ईरान की दो-टूक, परमाणु कार्यक्रम पर प्रतिबंधों को अब नहीं मानेगा

ईरान की दो-टूक, परमाणु कार्यक्रम पर प्रतिबंधों को अब नहीं मानेगा

ईरान (Iran) इस बात पर लंबे समय से अड़ा हुआ है कि उसके परमाणु कार्यक्रम (Nuclear Programme) को भले ही मंज़ूरी मिले न मिले, उसे नहीं रोका जाएगा। अमेरिका (United States Of America), इज़रायल (Israel) समेत कई देशों ने ईरान के परमाणु प्रोग्राम का शुरू से विरोध किया है और जून में इसी वजह से ईरान पर हमले भी किए गए। अब ईरान ने इस मामले में अपना रुख एक बार फिर साफ कर दिया है। ईरान की तरफ से आज, शनिवार, 18 अक्टूबर को इस बात की घोषणा कर दी गई है कि वो अब अपने परमाणु कार्यक्रम पर लगे प्रतिबंधों को नहीं मानेगा।

कूटनीति के प्रति प्रतिबद्धता

ईरान के विदेश मंत्रालय के बयान में साफ कर दिया गया कि 2015 के समझौते के सभी प्रावधान, जिसमें ईरानी परमाणु कार्यक्रम पर प्रतिबंध लगाए गए हैं, अब समाप्त माने जाएंगे। गौरतलब है कि 2015 में ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना में ईरान का चीन, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, रूस और अमेरिका के साथ इस मामले पर समझौता हुआ था जिसके तहत ईरान के परमाणु प्रोग्राम पर सख्त प्रतिबंध लगाए गए थे। हालांकि अब ईरान ने साफ कर दिया है कि देश की कूटनीति के प्रति प्रतिबद्धता के तहत वो अपने परमाणु प्रोग्राम पर लगे किसी प्रतिबंध को नहीं मानेगा।

क्या है ईरान के परमाणु प्रोग्राम का उद्देश्य?

ईरान ने हमेशा से ही यह कहा है कि उसके परमाणु प्रोग्राम का उद्देश्य परमाणु हथियार बनाना नहीं है। ईरान सिर्फ परमाणु ऊर्जा विकसित करना चाहता है, जिससे उसका इस्तेमाल अपने देश की जनता के लिए किया जा सके।

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