंचकर परिवार को राशन सामग्री और आर्थिक सहायता प्रदान की। उन्होंने आश्वासन दिया कि इस परिवार को सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ दिलाने का प्रयास किया जाएगा। वहीं स्कूल संचालक आशीष चौहान ने भी आगे आकर परिवार को गर्म कपड़े और अतिरिक्त राशन उपलब्ध कराया। इसी तरह देवेंद्र सिंह मैनेजर श्रीराम फाइनेंस और एएसआई अशोक उसराठे ने भी आर्थिक मदद की है। जानकारी के अनुसार भागवती बाई के चारों बच्चे संतोष 40 वर्ष, अनीता 38 वर्ष, कमलावती 32 वर्ष और महेश 30 वर्ष जन्म से ही दृष्टिहीन हैं। परिवार को फिलहाल केवल 2400 रुपए मासिक पेंशन और 20 किलो चावल मिलता है, जो जीवन-निर्वाह के लिए अपर्याप्त है। इनके पड़ोसियों का कहना है कि गांव का हर व्यक्ति इस मां की हिम्मत और त्याग की मिसाल देता है। अब जब प्रशासनिक और सामाजिक स्तर पर मदद के हाथ बढऩे लगे हैं, तो उम्मीद जगी है कि इस परिवार तक भी योजनाओं की रोशनी जल्द पहुंचेगी।
नेत्र विशेषज्ञ करेंगे जांच, उपचार के होंगे प्रयास
जबलपुर से समाजसेवी शिवकुमार तिवारी भी इस परिवार की सहायता के लिए आगे आए हैं। उन्होंने बताया कि जबलपुर के नेत्र विशेषज्ञों की टीम 20 नवम्बर को पंडरीपानी गांव पहुंचेगी और चारों भाई-बहनों की आंखों की जांच करेगी। जांच के बाद उन्हें उपचार के लिए जबलपुर ले जाया जाएगा। नगर के समाजसेवी बलबीर खनूजा ने दवाइयों और आने-जाने के खर्च का जिम्मा उठाया है। डॉ. ज्ञानेंद्र तिवारी ने भी परिवार को आर्थिक सहायता प्रदान करने की घोषणा की है। इस पहल से उम्मीद जगी है कि इस मां की वर्षों की तपस्या और उसके दिव्यांग बच्चों के जीवन में भी नई रोशनी जरूर आएगी साथ ही इस दीपावली पर उनके घर भी रोशनी बिखरेगी।
नेत्रहीन चार बच्चों की 70 साल की वृद्ध मां की मदद के लिए बढ़ रहे हाथ


