भारत में बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों के मामलों में 2017 से 2022 तक 94 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड अगेंस्ट सेक्शुअल ऑफेंस (POCSO) एक्ट के तहत दर्ज होने वाले ऐसे केस 33,210 से बढ़कर 64,469 हो गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि बढ़ते आंकड़ों के बावजूद सजा की दर 90 प्रतिशत से ज्यादा बनी हुई है, जो मजबूत कानूनी कार्रवाई और रिपोर्टिंग सिस्टम को दिखाता है। चाइल्डलाइट ग्लोबल चाइल्ड सेफ्टी इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट ‘इंटू द लाइट इंडेक्स 2025’ में कहा गया है कि अपराध आंकड़ों में पारदर्शिता से निगरानी और तेज कार्रवाई आसान होती है। रिपोर्ट इसे वैश्विक स्तर पर मानवीय त्रासदी बता रही है। 2012 में लागू हुआ था POCSO 2012 में बच्चों को यौन अपराधों से बचाने के लिए भारत में POCSO कानून लाया गया था। पहले 2017 में 33,210 मामले दर्ज हुए थे, जो 2022 तक दोगुने से ज्यादा हो गए। रिपोर्टिंग बढ़ने का मतलब है कि लोग अब चुप नहीं रहते, लेकिन वास्तविक मामले इससे कहीं ज्यादा हो सकते हैं। भारत, नेपाल और श्रीलंका में हर 8 में से एक बच्चा यौन उत्पीड़न का शिकार रिपोर्ट के मुताबिक भारत, नेपाल और श्रीलंका में सर्वे से पता चला कि आठ में से एक बच्चा 18 साल से पहले यौन हमले या बलात्कार की शिकायत करता है। इन तीन देशों में करीब 54 मिलियन बच्चे प्रभावित हैं। यानि कुल बच्चों की जनसंख्या का 12.5 प्रतिशत। भारत में 2024 में 2.25 मामले दर्ज हुए 2024 में भारत, बांग्लादेश और पाकिस्तान ने दक्षिण एशिया में चाइल्ड सेक्शुअल एब्यूज मटेरियल (CSAM) के ज्यादातर मामले रिपोर्ट किए। भारत में अकेले 2.25 मिलियन मामले दर्ज हुए। AI के गलत इस्तेमाल पर चेतावनी रिपोर्ट ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के गलत इस्तेमाल पर चेतावनी दी है। 2023 से 2024 के बीच AI से बने CSAM में 1,325 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। बड़ी टेक कंपनियों के फैसले, जैसे एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन बिना सुरक्षा के, ऐसे अपराधों का पता लगाना मुश्किल बना रहे हैं। चाइल्डलाइट के सीईओ पॉल स्टैनफील्ड ने कहा कि हर आंकड़े के पीछे एक बच्चा है, जिसकी सुरक्षा, सम्मान और भविष्य छीन लिया गया। बच्चों का यौन शोषण आपातकाल जैसा रिपोर्ट ने सभी देशों से बच्चों के यौन शोषण को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल मानने को कहा। कहा गया कि इन मामलों में एचआईवी/एड्स और कोविड-19 जैसी तत्परता दिखानी चाहिए। स्टैनफील्ड ने कहा कि शोषण इसलिए होता है क्योंकि इसे अनुमति मिली हुई है। पर्याप्त इच्छाशक्ति से इसे रोका जा सकता है। बच्चे इंतजार नहीं कर सकते, कार्रवाई का समय अब है। ताजा NCRB रिपोर्ट के मुताबिक बच्चों के प्रति अपराध की दर 39.9 प्रतिशत NCRB की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक 2023 में बच्चों के खिलाफ अपराधों की दर 39.9 प्रति एक लाख बाल जनसंख्या रही, जो 2022 में 36.6 थी। इन मामलों में अपहरण (79,884, 45%) और पॉक्सो एक्ट के तहत अपराध (67,694, 38.2%) सबसे प्रमुख रहे। अधिकतर अपराधी पीड़ित के जानपहचान के लोग थे। कुल 40,434 मामलों में 39,076 मामलों में आरोपी जानकार थे। 3,224 में परिवार के सदस्य, 15,146 में परिवार के जानने वाले और 20,706 में दोस्त आदि थे। बच्चों पर अपराध में मध्य प्रदेश पहले नंबर पर रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में बच्चों पर अपराध के 1.77 लाख केस दर्ज हुए, जो 2022 में 1.62 लाख थे। यानी एक साल में 9.2% की बढ़ोतरी हुई, जो महिलाओं और बुजुर्गों के मुकाबले सबसे ज्यादा है। वहीं, राज्यों में अकेले मध्य प्रदेश मे 22,393 केस सामने आए हैं। बच्चों के खिलाफ हर दिन औसतन 486 और हर तीन मिनट में एक अपराध दर्ज हुआ। —————-
भारत में बच्चों के खिलाफ यौन अपराध 94 फीसदी बढ़े:रिपोर्ट में दावा- 2022 में 64,469 केस दर्ज हुए; 90 प्रतिशत मामलों में सजा हुई


